लावड़ रोड पर खेत में बना दिया अवैध विवाह मंडप व कालोनी
रोक के बावजूद खनन के नाम पर चीर जा रहोधरती का सीना
खेतों के भराव में लिए सैकड़ों डंफर लगाकर कराया भराव
दर्जनों हरे भरे पेड़ों की भूमाफियाओं ने कर डाली हत्या
मेरठ/ मेरठ विकास प्राधिकरण के जोन बी-2 सोफीपुर से सटे लावड रोड के जंगलों में हरे भरे खेतों में जेसीबी चलाकर फसल को रौंद देने वालों ने वहां ओम गार्डन के नाम वे अवैध विवाह मंडप बना डाला है। इतना ही इसके चंद कदम की दूरी पर इन दिनों खेतों के बीच अवैध कालोनी काटी जा रही है। रात के अंधेरे में नहीं बल्कि दिन के उजाले में अवैध विवाह मंडप का निर्माण किया और अब जिस अवैध कालोनी का यहां जिक्र किया जा रहा है उसक काम भी बेहद तेजी से निपटाया जा रहा है। प्राधिकरण के इस जोन के लावड रोड इलाके में इन दिनों अवैध कालोनियों, कांप्लैक्सों व विवाह मंडपों की बाढ़ आयी हुई है। ऐसा लगता है कि या तो प्राधिकरण के इस जोन के अवर अभियंता व अन्य स्टाफ को अवैध विवाह मंडप व अवैध कालोनियों की जानकारी नहीं है या फिर उनका मुंह बंद कर दिया है। स्टाफ के आंखों में भ्रष्टाचार का सुरमा डाल दिया गया है। अवैध विवाह मंडप व उसके साथ काटी जा रही कच्ची कालोनी के पीछे प्राधिकरण के किस अफसर का वरद हस्त हासिल है यह तो जांच या फिर इलाके के जेई (अवर अभियंता) के खिलाफ कार्रवाई के बाद ही पता चला सकता है, लेकिन लावड रोड पर जिस जगह अवैध विवाह मंडप बनाया गया है वहां आसपास रहने वालों की यदि बात करें तो उन्होंने बताया कि इस विवाह मंडप को बनाने वाले ओम टैंट हाउस के मालिक का कहना है कि प्राधिकरण के चपरासी से लेकर बड़े साहब तक को उनका हिस्सा पहुंचा दिया गया है, इसलिए डरने या घबराने की कोई बात नहीं।
पहले जिम व स्विमिंग पूल अब विवाह मंडप
लावड रोड पर फसल रौंदकर खेतों में ओमगार्डन के नाम से यह विवाह मंडप बनाया गया है वहां काफी पहले एक घर हुआ करता था। उस घर को तोड़कर यहां जिम और स्विमिंग पूल बनाया गया और अब इस इलाके में दूसरे अवैध विवाह मंडपों की देखादेखी जिम व स्विमिंग पूल तोड़कर यहां जिम बना दिया गया है। जहां पर ये अवैध विवाह मंडप बनाया गया है, वहां कई दिन तक पहले हरियाली का दौरा गया। पेड़ों पर कुल्हाडेÞ चलाए गए। सारा काम दिन में कराया जाता था। रात में कोई काम नहीं होता था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो भी जिन्होंने यह अवैध विवाह मंडप बनाया है या फिर कालौनी काट रहे हैं उनके कितने तगडे और ऊपर कहां तक कनेक्शन हैं, या फिर यह मान लिया जाना चाहिए कि पैसा बोलता है।
अवैध खनन से सैकड़ों डंफर मिट्टी
लावड रोड स्थित अवैध विवाह मंडप और जिस खेत में कच्ची कालोनी काटी जा रही है उसके भराव के लिए अवैध खनन कर सैकड़ों डंफर मिट्टी लाकर यहां डाली गयी। जानकारों का कहना है कि अवैध खनन पर रोक है। केवल विशेष परिस्थितियों में ही खनन की प्रशासन अनुमति देता है। जहां तक खनन की अनुमति की बात है तो इतना तो विश्वास है कि अवैध विवाह मंडप और कच्ची कालोनी काटे जाने के नाम पर तो धरती का सीना चीरने की अनुमति मिलने से रही। फिर दूसरा यह कि डंपरों से भराव का काम दिन रात चला है। यह भी सुनने में आया कि विवाह मंडप व अवैध कालोनी के लिए खेतों की भराव का काम कहीं दूर जाकर नहीं बल्कि आसपास के खेतों में ही मिट्टी का खनन कर कराया गया है। इतना ही नहीं जो डंफर भराव व खनन में लगाए गए हैं वो भी लावड रोड पर ही हर वक्त सेवा के लिए मौजूद रहते हैं।
प्राधिकरण को एक पाई नहीं-मंडप वाला मालामाल
किसानों से बीघों के हिसाब से खेत खरीद कर उसमें अवैध विवाह मंडप बनाने वालों ने प्राधिकरण व दूसरी संस्थाओं को शुल्क के नाम पर एक पाई नहीं दी है और शादी के वर्तमान सीजन में नॉन स्टॉप बुकिंग कर खूब माल कमाया। शादी का जो सीजन बीता है उसमें दिन रात मसलन तीनों शिफ्टों में इस अवैध विवाह मंडप की बुकिंग चली। लावड रोड की यदि बात करें तो केवल ओम विवाह मंडप ही नहीं इस रोड पर जितने भी इस प्रकार के विवाह मंडप हैं उन सभी में हाउस फुल रहा।
फायर एनओसी तक नहीं
किसी भी विवाह मंडप के लिए फायर एनओसी का होना पहली और जरूरी शर्त है, लेकिन सूत्रों की मानें तो इस विवाह मंडप को बनाने वालों ने फायर एनओसी तक नहीं ली है। बताया जाता है कि लावड रोड पर जितने भी विवाह मंडप या कामर्शियल कांप्लैक्स में हैं उनमें से किसी के भी पास फायर एनओसी नहीं है। यह हाल तो तब है जब फायर एनओसी को लेकर शासन के बेहद सख्त नियम हैं, लेकिन लगता है कि फायर एनओसी के संबंध में शासन के कायदे कानून लागू कराए जाने को लेकर खुद प्रशासन के अफसर भी गंभीर नजर नहीं आते हैं। यही वजह है कि विवाह मंडप बन गया। वहां बुकिंग भी शुरू हो गयीं। लेकिन ना तो मानचित्र शुल्क के नाम और ना ही फायर एनओसी के नाम पर एक पाई खर्च करनी पड़ी। मसलन हींग लगी ना फिटकरी रंग भी चौखा।
बेखबर हैं अफसर
लावड रोड के ओम गार्डन और इसके बराबर में काटी जा रही अवैध कालोनी को लेकर जब जोनल अधिकारी का काम देख रहे धीरज यादव से जानकारी मांगी गयी तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की और कहा कि जोन के इस इलाके के जेई बता सकते हैं। जेई राकेश राणा का कहना है कि इसको दिखवाएंगे। वहीं फायर एनओसी के सवाल पर बताया गया कि ओमगार्डन के नाम से कोई फायर एनओसी का आवेदन ही नहीं मिला है।
स्टेप बाई स्टेप चल रहा है अवैध कालोनी का काम
प्राधिकरण के जोन बी-2 में जिस अवैध कालोनी का यहां जिक्र किया गया है उस कालोनी में इस इलाके के चर्चित भूमाफिया का भी इन्वेस्ट बताया जाता है। सुनने में तो यहां तक आया है कि इस भूमाफिया के बगैर जोन बी के जितने भी इलाके हैं उनमें ना तो कोई अवैध कालोनी कटी जा सकती है और ना ही कोई कांप्लैक्स बनता है। कोई हिमाकत ही नहीं करता। दरअसल यह भूमाफिया संगठित गिरोह की तर्ज पर काम करता बताया जाता है। इसके गिरोह में मेडा के अफसर भी शामिल बताए जाते हैं और कुछ पुलिस वालों का भी नाम चर्चा में रहता है। इसके अलावा यदि किसी खेत पर इसकी नजर पड़ गयी और वो किसान खेत बेचने में आना कानी करता है तो उसका मुंह बंद करने के लिए इसने बाउंसर भी पाले हुए हैं। साम-दाम-दंड-भेद कुछ भी कर यह भूमाफिया अपना काम निकालना जानता है, इसलिए इसके बगैर पूरे जोन बी में कोई भी कामर्शियल निर्माण करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। शायद यही कारण है जो इसके व इसके करीबियों के किसी भी अवैध निर्माण की ओर प्राधिकरण के हनक तक रखने वाले अफसर आंख उठाकर देखने की हिम्मत तक नहीं कर पाते। जो अफसर अवैध निर्माण को जाकर देखने तक की हिम्मत नहीं जुटा पाते हो उनसे भला कैसे उम्मीद की जा सकती है कि वो जेसीबी भेजकर अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की हिम्मत दिखाएंगे।
