ना मुटेशन ना नक्शा-फिर भी व्हाईट हाउस, मेरठ के सरकुलर रोड स्थित बंगला 276 व्हाईट हाउस का ना तो मुटेशन है और ना ही कैंट बोर्ड से नक्शा ही पास कराया गया है, इसके बाद भी सीना ताने खड़ा व्हाईट हाउस बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन की कारगुजारियों का जीता जागता प्रमाण है। साल 2016-17 के दौरान बोर्ड के एई व जेई की संस्तुति पर इसका मुटेशन किसी कमरा व बंसल के नाम करा दिया गया। बाद में जब शिकायत की गई तो कमांडर की कलम से मुटेशन कैसिंल कर दिया, जबकि मुटेशन कैंसिल कर अधिकार जीओसी इन चीफ को है। बोर्ड के एई व जेई की कारगुजारियां यहीं तक सीमित नहीं रहीं, उन्होंने व्हाईट हाउस का नक्शा पास कराने की संस्तुति कर दी। यह बात अलग है इसे अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सका। इसके बाद सीईओ प्रसाद चव्हाण के कार्यकाल में जब बंद तालों में इसका अवैध निर्माण चल रहा था तो उसी दौरान वहां सीईओ चव्हाण ने जेई अवधेश यादव को साथ लेकर छापा मारा था । छापे के दौरान बंद तालों में अवैध निर्माण होता पाया गया। सीना ताने खड़ा व्हाईट हाउस इस बात का भी सबूत है कि यदि कैंट बोर्ड मे सेटिंग है तो नियम कायदे कोई मायने नहीं रखते। शान से अवैध निर्माण कराइए, इंजीनियरिंग सेक्शन बजाए ध्वस्तीकरण या सील की कार्रवाई के अवैध निर्माण में मददगार साबित होगा। दूसरी ओर यदि व्हाईट हाउस की बात की जाए तो छापे की कार्रवाई के दौरान सीईओ के जो तेवर नजर आते थे, उससे यही लगता है कि किसी भी स्थित में व्हाईट हाउस का अवैध निर्माण नहीं होने दिया जाएगा, लेकिन व्हाईट हाउस का अवैध निर्माण जारी रहता है और तत्कालीन सीईओ क्यों कुछ नहीं कर पाए, यह भी एक सवाल है। अवैध निर्माण रोकने के लिए जिम्मेदार इंजीनियरिंग सेक्शन सिर्फ तमाशबील देखता रहता है किन्हीं मजबूरियों के कारण और देखते ही देखते भव्य आलिशान व्हाईट हाउस खड़ा हो जाता है। इस बंगले में सभी प्रकार के उल्लंघन मसलन चेज आफ परपज, सब डिविजन आफ साइट और अवैध खामियां मौजूद हैं।