बातें लाखों लाख करोड़ की बेगमपुल से बच्चापार्क तक का डिवाइडर तक पुरसा हाल नहीं
मेरठ। शहर के विकास के नाम पर लाखों लाख करोड़ के खर्च की बात करने वाले अफसरों की बातें और दावें दोनों ही हवाई नजर आते हैं। महानगर का मुख्य मार्ग बच्चापार्क से बेगमपुल तक की बात करें तो यहां के डिवाइडर और रोड पर लोहे की जालियां लगवाई गयी थीं। ये बीते एक साल से ज्यादा का अरसा होने का आया टूटे पड़े। शहर के विकास के नाम पर लाखों लाख खर्च करने की बात करने वाले अफसरों की शहर के विकास को लेकर वो कितने गंभीर और सजग है उसकी यह वानगी भर है। बेगमपुल से लेकर बच्चापार्क तक का रास्ता यह एक बहुत छोटा सा हिस्सा है। ऐसा नहीं कि “हैकाथॉन 2.0 मेरठ 2047” में जो अफसर खासतौर से नगर निगम और मेरठ विकास प्राधिकरण इनका नाम इसलिए लिया जा रहा है क्योंकि महानगर के विकास की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधो पर है, लेकिन विकास को लेकर लोगों की परेशानियों को लेकर ये अफसर कितने सजग है, बेगमपुल से लेकर बच्चापार्क तक के रास्ते की डिवाडर की दुर्दशा देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सिलसिले वार बता देते हैं।बेगमपल से शुरू करते हैं। बेगमपुल से लेकर सोतीगंज वाले चौराहे तक करीब दो साल पहले डिवाइडर के सौन्दर्यीकरण का कार्य नगर निगम ने कराया था, उसके बाद आकर कभी झांकर भी नहीं देखा कि जो चीजें लगायी गयी थी कहां गयीं। सोतीगंज चौराहे से आगे गंगाप्लाजा के सामने से नगर निगम का कोई डिवाडर ही या तो चोरी कर ले गय या उसको डेमेज कर दिया। डिवाडर पर लोहे के जालियां लगायी गयी थीं उनके अब केवल अवशेष रह गए हैं और अवशेष भी ऐसे जो मिट्टी में मिला दिए गए हैं। मिट्टी में कैसे मिला दिए गए यह भी बता देते हैं। देखभाल ना किए जाने की वजह से लोहे को स्ट्रक्चर लगाया गया था वो ज्यादतर हिस्सों से गायब है या फिर कोई उखाड़ कर ले गया। गंगा प्लाजा के सामने व्यापारियों ने जिस स्थान पर डिवाइडर के ऊपर लोहे की जाली व जंगले लगाए थे वहां पर प्लास्टिक का तार बांध दिया है। इसको टाट के पैबंद की मानिंद भी देखा जा सकता है। कुछ आगे चलेंगे तो जीआईसी के सामने और भी बुरा हाल है। वहां लोग सड़क के इस पार से उस पार जाने के लिए बजाए घूमकर आने के डिवइडर से ही दो पाहिया और चार पहिया वाहनों को कूद देते हें। क्योंकि यहां डिवाइडर पूरी तरह से सड़क से मिल गया है लोहे की जालियां तो वहां से गायब हैं। इस रोड पर डिवाइडर की यह देशा बच्चापार्क चौराहे तक देखने को मिलेगी।
चोरी हो गया डिवाइडर

नगर निगम ने बच्चापार्क से बेगमपुल तक जो डिवाइडर लाखों खर्च कर बनवाया था वो चोरी हो गया। चोरी होना अलग बात है और चोरी से निगम अफसरों को बेखबर होना अलग बात है। केवल डिवाइडर ही नहीं बनवाया उसका सौन्दर्यीकरण भी कराया गया था। इस पर ठीकठाक खर्चा किया गया। लेकिन जितना भी पैसा इस काम पर सरकारी खजाने से खर्च किया गया वो सब बेकार हो गया, क्योंकि डिवाइडर चोरी हो गया है। उसके केवल अवशेष मात्र बच्चापार्क चौराहे पर नजर आतें, यह बात अलग है कि इस चोरी से वाहन को इधर उधर कूदाने में आसानी हो गयी है।
हादसों को न्यौता

जिन जालियों के टूटने की बात बतायी जा रही है उनकी वजह से आए दिन यहां हादसे होते हैं। दरअसल ये लोहे के जाली व जंगली टूटकर सड़क की ओर झुक गए हैं। जीआईसी के सामने पथ प्रकाश व्यवस्था के लिए लगाया गया बिजली का खंभा भी डिवाइडर पर ही बेहद खतरनाक तरीके से पड़ा है। इनकी चपेट में आकर यहां से गुजरने वाली गाड़ियां अक्सर हादसों का शिकार होती हैं। जो लाेग कभी कभार यहां से होकर निकलते हैं वो अक्सर इन टूटे रेलिंग के सरियों की वजह से दुर्घटना ग्रस्त होते हैं।
दिन भर गुजरते फिर भी हैं बेखबर

बच्चापार्क से लेकर बेगपुल तक का हिस्सा ऐसा है जहां से सिस्टम के उच्च पदस्थ अधिकारी, मेरठ विकास प्राधिकरण और नगर निगम के तमाम अफसरों की गाड़ियां अक्सर गुजरती हुई देखी जाती हैं, लेकिन शहर के विकास के नाम पर लाखों लाख करोड़ खर्च करने की प्लानिंग करने वाले इन अफसरों को इस छोटी लेकिन मुख्य सड़क के डिवाइडर की बदहाली नजर नहीं आती है। अफसर ही क्यों मंत्री, सांसद, विधायक और तमाम नेताओं की गाड़ियां भी यहां से होकर गुजरती हैं, किसी को भी टूटे डिवाडर नजर नहीं आते। तभी तो कहते हैं कि अफसरों की बातें किताबी और दावे हवाई होते हैं।
यह कहना है बेगमपुल व्यापार संघ अध्यक्ष का

बेगमपुल व्यापार संघ के अध्यक्ष पुनीत शर्मा का कहना है कि टूटे डिवाइरों की वजह से अनेक बार हादसे हो चुके। कई बाद बेहद गंभीर चोटें बाइक व स्कूटी सवाराें को लगी है। इनकी वजह से लोगों की जान पर बन आती है। शिकायत के बाद भी इन्हें ठीक नहीं किया जा रहा है। हर स्तर पर शिकायत की जा चुकी है, लेकिन कहीं कोई सुनवाई को तैयार नहीं। अराजकता कायम है सरकारी महकमों में।
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