
मेरठ। पाकिस्तान के खिलाफ साल 1971 में लड़ी गई जंग में हासिल हुई फतह भारतीय युद्ध के इतिहास में मेरठ छावनी की पाइन डिविजन के नाम दर्ज है। जैसाेर फतह ने उस जंग का नक्शा ही बदल दिया था। पाकिस्तान आर्मी भारत के पैरों पर आ गिरी। उस जंग के बाद मेरठ छावनी की पाइन डिविजन का चर्चा दुनिया भर के फौजी अफसरों के बीच हुआ करता था। हालांकि पाइन डिविजन को उसकी कीमत भी चुकानी पड़ी थी। बंगलादेश का बनना जैसोर फतह की वजह से ही मुमकिन हो सका। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बंगलादेश को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था। अमेरिका का साथ होने के बाद भी पाकिस्तान अपने मुल्क को टुटने से नहीं बचा पाया था।

सन 1971 में भारतीय फौज का नेतृत्व जनरल मानेकशॉ कर रहे थे। पूर्वी पाकिस्तान के जेसौर में दुश्मन फतेह का टारगेट सेना की 9वीं डिवीजन को दिया गया। वहीं नवंबर महीने के अंतिम दिनों भारतीय सेना ने जैसोर की तरफ कूच किया। 21 और 22 नवंबर को सेना की 9वीं डिवीजन ने इस युद्ध में अपना पराक्रम दिखाना शुरू किया तो युद्ध की सूरत बदलने लगी। चार और पांच दिसंबर को भारतीय सेना की पाकिस्तानी सेना से आमने-सामने की लड़ाई हुई। युद्ध में भारतीय सेना की 9वीं डिवीजन ने पाकिस्तानी सेना को नेस्तनाबूद कर दिया। जैसोर पर कब्जे के बाद भारतीय सेना खुलना की तरफ बढ़ गई। 9 डिवीजन के कमांडर मेजर जनरल दलबीर सिंह के नेतृत्व में भारतीय सेना ने वहां भी फतेह हासिल की। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना के हजारों सैनिकों को आत्मसमर्पण करना पड़ा था। इस मुकाबले के बाद भारत पाक की इस जंग का नक्शा पूरी तरह से बदल गया। भारत एशिया का भूगोल बदलने जा रहा था। यह सब दृष्टि पॉलटिकल विल पावर से संभव हो सका। मसलन जंग है तो फिर नफा नुकसान नहीं देखना और यह कर दिखाया था तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने। पाकिस्तान के दो टुकड़े इंदिरा गांधी की देन हैं।
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