वेद सिटी के लिए सर्विस रोड पर कब्जा

वेद सिटी के लिए सर्विस रोड पर कब्जा
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वेद सिटी के लिए सर्विस रोड पर कब्जा,

मेडा के आसमानी निगरानी के दावे हवा-अवैध कालोनी के लिए एनएचएआई के जमीन पर बना ली सड़क
ग्रीन बैल्ट में अवैध कालोनी, रास्ते के लिए पहले रजवाहे और फिर एनएचएआई की जमीन पर कब्जा
-प्राधिकरण के एक जेई ने अवैध कालोनी पर चलाया बुल्डोजर, दूसरे काम करा रहा है पूरा
मेरठ/  मेडा (मेरठ विकास प्राधिकरण) के दावे तो आसमान से निगरानी के हैं। अवैध कालौनियों व कब्जों पर नजर रखने के लिए ड्रोन भी उड़ाए गए और हवा से गिरानी के दावे भी किए, इसके बावजूद एनएच-58 परतापुर से लेकर मोदीपुरम तक पर सरकारी जमीनों पर कब्जे के अलावा ग्रीन ब्लैट में अवैध निर्माण, सिंचाई विभाग के रजवाहे पर कब्जा और अब वेद सिटी काटने वालों ने एनएच-58 की सर्विस रोड के लिए छोड़ी गयी जमीन पर कब्जा कर अपनी कालोनी के लिए उस पर सड़क बना डाला। वेद सिटी नाम से अवैध कालोनी काटने वालों ने यह काम चौबीस घंटे पहले किया है। बागपत फ्लाई ओवर जहां खत्म होता है, वहीं पर सीएनजी पंप है। सीएनजी पंप के आसपास खेत हैं और लोग किसानी करते हैं। इनमें से ही एक खेत में वेद सिटी के नाम से अवैध कालोनी काट दी गयी है। इस कालोनी में आने जाने के लिए पहले तो सिंचाई विभाग के सलावा रजवाहे पर कब्जा किया गया। रजवाहे पर दो पक्के पुल बना दिए गए। अब दुस्साहस का परिचय देते हुए सर्विस रोड के लिए छोड़ी गयी एनएचएआई की जगह पर अवैध रूप से दिनदहाडेÞ कब्जा कर उस पर कालोनी के लिए पक्की सड़क बना दी। कालोनी काटने वालों ने यह काम दिन के उजाले में बीते रविवार को किया। सीएनजी से पंप से हाइवे को लिंक करते हुए एनएचएआई ने सर्विस रोड बनाने के लिए यहां जगह छोड़ी थी। सालों बीत गए एनएचएआई ने सर्विस रोड तो बनायी नहीं, लेकिन उस सर्विस रोड पर अवैध कालोनी काटने वालों ने कब्जा कर कालोनी में आने जाने का रास्ता बना लिया। रविवार को उस पर डामर डालकर पक्की सड़क बना दी गयी।
ध्वस्तीकरण के बाद कालोनी फाइलों में सील
जिस अवैध कालोनी का यहां जिक्र किया जा रहा है। पूर्व में प्राधिकरण प्रशासन उस कालोनी पर जेसीबी चलाकर उसे ध्वस्त कर चुका है। कागजों मे कालोनी सीलहै। कागजों में सील इस कालोनी में प्लाटिंग की तैयारी है।
आसमानी निगरानी की खुली पोल
एनएच-58 पर वेद सिटी काटने वालों की कारगुजारी वानगी भर है। यह मामला आसमान से निगरानी के दावे की पोल खोलने को काफी है। वेद सिटी हाईवे व आसपास प्राधिकरण के आसमानी निगरानी के दावों की पोल खोलने का इकलौता मामला नहीं है। आसमान से निगरानी के दावे करने वाले अफसरों को ग्रीन ब्लैट पर कब्जा कर अवैध निर्माण कर लिए जाते हैं, लेकिन इनके निगरानी तंत्र को पता नहीं चल पाता।
एनजीटी को पता है मेडा को नहीं
हाइवे पर ग्रीन ब्लैट पर कब्जों की बात दिल्ली में बैठे एनजीटी के अफसरों को तो पत चल जाती है लेकिन आसमानी निगरानी का दम भरने वाले प्राधिकरण के मेरठी अफसरों को इसकी भनक तक नहीं लगती। एक ओर प्राधिकरण का आसमानी निगरानी तंत्र दूसरी ओर हाइवे पर बैक टू बैक अवैध कालोनिया, ग्रीन ब्लैट व सिंचाई विभाग के रजवाहे पर अंधाधुंध कब्जे, खड़ौली का पूरी तरह से अवैध मुस्लिम नॉनवेज मार्केट और दिन के उजाले में मौत के कुंए के मानिंद वन फेरर सरीखा आधारही होटल का बन जाना। इस पर तुर्रा यह कि खुद प्राधिकरण प्रशासन आरटीआई में स्वीकार कर रहा है कि यह सब अवैध है, लेकिन कार्रवाई जब कार्रवाई की बात आती है तो प्राधिकरण दो कदम आगे और चार कदम पीछे नजर आत है। ये सब यूं ही नहीं है। इसके निहितार्थ यदि तलाशेंगे तो हर एक अवैध निर्माण में प्राधिकरण का या तो कोई बड़ा अफसर लिप्त पाया जाएगा जैसा कि वन फेरर में खुद स्टाफ भी टीपी का नाम चींख-चींख लेता है या फिर जोनल अधिकारी व जेई की लिप्तता मिलेगी। बीते रविवार को एनएचएआई की जमीन पर जिस वेद सिटी के लिए अवैध कब्जा कर सड़क बनायी है उसमें प्राधिकरण के इस जोन के जेई का नाम लिया जा रहा है। हालांकि इनके पहले जो जेई थे उन्होंने वेद सिटी पर जेसीबी चलवायी थी। फाइल में सील लगी होने के बाद भी इस कालोनी का काम पूरा किया गया। गेट का काम अंतिम चरण में है और आने जाने के लिए सर्विस रोड पर कब्जा कर लिया है। इससे पहले रजवाहे पर कब्जा कर लिया था। इतना कुछ हो गया और प्राधिकरण के आसमानी निगरानी तंत्र को भनक तक नहीं लगी। अजीब निगरानी तंत्र है पूरा हाइवे अवैध कब्जों व निर्माण से गुलजार है और अफसरों की नींद है कि टूटती नजर नहीं आ रही। यह हाल तो तब है जब एनजीटी ने इन प्रकरणों को लेकर प्रमुख सचिव, डीएम मेरठ, नगरायुक्त, चीफ सिंचाई, नगरायुक्त, एसएसपी तक को नोटिस देकर तलब कर लिया है।


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