भारत के विरोध के बाद भी पाकिस्तान की मदद

kabir Sharma
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नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति जंग के दौरान भारत का साथ देने की बात करते हैं पाकिस्तान को फटकार भी लगाते हैं, लेकिन जब IMF से पाकिस्तान को कर्ज की बात आती है तो अमेरिका दुनिया की इस संस्था पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने के बजाए मौन स्वीकृति दे देता है। जब पाकिस्तान को कर्ज की बात आयी तो भारत ने पूरी दुनिया को समझाया कि इस रकम का यूज पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए करेगा। उम्मीद की जा रही थी कि कम से कम अमेरिका जो IMF को बड़ी फंडिंग करता है भारत की चिंता को समझेगा। राष्ट्रपति ट्रंप जो पीएम मोदी को अपना दोस्त बताते नहीं अघाते उन्होंने भी पाकिस्तान को कर्ज के मामले में भारत की चिंता को अनदेखा ही किय है। ट्रंप का यह दोहरा रवैया भारत की समझ से परे है। यह कोई पहली बार नहीं है। पाकिस्तान के मामले में अमेरिका का दिल में कुछ और जुंबा पर कुछ और होता है। यह कोई पहली बार नहीं हुआ है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से उसे नए कर्ज देने का विरोध किया। भारत ने कहा कि आईएमएफ भारत ने कहा कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को लगातार बढ़ावा देता है। उसे कर्ज दिया जाता है तो वित्तपोषण एजेंसियों और कर्जदाताओं की प्रतिष्ठा पर भी आंच आती है। भारत ने यह भी का कि कहा कि 1989 के बाद से ही पाकिस्तान को लगातार आईएमएफ से धन मिलता रहा है। लेकिन उसका सही उपयोग नहीं हुआ। इसके अलावा, पाकिस्तान के आर्थिक मामलों में उसकी सेना का बहुत अधिक दखल है। इससे सुधार के लिए दिए जाने वाले कर्ज के दुरुपयोग का खतरा भी अधिक है। जाएगी।

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