पोल खोल रहा अवैध निर्माण व कब्जा, कैंट बोर्ड मेरठ जहां सीईओ बैठते हैं, एई व जेई के अलावा सेनेट्री सेक्शन का पूरा अमला बैठता है उससे चंद कदम की दूरी पर स्थित बंगला नंबर 331 का नक्शा रेजीडेंशियल से कामर्शियल में बदल जाता है और उच्च पदस्थ कैंट अफसरों की नींद नहीं टूटती। दरअसल जुलाई 2016 में 210बी पर कार्रवाई के दौरान 331 रंगसाज मोहल्ला में कुछ डेमेज हो गया था। तब मरम्मत के लिए नक्शा पास करने का निर्णय लिया गया, लेकिन रेजीडेंशियल नक्शे पर कामर्शियल शोरूम खड़ा कर दिया।
यह एक दिन में नहीं हुआ, लेकिन लगता है कि कैंट बोर्ड का पूरा सिस्टम इस दौरान नींद में रहा। केवल कामर्शियल कंस्ट्रक्शन ही नहीं हुआ बल्कि करोडा़ें रुपए की भारत सरकार की जमीन पर अवैध कब्जा भी सेटिंग गेटिंग के माहिर अफसरों ने कर दिया। इस मामले में सीईओ, एई, जेई, सेनेट्री सेक्शन हेड सभी की जिम्मेदारी बनती है। साथ ही यह भी क्या आन रिकार्ड नक्शे के विपरीत निर्माण की रिपोर्टिंग की गयी या फिर हमेशा की तरह लीपापोती। यहां लगे हाथों 210बी को भी याद कर लिया जाए। 210बी मामले में जिस तरह से तत्कालीन कमांडर, सीईओ की फजीहत लीगल सेल जिसकी जिम्मेदारी तब भी दिनेश अग्रवाल व ब्रिजेश सिंहल की थी, उन्होंने क्यों नहीं तत्कालीन अफसरों को कोर्ट के आदेशों की जानकारी दी। इसके अलावा 210 में सभी को कसूरवार माना गया था, लेकिन यहां भी कार्रवाई के सवाल पर अफसरों का दोहरा चरित्र सामने आया। सबसे बड़ी हैरानी जिसकी लापहरवाही की वजह से कमांडर सरीखे उच्च पदस्थ कैंट के सैन्य अफसरों की दुनिया भर व कोर्ट में फजीहत हुई उन पर कार्रवाई के बजाए आज भी उसी लीगल सेल को चलाने वाले खासम खास बने हुए हैं। यह रिश्ता क्या कहलता है। 331 रंगसाज मोहल्ला में नक्शे के विपरीत निर्माण पर कैंट बोर्ड के कार्यालय अधीक्षक जयपाल तोमर से जब उनका पक्ष जानने को तीन बजे के बाद काल किया तो काल रिसीव नहीं हुई। इस प्रकरण ने अवैध निर्माण के खिालाफ दावों की पोल खोल दी है।