पुलिस कहे राहत पब्लिक कहे आफत, बेगमपुल व हापुड़ स्टैंड चौराहा ई-रिक्शा मुक्त कर आसपास के इलाके की बढ़ा दी मुसीबत, नो-एंट्री के बावजूद बेगमपुल व हापुड़ स्टैंड चौराहे पर ई-रिक्शाओं का बना हुआ है कब्जा, दावों के इतर ई रिक्शाओं के लिए ना कोई कायदा ना कानून, शहर के कई इलाकों में बने हैं जाम की वजह, बेगमपुल व्यापार संघ के पुनीत शर्मा का तो यहां तक कहना है कि पुलिस कहे राहत पब्लिक कहे आफत…
मेरठ/ ई-रिक्शाओं को लेकर मुसीबत झेल रहे शहरवासियों को राहत का दावा करते हुए बेगमपुल और भगत सिंह मार्केट को ई-रिक्शाओं के लिए नो एंट्री जोन घोषित कर दिया। उसके पांच सौ मीटर के दायरे में ई रिक्शा के आने जाने पर रोक का एलान कर दिया। रोक का एलान ही नहीं किया गया, बेगमपुल चौराहे की यदि बात करें तो सोतीगंज बेगमबाग चौराहे से आगे ई-रिक्शाओं के जाने की मनाही है। इससे आगे जाने वाले ई-रिक्शाओं को रोकने के लिए ट्रैफिक पुलिस का स्टाफ धूप-गर्मी, सर्दी-बरसात की परवाह किए बगैर मुस्तैद रहता है। सोतीगंज-बेगमबाग चौराहे से आगे ई-रिक्शाएं ना जाए इस बात की गारंटी दी जाती है। इसी तर्ज पर हापुड़ स्टैंड चौराहे पर भी नो एंट्री जोन बनाकर ई-रिक्शाओं पर पावंदी लगा दी गयी है।
यह कैसी ड्यूटी
पुलिस के इतने सख्त पहरे के बाद भी यह बात अगल है कि बेगमपुल के कलकत्ता स्वीट और कई बार तो चौराहे पर पीक आवर में रिक्शा मंडराते हुए नजर आते हैं। बेगमपुल व्यापार संघ के पुनीत शर्मा का तो यहां तक कहना है कि एक ओर तो सोतीगंज-बेगमबाग चौराहे पर सख्ती से ड्यूटी लेकिन दूसरी ओर जब बेगमपुल पर चालक बैकगेयर में लोगों को टक्कर मारते हुए चलते हैं तो समझ में नहीं आता कि जब ई-रिक्शाएं बेगमपुल साइड बैक गेयर में भी दौड़ सकती हैं तो कैसी ड्यूटी की जा रही है। बकौल पुनीत शर्मा यह कोई एक दिन नहीं हर रोज का नजारा है, अब तो हालात इतनी ज्यादा खराब हो गयी है कि बेगमपुल के कारोबारी ई-रिक्शाओं की वजह से खड़ी हुई समस्या से निपटने को आंदोलन की बात तक कहने लगे हैं। कमोवेश यही स्थित हापुड़ स्टैंड चौराहे की है। वहां तो ज्यादा खराब हाल है। यह तो बात हुई ई-रिक्शाओं के लिए नो-एंट्री और दूसरे इंतजामों की अब इसके साइड इफैक्ट पर भी एक नजर डाल लीजिए।
अपने ही घर में हैं बंधक

बेगमपुल और हापुड़ स्टैंड चौराहे पर नो-एंट्री लागू कर इसके आसपास के इलाकों के लोग अपने ही घरों में बंधकों की तरह रहने को मजबूर हैं। उन के सिर पर हर वक्त हादसों का खतरा मंडराता रहता है। बेगमपुल और हापुड़ स्टैंड चौराहा दोनों ही जगह कमोवेश एक सरीखे हालत हैं। बेगमपुल चौराहे से सटा बेगमबाग, शिवाजी रोड, पीएल शर्मा रोड, सोतीगंज, थापरनगर गुरुद्वारा रोड और पैठ एरिया जैसे इलाके हैं। सवारियों को बेगमपुल पहुंचाने के लिए तमाम ई-रिक्शा चालक सोतीगंज की बाधा पार करने के लिए वाया बेगमबाग, शिवाजी रोड, पीएल शर्मा रोड से होकर बेगमपुल पहुंचते हैं। इसके अलावा कुछ सोतीगंज से निकलकर सीधे सदर गंज बाजार, वहां से कबाड़ी बाजार और फिर आबूलेन होते हुए सीधे बेगमपुल पहुंचते हैं। सोतींगज, सदर गंज बाजार व सदर कबाड़ी बाजार तथा आबूलने ये सारे इलाके वो हैं जहां बगैर पीक आवर के भी हमेशा भारी भीड़ रहती है। सोतीगंज पहले से ही बेहद तंग इलाका है, उसमें यदि ई-रिक्शाओं की फौज उतर जाए तो वहां क्या हाल होगा। सबसे बुरा हाल तो बेगमबाग की उन गलियों का है जहां से ई-रिक्शा होेकर गुजरते हैं। इन गलियों में जो रहते हैं वो अपने घरों में बंधक बन गए हैं। उनका कहना है कि करें तो करें क्या जाएं तो जाएं कहां। बेगमबाग की गलियों में दौड़ने वाले इन ई-रिक्शाओं से कई बार तो हादसे तक हो चुके हैं। यही हालत हापुड़ स्टैंड चौराहे से सटे भगत सिंह मार्केट व दूसरे इलाकों की भी है।
सीएम के आदेश तो ठीक हैं, मगर उम्मीद कम

ई-रिक्शाओं से बरपा हो रही मुसीबत से सीएम योगी भी अंजान नहीं हैं, उन्होंने प्रदेश भर में अवैध ई-रिक्शाओं के खिलाफ अभियान के आदेश दिए हैं। 1 अप्रैल यानि मंगलवार से अभियान चलेगा। शहर की बात करें तो करीब 60 हजार ई-रिक्शा चल रहे हैं, इनमें से महज 19 हजार ही वैध बताए गए हैं। पहली बार अभियान नहीं चलने जा रहा है, लेकिन बात यदि अभियानों की करें तो किसी ने कहा है कि मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की..
मामला हाईकोर्ट में
ई-रिक्शाओं को लेकर शहर पर बरपा मुसीबत को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज चौधरी की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई भी चल रही है। मनोज चौधरी ने बताया कि उन्होंने जनहित याचिका में टैफिक पुलिस व आरटीओ अफसरों के अलावा भी कई विभागों को पार्टी बनाया है।
यकीन कीजिए किस पर यकीन में क्या है मुझे पता है मेरी आस्तीन में क्या है
सीएम का फरमान फिर भी किंग पर अफसर मेहरबान