अफसरों ने लगा दिया खजाने को चूना

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अफसरों ने लगा दिया खजाने को चूना, करीबी ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार के अच्छे दिन लाने को कैंट बोर्ड मेरठ के उच्च पदस्थ ने सरकारी खजाने को करोड़ों के राजस्व का चूना लगा डाला। नौबत यदि भारत सरकार को चूना लगाने तक ही सीमित होती तो भी गनीमत थी, ठेकेदार के लिए एक साल के ठेका दिए जाने की जो आमतौर पर सरकारी महकमों में रिवायत चली आ रही है, उसको भी तार-तार कर दिया। इस ठेकेदार को तीन साल के लिए  होर्डिंग व यूनिपोल का ठेका दे दिया। रक्षा मंत्री से केवल शिकायत ही नहीं की गयी बल्कि ठोस साक्ष्य भी भेजे गए हैं जिसके चलते आशंका है कि अच्छे दिन जाने वाले हैं।

यह है पूरा मामला

शहर के सिविल लाइन के पुरानी मोहनपुरी में रहने वाले सुनील कुमार पुत्र जीत सिंह ने कैंट बोर्ड अफसरों के इस राजस्व घोटाले का ना केवल पर्दाफाश किया है, बल्कि ब्लैक लिस्टेड बताए जा रहे ठेकेदार पर धनवर्षा कराने और सरकारी खजाने में राजस्व के इस अकाल के लिए अफसरों  की स्क्रिप्ट से भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को अवगत करा दिया है। माना जा रहा है कि पहले से घपले और घोटालों को लेकर सीबीआई जांच का सामना कर रहे कैंट बोर्ड के अफसर आने वाले दिनों में नयी मुसीबत में फंसने जा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि सरकारी महकमे में तमाम सबसे गंभीर अपराध सरकार को राजस्व की हानि पहुंचाने का माना जाता है और ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार की छद्म विज्ञापन कंपनी को ज्यादा रेट का ठेका लेने वाले ठेकेदार को ड्राप कर कम रेट पर ठेका देकर कैंट बोर्ड मेरठ के अफसरों ने इसी श्रेणी का वित्तीय अपराध करने का षड़यंत्र किया है।

सीईओ कैंट को किया था आगाह

बकौल सुनील कुमार सरकारी खजाने को राजस्व की हानि पहुंचाने के लिए अफसरों ने जो कुछ भी कारगुजारियां अंजाम दी हैं, उसको लेकर उन्होंने स्वयं सीईओ कैंट ज्योति कुमार को आगाह किया था। उन्होंने बताया कि प्रधान इन्फ्रावेन्चर्स द्वारा ई-टेंडरिंग द्वारा यूनिपोल विज्ञापन के ठेका लेने के संबंध में सीईओ कैंट से संपर्क कर उन्हें आगाह किया कि जो ठेका उनके स्तर से सालाना मात्र तेइस लाख में छोड़ दिया गया है वह उस ठेके को सालाना अस्सी लाख में लेने को तैयार हैं। इतना ही नहीं यह भी प्रस्ताव था कि यदि ई-टेंडरिंग होती है तो ठेके की रकम और भी ज्यादा करने को राजी है लेकिन आगाह किए जाने के बाद भी सीईओ ने इस घोटाले को गंभीरता से नहीं लिया। इस बीच मीडिया में ठेके को लेकर कुछ समाचार आए तो ठेका निरस्त कर नया ठेका 20 सितंबर 023 को जारी कर दिया।

ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार छद्म कंपनी

इस बड़े वित्तीय अपराध का आरोप लगाते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भेजे गए पत्र में सुनील कुमार ने ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार को लेकर काफी चौकाने वाली जानकारियां भी साथ ही अपराधिक इतिहास से भी अवगत कराया। रक्षा मंत्री को भेजे गए पत्र में बताया गया है कि ज्ञानेन्द्र चौधरी व सचिन चौधरी जो पूर्व में यूनिपोल/होर्डिंग ठेकेदार (फर्म अभिनव एडवरटाइजिंग प्रा. लि. ) थे, कि अब माफिया वाली पहचान है। इंडियन आयल के गोदामों से सुरंग बनाकर तेल चोरी के मामले में जेल भी जा चुके हैं, गुपचुप सेटिंग कर इनकी छद्म फर्म को मात्र पचपन लाख सालाना में तीन साल के लिए यह ठेका दे दिया, सुनील का कहना है कि जबकि वह एक करोड़ सालाना से ज्यादा की रकम देने को तैयार थे।

गैर जरूरी शर्त दी थोप

रक्षा मंत्री को अवगत कराया गया है कि ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार की छद्म फर्म पर धन वर्षा कराने के लिए सीईओ ने तीन साल के सरकारी काम के अनुभव की गैर जरूरी शर्त जोड़ दी, जबकि सुनील का कहना है कि उनकी फर्म नगर निगम मेरठ जैसे बड़ी सरकारी प्रतिष्ठान के लिए ठेकेदारी कर रही है।

करेप्शन का नया रिकॉर्ड 

पत्र में गंभीर आरोप लगाते हुए सुनील कुमार ने इस पूरे मामले को नए करेप्शन की संज्ञा देते हुए रक्षा मंत्री को अवगत कराते हुए जानकारी दी कि बोर्ड बैठक के द्वारा फानिक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड, गाजियाबाद को तीन साल के लिए पचपन लाख सालाना की दर से तीन साल के लिए दिया गया है, जबकि यही ठेका ई टेंडरिंग की मार्फत एक से सवा करोड़ा सालान के रेट पर जाना तय था। सुनील का कहना है कि वह खुद इस रेट पर यह ठेका लेने को तैयार थे, लेकिन करेप्शन के नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे कैंट प्रशासन के उच्च पदस्थ जो पहले सीबीआई जांच में फंसे हुए हैं और जेल भी जा चुके हैं, भ्रष्टाचार के नए-नए आयाम स्थापित कर रहे हैं।

हजूर सीबीआई जांच करा दो

रक्षा मंत्री को पूरे मामले से अवगत कराते हुए सुनील ने कहा है कि मामला सरकारी खजाने को वित्तीय हानि का है इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच करा दी जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। उन्होंने ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार की छद्म कंपनी  को कथित रूप से दिए गए ठेके को निरस्त किए जाने व सिक्योरिटी मनी जब्त कराए जाने की भी मांग की है।

सीईओ बोले नहीं

इस संबंध में कैंट बोर्ड के सीईओ ज्योति कुमार से जानकारी ली गयी तो उन्होंने बताया कि ऐसा कुछ नहीं है जैसा कि कहा जा रहा है।

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