यात्रीगण कृपा ध्यान दे कुछ ही वक्त बाकि है जब मेरठ से होगा प्रयाग का मिलन क्योंकि गंगा एक्सप्रेस वे का 95 फीसदी काम पूरा हो गया है। इतना ही नहीं प्रयाग का मिलन हरिद्धार से कराने मे भी मेरठ मददगार साबित होगा।


मेरठ। प्रयोग प्रगराज एक धार्मिक नगरी है जबकि मेरठ पौराणिक व एतिहासिक नगरी है। प्रयागराज के धर्मनगरी होने की वजह सभी जानते हैं जबकि मेरठ एक पौराणिक नगरी है इसको शायद कम लोग जानते, लेकिक यह सही है। मेरठ का वर्णन द्वापर युग से है। मेरठ द्वापर युग से भी पुराना है। क्योकि लंकाधिपति दशानंद महाराज रावण की पत्नी मंदोदरी जो पूर्व जन्म में स्वर्ग की अप्सरा थीं और भवानी पार्वती के श्राप के कारण मेढकी बनी और फिर एक घटनाक्रम के चलते वो मेरठ के राजा मय की पुत्री कहलाईं। राजा मय को कोई संतान नहीं थी। राजा व उनकी पत्नी तप कर रहे थे। तभी उन्हें किसी नवजात के रोने की आवाज आयी, पास जाकर देखा तो एक सुंदर नवजात कन्या वहां पड़ी थी राजा मय की पत्नी ने उसको उठाकर ह्दय से लगा लिया। राजा बोले ईश्वर ने तपस्या का फल दे दिया है। यह कन्या बड़ी होकर मंदोदरी कहलाई और रावण की पत्नी भी। मेरठ को रावण की ससुराल इसी वजह से कहा जाता है। मंदोदरी जिस मंदिर में भगवान शिव की पूजा किया करती थी वह बिल्लेश्वर नाथ मंदिर आज भी मौजूद है और उसके द्वापर कालीन होने के तमाम साक्ष्य या कहें ढेरों साक्ष्य इस मंदिर में मौजूद हैं। इसीलिए मेरठ को पौराणिक नगरी कहा जाता है और दूसरा एतिहासिक नगर इसलिए क्योंकि यह क्रांतिकारियों की धरा है। 10 मई 1857 का वो गदर अंग्रेज और उनकी संतानों को आज भी याद है जब काली पलटन के कत्ल ओ गारत में तमाम अंग्रेज और उनके परिवार का खून बहाया था। इसीलिए मेरठ को पौराणिक व एतिहासिक नगरी कहा जाता है। पौराणिक व एतिहासिक नगरी मेरठ से प्रयागराज का मिलन कराने का श्रेय योगी बाबा सूबे के सीएम को मिलने जा रहा है। कभी यह संभव है। योगी बाबा खुद इसको लेकर खासे उत्साहित हैं। योगी बाबा पिछले दिनों मेरठ आए और अफसरों की फौज को साथ लेकर निकल गए गंगा एक्सप्रेस वे का काम देखने के लिए। बताया गया कि महज पांच फीसदी काम बाकि रह गया है। प्रयागरााज जब मेरठ से मिलन करेगा तो मेरठ उसको फिर हरिद्वार तक लेकर जाएगा।

गंगा एक्सप्रेसवे का काम मेरठ में अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचने वाला है। हापुड़ रोड पर मेरठ से प्रयागराज तक जाने वाले गंगा एक्सप्रेस-वे का मेरठ में 15 किमी. का दायरा है। इस पर 95 फीसदी के करीब काम पूरा हो गया है।हरिद्वार से प्रयागराज तक गंगा एक्सप्रेसवे के जुड़ने से पूरब से पश्चिम तक सभ्यता और संस्कृति एक सूत्र में बंध जाएंगे। रविवार को गढ़मुक्तेश्वर में एक्सप्रेस-वे पर बने हैलीपेड पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उतरे और स्थलीय निरीक्षण किया।

निर्माणकर्ता कंपनी आईआरबी के परियोजना निदेशक अनूप कुमार सिंह ने उन्हें विस्तार से जानकारी दी। गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण 12 चरणों में ही किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट पर 36,400 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। अभी यह छह लेन का एक्सप्रेसवे है, लेकिन बाद में इसे आठ लेन तक चौड़ा किया जा सकेगा।594 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे 12 जिलों के 518 गांवों से होकर गुजरेगा। मेरठ में इसकी लंबाई 15 किमी. है, जिसमें 43 स्ट्रक्चर तैयार करने का दावा है। मेरठ-बुलंदशहर हाईवे पर बिजौली गांव से शुरू होकर गंगा एक्सप्रेसवे प्रयागराज में एनएच-19 पर जुदापुर दादू गांव के पास तक होगा। गंगा एक्सप्रेसवे मेरठ के बाद ये हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ से होता हुआ प्रयागराज पर खत्म होगा।आईआरबी के परियोजना निदेशक अनूप कुमार सिंह ने बताया कि मेरठ में गंगा एक्सप्रेस-वे का काम 95 फीसदी और पूरे प्रोजेक्ट पर 86 फीसदी के करीब काम पूरा हो गया है।
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