नन्हें मुन्नों की जाग्रति संस्कारशाला, नन्हें मुन्ने मासूम से दिखने वाले नटखट बच्चे जिस उम्र में केवल परिवार में रहकर शैतानी करना जानते हैं, उस उम्र में उन्हें उनके संस्कार क्या होने चाहिए। यह सब सिखाया जा रहा है। इससे सबसे ज्यादा खुश वो परिवार हैं जिन परिवारों से ये नन्हें नटखट से दिखने वाले मासूम बच्चे आते हैं। काम वाकई बहंत कठिन है, लेकिन जब करने की ठान ली जाए तो फिर कोई भी काम कठिन नहीं रहता, वो भले ही पृथ्वी पर गंगा को लाने का हो या फिर नन्हें नटखट बच्चों को संस्कारशाला में उनके संस्कारों से रूबरू कराने का और यह दुरूह कार्य दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा कर दिखाया गया। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा शिव शक्ति नगर दिल्ली रोड मेरठ में नन्हे-मुन्ने बच्चों के लिए संस्कारशाला का आयोजन किया गया जिसमें श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी जी ने बच्चों को अच्छी संगति और बुरी संगति के विषय में बताया l कार्यशाला में योग का महत्व आसन का महत्व बताया गया l विभिन्न प्रकार के भजनों पर नृत्य भी कराया गया l बच्चों ने कार्यशाला में बहुत ही उत्साहित होकर भाग लिया l ध्यान का विशेष प्रभाव मन पर कैसे पड़ता है ,इस विषय पर भी बच्चों को समझाया गया सभी बच्चों ने कार्यशाला का भरपूर लाभ उठाया l और भजनों पर नृत्य किया सुंदर मधुर भजनों को सुन कर बच्चे झूम उठेl प्रकृति बचाओ का संदेश देते हुए कला प्रतियोगिता भी रखी गई जिसमें बच्चों को पुरस्कार वितरित किए गए l दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की इस संस्कार शाला से जिन परिवारों के बच्चे आए थे वो तो खुश है ही साथ ही जो उनके परिचित हैं या आसपास रहते हैं अब वो भी चाहते हैं कि उनके बच्चे भी दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की संस्कारशाला में जाए। अपने संस्कार व संस्कृति से परिचित हों। अच्छी-अच्छी बातें सीखें ताकि समाज और देश आगे चलकर संस्कारवान बना सकें।