निर्मल से ही धर्म का पालन

निर्मल से ही धर्म का पालन
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9 दिनी जितेन्द्र महार्चना शुभारंभ,

MEERUT/ मेरठ जिला मुख्यालय के कस्बे सरधना में अहिंसक जैन समाज का 9 दिनी जितेन्द्र महार्चना पर्व का शुभारंभ हुआ। इस मौके पर आचार्य सौरभ सागर जी महाराज ने कहा कि जिसके निर्मल मन वाले ही धर्म का पालन करते हैं। उत्तर भारत की धर्मनगरी सरधना के आदर्श नगर स्थित सौरभ सागर संत निकेतन में नौ दिवसीय जिनेन्द्र महार्चना का भव्य शुभारंभ हुआ। यह आयोजन आचार्य श्री सौरभ सागर जी महाराज के पावन सान्निध्य में हो रहा है।  कार्यक्रम की शुरुआत घट यात्रा, ध्वजारोहण और मंडप उद्घाटन से हुई। देवेंद्र जैन और अमित जैन मुलहेड़ा ने ध्वजारोहण किया। मंडप का उद्घाटन सुशील कुमार आयुष जैन सर्राफ ने किया। प्रथम दिन श्री भक्तामर विधान का आयोजन हुआ, जिसमें जनेश्वरदास जैन और अंकुर जैन को सौधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य मिला। सभी मांगलिक क्रियाएं पंडित संदीप जैन ‘सजल’ ने संपन्न कराईं। आचार्य सौरभ सागर ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि धर्म हृदय का रूपांतरण है। यह मात्र बाह्य आचरण का परिवर्तन नहीं, बल्कि आत्मा का जागरण है। उन्होंने लोहे और चुंबक का उदाहरण देते हुए समझाया कि बाह्य क्रियाकांड से वास्तविक परिवर्तन नहीं होता। आचार्य जी ने बताया कि धर्म अभिव्यक्ति नहीं, अनुभूति है। यह जीवन का निचोड़ है और कर्तव्य है। जैसे जल से स्नान करने पर शरीर पवित्र होता है, वैसे ही अहिंसा, संयम और तप रूपी धर्म से आत्मा पवित्र होती है। उन्होंने कहा कि जिसकी आत्मा में धर्म प्रकट होता है, उसके व्यवहार में पवित्रता, विचारों में सरलता और हृदय में उदारता आती है।

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