सांसद का घर-घर रामायण अभियान 22 जन. से,
मेरठ। मेरठ हापुड़ लोकसभा सीट से सांसद अरुण गोविल 22 जनवरी से रामायण अभियान की शुरूआत करेंगे। यह जानकारी उन्होंने डिफैंस कालोनी स्थित अपने कैंप कार्यालय पर बुलायी गयी प्रेस वार्ता में दी। उन्होंने कहा कि वह राजनीति में नहीं आना चाहते थे, लेकिन राम जी को शायद उन्हें राजनीति मे ही भेजना मंजूर था और हुआ भी वैसा ही। वह राजनीति मे आए थी और शानदार जीत दर्ज कराकर सांसद भी बने। सांसद अरुण गोविल ने रामायण पढ़ने के घटते प्रचलन पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस दिशा में सकारात्मक पहल करते हुए “घर-घर रामायण” अभियान शुरू करने की घोषणा की। यह अभियान 22 जनवरी 2025 से प्रारंभ होगा, जिसका उद्देश्य भारतीय संस्कृति और पारिवारिक मूल्यों को मजबूत करना है। उन्होने बताया कि 1.11 लाख रामायण की प्रतियां निःशुल्क वितरित होंगी। 11 लाख रामायण की प्रतियां उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में घर-घर जाकर वितरित की जाएंगी। यह पहल समाज के हर वर्ग को ध्यान में रखकर बनाई गई है। रामायण केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने की एक आदर्श पद्धति और पारिवारिक कल्याण का संदेश देती है। इस पहल का उद्देश्य परिवारों को जोड़ना और युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति के महत्व से अवगत कराना है। उन्होंने इस अभियान को वेस्ट यूपी में संस्कृति और साहित्य को पुनर्जीवित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास बताया। अरुण गोविल ने कहा कि रामायण पढ़ने से न केवल नैतिक मूल्यों का विकास होता है, बल्कि यह समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखने में भी सहायक है। यह अभियान 22 जनवरी 2025 को भव्य कार्यक्रम के साथ प्रारंभ होगा। इसमें क्षेत्र के गणमान्य लोग, धार्मिक संगठन, और सामाजिक कार्यकर्ता भाग लेंगे। उन्होंने समाज के सभी वर्गों से इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेने की अपील की। श्री गोविल ने कहा, “रामायण केवल ग्रंथ नहीं है, यह हमारी विरासत है। इसे हर घर तक पहुँचाना हमारा कर्तव्य है।” इस अवसर पर अरुण गोविल ने कहा कि इस अभियान के माध्यम से “रामराज्य” की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है, जहां समाज में नैतिकता, प्रेम, और सद्भाव स्थापित हो। उन्होंने भरोसा जताया कि “घर-घर रामायण” अभियान से समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा।
इसके लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है, जो हर जिले और गाँव में रामायण वितरण सुनिश्चित करेगी। इसके साथ ही सामाजिक और धार्मिक संगठनों को भी इस अभियान से जोड़ा जाएगा। यह पहल न केवल भारतीय संस्कृति को जीवंत रखने का प्रयास है, बल्कि यह लोगों के जीवन में रामायण के आदर्शों को लागू करने का एक प्रभावी माध्यम भी है।