गुजरा भत्ता सोच समझ कर करें आदेश

गुजरा भत्ता सोच समझ कर करें आदेश
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गुजरा भत्ता सोच समझ कर करें आदेश,

-गुजारा भत्ते का आदेश देने से पहले लें आय-व्यय का ब्यौरा, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट को दिया बड़ा आदेश

-प्रदेश के सभी फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीशों को आदेश, हाई कोर्ट ने मंगाई 10 जून तक सील कवर रिपोर्ट, पति-पत्नी को भी आय-व्यय की जानकारी देने का निर्देश,

मेरठ, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश के तमाम फैमिली कोर्ट को आदेश दिया है कि एलीमनी एकाउंट तय करने से पहले पति और पत्नी के आय-व्यय का ब्योरा देख लें। हाई कोर्ट ने रजनेश बनाम नेहा केस में दिए गए निर्देशों के अनुपालन की रिपोर्ट कोर्ट ने मंगाई है। जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पति-पत्नी के बीच एलीनमी अमाउंट निर्धारित किए जाने के दौरान दोनों पक्षों की आय-व्यय की स्थिति पर गौर करने का आदेश दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश की सभी परिवार अदालतों से सुप्रीम कोर्ट के रजनेश बनाम नेहा केस में दिए गए निर्देशों के अनुपालन की रिपोर्ट मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि गुजारा भत्ता आदेश देने से पहले पति-पत्नी की आय एवं व्यय का ब्योरा हलफनामे के साथ लेकर कोर्ट आदेश जारी करें। इस आदेश की अधिकांश परिवार अदालतों की ओर से अवहेलना करने की प्रवृत्ति को हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। प्रदेश के सभी प्रधान परिवार न्यायाधीशों से अगली सुनवाई की तिथि 10 जून तक अनुपालन रिपोर्ट मांगी है।
हाई कोर्ट ने परिवार अदालत औरैया के पत्नी को गुजारा भत्ता देने के आदेश की वैधता की चुनौती में पति की पुनरीक्षण याचिका पर पति-पत्नी दोनों को अपनी संपत्ति व जिम्मेदारी के ब्योरे के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने निर्मल कुमार फूकन की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। सरकारी वकील का कहना था कि परिवार अदालत ने बिना आय व्यय का दोनों पक्षों से ब्योरा लिए गुजारा भत्ता का आदेश देकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की है। यह आदेश कानून के शासन के विपरीत है।

सभी अदालतों में आया है सुप्रीम कोर्ट का आदेश

कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सभी संबंधित अदालतों को भेजा गया है। प्रशिक्षण भी आयोजित किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के महासचिव ने सभी हाईकोर्ट के महानिबंधक को आदेश का अनुपालन करने के लिए पत्र भी लिखा है। हाई कोर्ट की प्रशासनिक कमेटी ने भी महानिबंधक के मार्फत सभी जनपद अदालतों को आदेश के पालन का निर्देश दिया है। जिस पर कोर्ट ने प्रधान न्यायाधीश परिवार अदालत औरैया सहित सभी परिवार अदालतों से सील कवर अनुपालन रिपोर्ट मांगी है।
साथ ही, हाई कोर्ट ने सफाई भी मांगी है कि अदालतें आदेश को क्यों नहीं समझ पा रही हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे कई मामले कोर्ट में आने के कारण न्यायिक आदेश देने को विवश होना पड़ा है। कोर्ट ने निबंधक अनुपालन को आदेश की प्रति सभी परिवार अदालतों के प्रधान न्यायाधीशों को अनुपालन हेतु भेजने का निर्देश दिया है।

गुजरा भत्ते को ना

एक MBA महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट में अंतरिम गुजारा भत्ता के लिए अर्जी लगाई। घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत महिला की अर्जी को कोर्ट ने खारिज कर दिया। तर्क दिया कि वह काफी पढ़ी-लिखी है। अपने आय का स्रोत ढूंढने में खुद सक्षम है। पत्नी ने गुजारा भत्ता के तौर पर 50 हजार रुपए महीना की मांग की थी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह पाया कि मेंटेनेंस मांगने वाली पत्नी MBA है और अपने पति के बराबर योग्य है। उसका पति, जो पेशे से डॉक्टर है, लेकिन इस समय बेरोजगार है। गुजारा भत्ता यानी मेंटेनेंस को लेकर आमतौर से लगता है कि इसे तलाक के बाद पति अपनी पत्नी को देता है।

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