बिल्डर मित्रों की मदद को अफसरों ने खर्च कर डाले छह करोड़

kabir Sharma
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मेरठ/ शहर के कुछ अफसरों जिनमें बड़ी तादात मेरठ विकास प्राधिकरण के अफसयरों की थी, ने अपने करीबी बिल्डरों को बहुमंजिला फ्लैट वाली कालोनियां बनाने में मदद का रास्ता निकालने को करीब दस साल पहले सरकारी खजाने से छह करोड़ का उस हाईड्रोलिक प्लेट फार्म मशीन पर खर्चा करा दिया जो पुलिस लाइन में सालों तक सफेद हाथी की मानिंद खड़ी हुई धूल फांकती रही। उससे कोई काम नहीं लिया जा सका। उसके रखरखाव और ड्राइवर की फीस के नाम पर एक बड़ी रकम हर माह खर्च की जाती रही। बहुमंजिला इमारतों में आग की घटना पर काबू पाने के नाम पर खरीदी गई इस फायर ब्रिगेड मशीन को कुछ समय पहले नोएडा भिजवा दिया गया।


मेरठ विकास प्राधिकरण सरीखे कुछ विभागों के अफसरों का अपने करीबी बिल्डरों को मदद पहुंचाने के नाम पर खेला गया यह खेल सरकार को उस वक्त छह करोड़ का पड़ा। आग लगाने सरीखी घटनाओं में तो इस मशीन का कितना यूज किया गया, इसका ब्यौरा पुलिस लाइन में बैठने वाले फायर ब्रिगेड अफसरों के पास नहीं है, उन्हें तो बस इतना पता है कि इस मशीन को नोएडा पहुंचा दिया गया है, वहीं के लिए यह उपयुक्त भी है। लेकिन इस सब के बीच मेरठ विकास प्राधिकरण के अफसरों ने अपने करीबी बिल्डरों के जो हमेशा अफसरों पर धनवर्षा को आतुर रहते हैं, उनके लिए बहुमंजिला फ्लैट वाली इमारतों के नक्शे पास करने का रास्ता जरूर तलाश लिया है।


बताया गया है कि साल 2005/6 से पहले मेरठ विकास प्राधिकरण में बहुमंजिला इमारतों के मानचित्र इसीलिए पास नहीं किए जाते थे क्योंकि आग सरीखी घटनाओं की स्थित में उन पर काबू पाने के उपकरण यहां मौजूद नहीं थे। हाईड्रोलिक प्लेट फार्म पुलिस लाइन में आने के बाद आग की किसी बड़ी को उसकी मदद से काबू पाया गया हो ऐसा कोई ब्योरा पुलिस लाइन में फायर ब्रिगेड कार्यालय में नहीं मिला, लेकिन मेरठ विकास प्राधिकरण में बहुमंजिला फ्लैट वाली दर्जनों इमारतों के मानचित्र स्वीकृत करने का ब्योरा जरूर मिल जाएगा। यह बात अलग है कि इन इमारतों से किसी में भी कभी उस मशीन का प्रयोग पर आग की घटना पर काबू नहीं पाया गया।


दस साल पहले करीब छह करोड़ की लागत से फायर सर्विस के लिए खरीदा गया हाइड्रोलिक प्लेट फार्म (बहुमंजिला इमारतों में आग की घटनाओं पर काबू पाने वाली विशाल दमकल गाड़ी, जिसमें अत्याधुनिक उपकरण और भारी भरकम सीढ़ियां लगी होती हैं ) पुलिस लाइन स्थति फायर ब्रिगेड सेंटर से नोएडा पहुंचा दिया गया है। शासन के निर्देश पर हाईड्रोलिक प्लेटफार्म को नोएडा पहुंचाया गया है। दस साल पहले तत्कालीन अखिलेश सरकार की पहल पर मेरठ के फायर ब्रिगेड कर्मियों के लिए आग की घटनाओं पर काबू पाने के लिए तब करीब छह करोड़ की लागत से यह खरीदा गया था। इस डील में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले तत्कालीन सीओ फायर सोनी ने बताया कि हाइोलिक प्लेट फार्म आॅन डिमांड विदेश से मंगाया गया था। उन्होंने बताया कि इस प्रकार की मशीनें कंपनी आॅन डिमांड तैयार कराती है। इसके मिलने के बाद उम्मीद की गई थी कि ऊंची-ऊंची बिल्डिंगों में आग सरीखी घटनाओं पर काबू पाने के लिए इससे मदद मिल सकेगी, लेकिन मदद मिलना तो दूर की बात रही यह मेरठ पुलिस लाइन से फिलहाल नोएडा पहुंचा दिया गया है। उस दौरान केवल इसके अलावा कई फायर ब्रिगेड के लिए कई अन्य उपकरण व गाड़ियां खरीदी गई थीं।


पुलिस लाइन में अरसे तक फायर हाइड्रोलिक प्लेट फार्म सफेद हाथी की मानिंद खड़ा रहा। इसका यूज तो मेरठ में किया नहीं गया। आग की कुछ घटनाओ में फायर ब्रिगेड का स्टॉफ जहां-जहां भी इस गाड़ी को लेकर पहुंचा वहां भौगालिक स्थिति के चलते वह आग पर काबू पाने में कारगर साबित नहीं हो सकी। कुछ जगह तो इतनी ज्यादा तंग या घनी आबादी के बीच इसको ले जाया गया कि वहां यह खुल ही नहीं सकी।

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