नाम रियल एस्टेट-काम अवैध कालोनी

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नाम रियल एस्टेट-काम अवैध कालोनी, मेरठ में खुद को रियल स्टेड का ब्रांड बताने वाले तमाम बिल्डरों का जोर इन दिनों अवैध कालोनी विकसित करने पर ज्यादा है। इन दिनों ऐसे बिल्डर अधिक हो गए हैं जो खुद को रियल एस्टेट का ब्रांड एम्बेसेडर बताते हैं। इसके लिए प्रचार प्रसार पर भारी भरकम रकम खर्च करते हैं और काम की यदि बात की जाए तो अवैध कालोनी विकसित कर स्मार्ट सिटी के सीएम योगी के प्रयासों को पलीता लगाने पर तुले हुए हैं। उनके इस कारनामे में मेरठ विकास प्राधिकरण के कुछ भ्रष्ट अफसर खासतौर से जोनल अधिकारी व जोन के अवर अभियंता व बाकि स्टाफ बड़े मददगार साबित हो रहे हैं। ऐसे बिल्डरों के कारनामों की वजह से क्रांतिकारियों की भूमि मेरठ देश की राजधानी दिल्ली से बेहद करीब होने के बावजूद बजाए स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित होने के तेजी से एक मलीन बस्तियों के शहर के तौर पर विकसित कर हो रहा है। मेरठ को मलीन बस्ती बनाने के गुनाहगारों की फेरिस्त में बागपत रोड ऋषिनगर मैफेयर एस्टेट के बाशिंदों ने एक नया नाम कृतिका ऐस्टेट के अशोक गर्ग का जोड़ दिया है। मैफेयर एस्टेट के लोगों ने बताया कि अशोक गर्ग केवल अवैध कालोनी ही विकसित नहीं कर रहे बल्कि प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों से साज कर एमडीए प्रशासन की आंखों में भी धूल झोंक रहे हैं। दरअसल हो यह रहा है कि एमडीए से किसी भी प्लाट में कालोनी काटने का नक्शा स्वीकृत कराया जाता है। उस नक्शे की आड़ में या कहें स्वीकृत नक्शे के विपरीत कालोनी काट दी जाती है। मसलन जितनी भूमि पर कालोनी काटने का नक्शा स्वीकृत कराया जाता है, उससे कई गुना ज्यादा जमीन पर काम  शुरू किया जाता है। ऐसा करके सूबे की योगी सरकार को भूमाफियाओं की तर्ज पर काम करने वाले बिल्डर करोड़ों के राजस्व की हानि तो पहुंचा ही रहे हैं साथ ही मेरठ को स्मार्ट सिटी बनाने के प्रयासों में भी अब पलीता लगाया जा रहा है। कृतिका ऐस्टेट के अशोक गर्ग सरीखे लोगों की वजह से ही आने वाले दिनों में मेरठ के दाग में अवैध कालोनियों या फिर मलीन बस्तियों की सिटी होने का बदनुमा दाग लग जाएगा। इसी तर्ज पर बागपत रोड स्थित ऋषिनगर इलाके में यह बिल्डर चित्रकूट एक्सटेंशन के नाम पर एक नई कालोनी विकसित कर रहे हैं। कहने को यह कालोनी विकसित कर रहे हैं, लेकिन यदि प्राधिकरण अध्यक्ष/मंडलायुक्त पेपरों की जांच व मौके पर भाैतिक सत्यापन करा लें तो कारगुजारी से पर्दा उठने में पल भर की भी देरी नहीं लगेगी। इस संबंध में बिल्डर अशोक गर्ग से उनका पक्ष जानने के लिए काफी प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।

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