NGT खौफ नहीं, जो दे उस पर करम ना दे उस पर सितम Meda हैं हम
मेरठ/ मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को पच्चीस तीस किलोमीटर गांव देहात में काटी जा रही अवैध कालोनियां तो नजर आती हैं, अमला लेकर उन्हें ध्वस्त कराने भी पहुंच जाते हैं, लेकिन एनएच-58 या फिर लावड़ रोड पर काटी जा रही अवैध कालोनियां व विवाह मंडप नजर नहीं आते। दरअसल हो यह रहा है कि जो जोनल व जेई को दे रहा है उस पर रहमो करम है और जो नहीं दे रहा है उस पर सितम है। दरअसल जो भी अवैध कालौनी काटते या निर्माण करते हैं वो यदि प्राधिकरण के जोनल और जेई के ऐसे कामों के लिए जो रिवाज चलाया हुआ है उससे वाकिफ नहीं तो उन पर सितम टूटेगा और यदि बाकिफ तो उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं। पूरे एतबार से यह बात कही जा सकती है कि जोनल और जेई के भ्रष्टाचारी दस्तूूर से वाकिफ ना होने की वजह से बीस किलोमीटर दूर जाकर मवाना में कालोनियां ध्वस्त कर दी जाती हैं। एनएच-58 हाईवे दौराला से लेकर परतापुर तक अवैध कालोनियां भारी-भरकम अवैध निर्माणों से गुलजार है।
ना ग्रीन बेल्ट की परवाह ना रोड बाइंडिंग की फिक्र
ना ग्रीन बैल्ट की परवाह ना रोड बाइडिंग की फ्रिक और ध्वस्तीकरण की तो कोई चिंता ही नहीं क्योंकि यदुवंशी जोनल अफसर हैं ना या फिर जिनके जिम्मे करीने और सलीके से टाउन की प्लानिंग है ऐसे अफसर जिनकी विजय पताका को कोई प्राधिकरण का बडेÞ से बड़ा अफसर उखाड़ फैंकना तो दूर की बात छूने तक का साहस नहीं कर पाता ऐसे विजय पताका धारी अफसर के होते हुए अवैध रूप से बड़े-बडेÞ होटल, ढावे, विवाह मंडप बनाने वालों को क्या चिंता हो सकती है। प्राधिकरण में भ्रष्टाचार की विजय पताका फहराने वाले इस अफसर के रूतबे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व वीसी जिन्हें स्टाफ सख्त मिजाज मानता था, वो भी इस टाउन प्लानर पर कार्रवाई करने का साहस नहीं कर सके।
सभी अवैध निर्माणों व कालोनियों के पीछे इन्हीं का नाम
महानगर में जितने भी अवैध निर्माण या कालौनियां हैं उन सभी में उक्त अफसरों का नाम आएगा। केवल अवैध की गारंटी ही नहीं लेते उसको बचाए रखने की भी गारंटी देते हैं। शायद यही कारण है कि जिन अवैध निर्माणों में खुद अवैध निर्माण करने वालों ने लिखकर यह दे दिया कि सरकारी अमला ध्वस्त ना करे हम खुद अपना अवैध निर्माण तोड़ देंगे, उनका हलफनामा भी भ्रष्ट अफसरों ने नोटों के बंडल तले दफन कर दिया। यह मामला रोबिन चौधरी से जुड़ा है जिसके ग्रीन बेल्ट और रोड बाइंडिंग की परवाह न करते हुए बनाए गए विवाह मंडप में दो बार आग लगी। एक बार तो सैकड़ों महिला व बच्चे तथा बुर्जुग व अन्य उसमें फंस गए। उनकी जान पर बन आयी, लेकिन इसके बाद भी इस अवैध निर्माण पर कार्रवाई नहीं की गयी। कुछ दिन पहले दूसरी बार आग लगी तब भी पूरा प्राधिकरण प्रशासन नींद में नजर आया। किसी ने मौके पर जाकर झांकने तक की जरूरत नहीं समझी। वहीं दूसरी ओर लोगों की मानें तो अवैध होटल व मंडपों के कारोबार के बाद प्राधिकरण के भ्रष्ट जोनल व जेई से हाथ मिल जाने के चलते रोबिन चौधरी अब किसी भूमाफिया की तर्ज पर अवैध कालोनियों के धंधे में भी उतर आया है। रोबिन चौधरी का इकलौता मामला नहीं है।
पूरा हाइवे अवैध होटलों व ढावों से आबाद
हाइवे की यदि बात की जाए तो पूरा हाइवे ही अवैध होटल, ढावों विवाह मंडपों से गुलजार है। हाइवे के बागपत फ्लाईओवर के नीचे उसके समीप तो शराब ठेके के बराबर में तीन मंजिला अवैध होटल ग्रीन एम्बेसी बना दिया गया आरोप है कि यहां जिस्मों की मंड़ी लगती है। क्योंकि यहां कोई टूरिस्ट पैलेस तो है नहीं जो टूरिस्ट आकर ठहरेंगे। किसी चकलाघर की तर्ज पर इस होटल ग्रीन एम्बेसी में जिस्म की मंड़ी लगाकर कमाई की जा रही है। यहां होने वाली काली कमाई में सभी का हिस्सा बंटा होता है। इसी होटल सरीखे तमाम अवैध निर्माण एनएच-58 पर भरे पडे।
एनजीटी का खौफ नहीं
एनजीटी भले ही हाइवे पर ग्रीन बैल्ट में बनाए गए होटल ढावों पर कार्रवाई कराने की बात करे लेकिन भ्रष्ट जोनल व जेई ने ग्रीन बैल्ट व रोड बाइंडिंग की अनदेखी कर यहां बड़ी तादात में होटल ढावे खुलवा दिए। हाइवे के खिर्वा इलाके में तो एक भूमाफिया ने अपनी वेदा नाम की अवैध कालोनी का रास्ता बनाने के लिए एनएचएआई की सर्विस रोड पर ही कब्जा कर लिया। जिस अवैध कालोनी के लिए रास्ते को सर्विस रोड पर कब्जा किया गया। वह अवैध कालोनी काफी पहले एक बार ध्वस्त की जा चुकी है। पेपरों में यह आज भी सील है। अवैध निर्माण करने वाले या अवैध कालोनी काटने वाले सील की परवाह कतई नहीं करते। सील के बावजूद भी प्राधिकरण के भ्रष्टाचार की विजय पताका फहारने वाले टाउन प्लानर सरीखे व यदुवंशीय जोनल आॅफिसर सरीखे अधिकारी अवैध निर्माण हो या फिर अवैध कालोनी उसकी जिम्मेदारी ओट लेते हैं। लेकिन शर्त यह है कि जो दस्तूर ऐसे कामों के लिए बनाया हुआ है उसकी जानकारी होनी चाहिए। यदि उसकी जानकारी नहीं है यदि अपनी ही जमीन में कालोनी काट रहे हो पेशे से किसान हो तो काम करने नहीं दिया जाएगा।
पैसा बोलता है
यदि अवैध कालोनी या ग्रीन बैल्ड रोड बाइंडिंग में कोई भी अवैध निर्माण करना है बेहतर ही कि पहले ही संबंधित जोन के जोनल अधिकारी और जेई से संपर्क कर लिया जाए और निर्विध्न काम कराना है तो फिर टाउन प्लानर हैं ना उनके रहते तो जो अवैध निर्माण किया जाना है उसके लिए रोडी सीमेंट की भी जरूरत नहीं है। केवल जंग लगे पाइपों पर ही बहुमंजिला वन फेरर सरीख अवैध निर्माण कर दिया जाएगा। ऐसे अवैध निर्माण में यदि उनसे कोई सवाल करेगा तो दावा कर दिया जाएगा कि मानचित्र स्वीकृत है लेकिन जब आरटीआई के तहत जानकारी तलब की जाएगी तो झूठ की पोल खुल जाएगी, जैसा कि वन फेरर मामले में हुआ।
20 किलोमीटर मवाना की अवैध कालोनियां नजर आ जाती है बाईपास की अवैध कालोनी व निर्माण नहीं, जोनल अधिकारी और प्राधिकरण के जेई की छत्रछाया में बाईपास अवैध कालोनियों व अवैध निर्माणों से आबाद
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