पीडी मध्य कमान पर भारी कारगुजारी

कैंट बोर्ड: अब मुसीबत होगी शुरू
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पीडी मध्य कमान पर भारी कारगुजारी, देश भर की तमाम छावनियों में मेरठ कैंट बोर्ड की किरकिरी का सबव बना बाउंड्री रोड स्थित बंगला 22-बी को ट्रेड लाइसेंस प्रकरण के कसूरवारों को कैंट बोर्ड प्रशासन द्वारा क्लीनचिट दिए जाने का मामला प्रिंसिपल डायरेक्टर यानि पीडी मध्य कमान की चौखट तक पहुंच गया है। इस पूरे खेल को लेकर एक शिकायत रक्षा मंत्रालय को भी भेजी गयी है। इस शिकायती पत्र में भाजपा के एक बड़े जनप्रतिनिधि का लैंटर भी नत्थी करते हुए रक्षा मंत्रालय से मामले की जांच कराए जाने का आग्रह किया गया है। जानकारों की मानें तो रक्षा मंत्रालय को भेजे गए इस पत्र में बाउंड्री रोड के बंगला 22-बी जिसको हाईकोर्ट ने सील किए जाने के आदेश दिए थे तथा फाइलों में सील होने के बाद भी वहां कैसे होटल 22-बी का अवैध निर्माण हो जाता है। और फिर कैसे तमाम कायदे कानून ताक पर रखकर अवैध होटल को कैंट बोर्ड प्रशासन ट्रेड लाइसेंस जारी करने का खेल करता है। खेल पर किस करीने से पर्दा डाल दिया जाता है और जब यहां पीडी मध्य कमान के निर्देश के निर्देश पर डायरेक्टर डीएन यादव जांच के लिए मेरठ आते हैं और वह किस प्रकार 22-बी को ट्रेड लाइसेंस जारी किए जाने के खेल को बेपर्दा करते हैं। यह सारी चीजें रक्षा मंत्रालय को भेजी गयी शिकायत में उल्लेख की गयी हैं। साथ ही यह भी कि इस मामले में जिन्हें बोर्ड बैठक में अध्यक्ष/कमांडर जिन बोर्ड कर्मियों को कसूरवार ठहराते हैं उन्हें कैसे 23 फरवरी 2023 को हुई बोर्ड बैठक में क्लीनचिट दिए जाने का खेल किया जाता है। ये तमाम बातें बिंदुवार बिस्तार से उल्लेख करते हुए रक्षा मंत्रलाय से संज्ञान लेने का आग्रह करते हुए कार्रवाई का अनुरोध किया गया है। वहीं दूसरी ओर अब यह भी कहा जा रहा है कि इस पूरे मामले में खेल का खुलासा होने के बाद इतना तो तय हो गया है कि कैंट बोर्ड के अध्यक्ष व सीईओ सरीखे अफसर खुद को पीडी मध्य कमान से ऊपर मानने लगे हैं। जानकारों ने बताया कि दरअसल ऐसे मामलों की सुनवाई की शक्ति केवल पीडी मध्य कमान को ही निहित है। 22-बी ट्रेड लाइसेंस प्रकरण में मेरठ कैंट बोर्ड के जिन कर्मियों पर कार्रवाई की गयी है, उन्हें रियायत देने की शक्ति कैंट एक्ट में केवल पीडी मध्य कमान स्तर के अधिकारी को है। उसकी भी बाकायदा एक प्रक्रिया तय है। मसलन पहले अपील की जाएगी, फिर दलील पेश करने का मौका दिया जाएगा, उसके बाद विवेकानुसार पीडी मध्य कमान कोई निर्णय ले सकते हैं। लेकिन इस मामले में पीडी मध्य कमान को बाईपास करते हुए जिस प्रकार से तमाम कायदे कानून ताक पर रखकर क्लीनचिट थमा दी गयी वो वाकई  दुस्साहस की श्रेणी में शामिल किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि  ना अपील ना दलील क्लीनचिट, 22-बी ट्रेड लाइसेंस प्रकरण में कसूरवार टहराए गए बोर्ड कर्मियों पर कार्रवाई के इतर उन्हें क्लीनचिट देने का खेल कर दिया गया है। जिसके चलते कहा जा रहा है कि अब  मेरठ कैंट बोर्ड के प्रशासन के अध्यक्ष/कमांडर व सीईओ सरीखे उच्च पदस्थ अफसर केवल प्रिसिंपल डायरेक्टर मध्य कमान ही नहीं बल्कि रक्षा मंत्रालय से भी खुद को ऊपर मान रहे हैं। ऐसा कहने के पीछे ठोस कारण भी है। मामला बहुचर्चित व कैंट प्रशासन के अफसरों के भ्रष्ट कारनामों की जीती जागती इबारत मेरठ छावनी के बाउंड्री रोड स्थित होटल 22-बी को ट्रेड लाइसेंस जारी करने के आरोपी अफसरों से जुड़ा है। याद रहे कि शिकायतों की लंबी फेरिस्त के बाद रक्षा मंत्रालय ने पीडी मध्य कमान को जांच के लिए निर्देश दिए थे। पीडी के निर्देश पर डायरेक्टर डा. डीएन यादव मेरठ आए थे और जांच की थी। उसी दौरान बंगला 22 बी जिसमें अवैध होटल बना दिया गया है, में कैंट के तमाम अफसरों की कारगुजारी डीएन यादव ने पकड़ी थी। यह पूरा मामला 22-बी के होटल को ट्रेड लाइसेंस जारी किए जाने से जुड़ा था। जिस 22 बी के अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जाना चाहिए था, उसको ट्रेड लाइसेंस जारी कर दिया गया। इस गुनाह के हमाम में कैंट प्रशासन के तमाम अफसरों को डीएन यादव ने बेपर्दा कर दिया था। जिसकी गूंज रखा मंत्रालय तक सुनाई दी थी। बाद में कमांडर ने आरोपी तमाम कसूरवार ठहराए गए अफसरों पर अलग-अलग कार्रवाई की थी। लेकिन 22-बी ट्रेड लाइसेंस प्रकरण में जिन्हें कसूरवार ठहराया गया था। उन तमाम अफसरों को अब क्लीन थमाने का खेल कर दिया गया है। क्लीनचिट प्रकरण के सामने आने के बाद बोर्ड के अध्यक्ष/कमांडर व सीईओ के इस निर्णय पर सवाल उठ रहे हैं। इसको लेकर स्टाफ में भी खासी सुगबुगाहट है। गुनाहगार ठहराए गए अफसरों को क्लीनचिट देने के लिए बोर्ड प्रशासन के उन अफसरों ने खेल कर दिया, जिन्होंने कार्रवाई की थी। और खेल भी ऐसा किया कि किसी भनक तक नहीं लगे, लेकिन अब यह उजागर हो गया है। दरअसल हुआ यह कि कैंट बोर्ड की 23 फरवरी की बैठक में बगैर किसी ऐजेंडा के आरोपियों को राहत का प्रस्ताव पारित कर दिया गया।  22-बी को ट्रेड लाइसेंस प्रकरण में डीएन यादव की जांच में कसूरवार ठहराए गए तमाम बोर्ड कर्मियों को क्लीनचिट दे दी गयी। बात केवल क्लीनचिट की होती तो भी गनीमत थी। क्लीनचिट से पहले ना तो किसी अपील न दलील की तक की जरूरत नहीं समझी गयी। सीधे क्लीनचिट का फरमान जारी कर दिया गया। जानकारों की मानें यह मामला सीबीआई के संज्ञान में लाया जा रहा है। जहां बोर्ड अध्यक्ष से लेकर सभी जिम्मेदार पर कार्रवाई संभव है।

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