फुदकें नहीं अभी राय ली जाएगी

kabir Sharma
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मेरठ। सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर सेंट्रल मार्केट ध्वस्तीकरण प्रकरण मसलन जो अवैध बिल्डिंग तोड़ी जानी है उसको लेकर बात कर रहे हैं, जिस फौरी राहत को लेकर यहां से लश्कर लखनऊ भेजा गया था, उसको लेकर क्लियरकट बता दिया गया है कि अभी मुंह मांगी मुराद नहीं, हां इतना जरूर है जो भी सरकार के कानूनी सलाहकार हैं उनको पूरे मामले की जानकारी देकर राय मांगी जाएगी। क्योंकि मामला सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर ध्वस्तीकरण से जुड़ा है और आदेश में यह भी कह गया है कि आदेशों के अनुपालन में यदि अफसरों से भी ढिलाई हुई तो अवमानना तय है, यानि आवास विकास परिषद के अफसर भी नहीं बख्शे जाएंगे, यही वजह है कि लोकल स्तर पर नेता भले ही कुछ भी दावें कर रहे हों, लेकिन उच्च पदस्थ किसी प्रकार की हल्की बात नहीं कर रहे हैं, इसीलिए सिर्फ इतना कहा गया है कि सरकार के सलाहकारों से बात की जाएगी कोई रास्ता निकलता होगा तो जरूर निकालेंगे वर्ना सुप्रीमकोर्ट का ध्वस्तीकरण आदेश तो अभी तक सुप्रीम है। वजह भले ही कोई भी हो यदि मौका योगी आदित्यनाथ सरीखे नेता से मिलने का मिले तो कौन नहीं मिलना चाहेगा, जितने भेजे उससे भी दो गुने भेज दीजिए। अहसान मानिये राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी का जो यह मुलाकात भी ऐरेंज करा दी।

किसी झांसे में नहीं रखा गया है दो टूक बता दिया गया है कि अभी बात कर लें कुछ हो सकता है या नहीं। इसलिए यदि कोई लखनऊ से आकर कुछ कहे नहीं जी सब ठीक हो जाएगा तो फुदकने की जरूरत नहीं है, फुदकना जब शुरू करें जब सुप्रीमकोर्ट खुद ही राहत भरा कोई पैगाम दे दे, वर्ना अभी तक ध्वस्तीकरण का सुप्रीमकोर्ट का आदेश सुप्रीम बना हुआ है। किसी भी अर्जी पर सुनवाई का वक्त मिल जाना भी राहत ना मानी जाए और रही बात सीएम से मुलाकात की, तो शुक्रिया बोले उन्हें जिन्होंने मुहिम शुरू कि और यहां तक कह दिया कि सेंट्रल मार्केट के गिरने की नौबत आएगी तो मेरठ को बेमियादी बंद करा देंगे। जिन्हें यह कहना या करना चाहिए था फिर उनकी भी मजबूरी बन गयी या कहें जो मेरठ बंद करा देने की मुहिम चला रहे थे, उन्होंने मजबूर कर दिया।

14 मई तक टेंडर डाले जा सकते हैं जो अगले दिन खोले जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के ध्वस्तीकरण के आदेश और विभाग के टेंडर जारी करने के बाद व्यापारियों में बेचैनी और बढ़ गई है।

आवास एवं विकास परिषद की शास्त्रीनगर स्कीम संख्या 7 के तहत ही सेंट्रल मार्केट आता है। इसमें सेक्टर-2 व सेक्टर-6 का मुख्य मार्ग मुख्य रूप से सेंट्रल मार्केट माना जाता है। आवास विकास ने दिसंबर-2024 में सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट रखी जिसमें कहा कि आवास विकास की इस स्कीम में 6379 स्वीकृत आवासीय संपत्तियां हैं। इनमें से 860 संपत्ति ऐसी हैं, जिनमें व्यावसायिक प्रयोग हो रहा है। सेंट्रल मार्केट में सराफा, डेयरी, रेडीमेड गारमेंट्स, मर्चेंट स्टोर आदि हैं। कई लोगों ने क्षेत्र में निचले तल पर शोरूम बना लिए हैं और ऊपरी तल पर रिहाइश है। अफसरों से सांठगांठ करके बड़े पैमाने पर गली-गली में भी दुकानें, शोरूम बन रहे। याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने राजेंद्र कुमार बड़जात्या की याचिका पर सुनवाई करते हुए दुकानदारों को राहत नहीं दी है। 17 दिसंबर 2024 को 661/6 के ध्वस्तीकरण के आदेश न्यायाधीश जेबी पारदीवाला व आर. माधवन की खंडपीठ ने किए थे। दुकानदारों के दुकानें खाली न करने पर ऐतराज जताया और याची को अदालत की अवमानना का भी दोषी माना है। मामले से जुड़ी सभी लंबित याचिकाएं भी निस्तारित करने के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि केवल अवैध कॉम्पलेक्स ही नहीं पूरा सेंट्रल मार्केट ध्वस्तीकरण की जद में आ रहा है। विभाग के मुताबिक 1473 आवासीय संपत्ति में व्यावसायिक प्रतिष्ठान बनाए गए हैं। ऐसे में इन सभी पर ध्वस्तीकरण के बादल मंडराने लगे हैं।

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