
नई दिल्ली से महज पचास किलो मीटर और तीस मिनट की दूरी पर स्थित वेस्ट यूपी के सबसे बड़े व एतिहासिक क्रांतिकारियों के शहर मेरठ जहां से 10 मई 1857 को पहला गदर अंग्रेजों के खिलाफ किया था। जिसमें बड़ी संख्या में हिन्दु मुसलमान सभी शामिल थे उस मेरठ शहर के मुसलमानों ने पाकिस्तान की मदद जंग में करने वाले टर्की के बाॅयकॉट का अभियान छेड़ा दिया है। Boycott Turkey: पाकिस्तान का साथ देना तुर्की को भारी पड़ता नजर आ रहा है. भारत में बायकॉट तुर्किए की मुहिम तेज हो गई है और इसका असर भी दिखने लगा है। एक ओर जहां व्यापारियों ने Turkish Apple का बहिष्कार शुरू किया है, तो ट्रैवल प्लेटफॉर्मों ने तुर्की, अजरबैजान की यात्रा न करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि केवल टर्की ही क्यों जो भी देश भले ही वो खुद को शक्तिशाली समझने वाला चीन हो या कोई और मुल्क उसके यहां के सामान काे ना तो खरीदे ना बेचेंगे। मेरठ के केसरगंज में फलों का कारोबार करने वाले खलील का कहना है कि उनके लिए कारोबार से पहले मुल्क है। मछेरान इलाके में मीट का कारोबार करने वाले तस्लीम अहमद का कहना है कि टर्की की क्या बिसात जो भारत के दुश्मन की मदद करे, हिन्दुस्तान की आवाम के साथ ही मेरठ की आवाम है। उन्होंने जोर से कहा कि बॉयकॉट टर्की। पेश से पत्रकार एडवोकेट अफजाल का कहना है कि मेरठ का कोई भी मुस्लिम टर्की का सामान नहीं खरीदेगा। शहर के पुरानी काेतवाली के इस्माइल नगर में रहने वाले दूध करोबारी सलीम अहमद ने बॉयकॉट टर्की के पोस्टर तक लगा दिए।
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