प्रेस की स्वतंत्रता पर अमेरिकी रिपोर्ट, प्रेस की स्वतंत्रता पर अमेरिकी रिपोर्ट नई दिल्लीः भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर एक हालिया रिपोर्ट में अमेरिकी विदेश विभाग ने उन कई मामलों को उजागर किया है, जहां प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन किया गया. रिपोर्ट में कहा गया कि ऐस कई मामले हैं, जहां सरकार ने उसकी आलोचना करने वाले मीडिया संगठनों पर दबाव बनाया या उसे प्रताड़ित किया. इसे उसी दिन जारी किया गया, जब भारत, अमेरिका 2+2 वार्ता समाप्त हुई थी और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि उनका देश भारत में सरकारी अधिकारियों द्वारा मानवाधिकरों के हनन के बढ़ते मामलों पर नजर रखे हुए है. उन्होंने यह बयान एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए थे, जिसमें अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल थे. सिंह और जयशंकर ने उस दिन ब्लिंकन के उस बयान का खंडन नहीं किया था. हालांकि, विदेश मंत्री जयशंकर ने बाद में कहा था कि भारत दरअसल अमेरिका और भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों पर हमले को लेकर चिंतित है. सालाना कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स के 2021 संस्करण में अमेरिकी विदेश विभाग ने व्यक्तिगत और नागरिक स्वतंत्रता के उल्लंघन को लेकर अपनी चिंता जताई. इस रिपोर्ट का प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के अधिकार के उल्लंघन से जुड़ा हुआ है.इस रिपोर्ट में व्यवस्थित रूप से उन मामलों को सूचीबद्ध किया गया है, जहां सरकारी और गैर सरकारी कारकों के चलते प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में है. रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसे मामले भी हैं, जहां सरकार या सरकार से जुड़े लोगों ने कथित तौर पर सरकार की आलोचना करने वाले मीडिया संगठनों पर दबाव बनाया या उनका उत्पीड़न किया. ऑनलाइन ट्रोलिंग के जरिये भी प्रताड़ित किया गया. रिपोर्ट में बताया गया कि इंडिया टुडे के एंकर राजदीप सरदेसाई, नेशनल हेराल्ड की सीनियर कंसल्टिंग एडिटर मृणाल पांडे, कौमी आवाज के संपादक जफर आगा, कारवां के संस्थापक परेश नाथ, संपादक अनंत नाथ, कार्यकारी संपादक विनोद के. जोस और सांसद शशि थरूर पर मामले दर्ज किए गए.