पुलवाम के खुलासे पर सन्नाटा क्यों

पुलवाम के खुलासे पर सन्नाटा क्यों
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पुलवाम के खुलासे पर सन्नाटा क्यों, नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के चालिस जवानों की मौत और उसके बाद के घटनाक्रम को लेकर किए गए विस्फोटक खुलासे के बाद सत्ता के गलियारों में पसरा सन्नाटा और विपक्षी दलों समेत भारतीय सेना के एक पूर्व अध्यक्ष शंकर राय चौधरी द्वारा एनएसए समेत मोदी सरकार पर गंभीर सवाल उठाए जाने के बाद एक जहां पूरा विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर है, वहीं दूसरी ओर सरकार के प्रवक्ताओं को सूझ नहीं रहा है कि क्या सफाई दें. सबसे बड़ा सवाल देश के मेन स्ट्रीम मीडिया को लेकर उठे हैं. नोएडा के मीडिया चैनलों को तो मानों सत्यपाल मलिक के खुलासों पर सांप ही सूंघ गया है. वहीं कांग्रेस ने अब पुलवामा हमले पर सरकार से श्वेत पत्र की मांग कीज है. कांग्रेस ने कहा है कि  2019 में हुए पुलवामा आतंकी हमले पर एक श्वेत पत्र जारी किया जाए ताकि देश सच्चाई से रूबरू हो सके.  दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस नेताओं शक्तिसिंह गोहिल, कर्नल (सेवानिवृत्त) रोहित चौधरी और विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) अनुमा आचार्य ने मोदी सरकार की उन गंभीर चूकों को लेकर सवाल उठाए थे, जिनके परिणामस्वरूप फरवरी 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 सीआरपीएफ जवानों की मौत हुई. कांग्रेस प्रवक्ता ने जम्मु कश्मीर के पूर्व राज्यपाल के साक्षात्कार का उल्लेख करते हुए कहा कि साल 2019 में कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हुआ आतंकी हमला, जिसमें 40 जवान शहीद हुए थे, सरकारी गलती के चलते हुआ था और जब उन्होंने इसके बारे में प्रधानमंत्री और एनएसए अजीत डोभाल को बताया तब उन लोगों ने उन्हें (मलिक को) चुप रहने को कहा. मलिक के दावों पर भाजपा और केंद्र सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. सरकार ने न ही भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) शंकर रॉयचौधरी के बयान पर कोई टिप्पणी दी है. मलिक के बयान के बाद जनरल रॉयचौधरी ने कहा था कि पीएम मोदी और एनएसए डोभाल को पुलवामा हमले की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए. उनका कहना था कि ‘पुलवामा में जान-माल के नुकसान की प्राथमिक जिम्मेदारी प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली सरकार पर है, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) द्वारा सलाह दी जाती है. हमले के पीछे खुफिया विफलता के लिए एनएसए अजीत डोभाल को भी ‘उनके हिस्से का दोष मिलना चाहिए.’ कांग्रेस की प्रेस वार्ता में शामिल दोनों पूर्व सैन्य अधिकारियों ने कहा कि पिछले आतंकी हमलों जैसे मुंबई बम धमाकों और 2016 पठानकोट हमले के समय इन्क्वायरी हुई थी और इनके निष्कर्षों को सार्वजनिक किया गया था. सच को सामने लाने, जिम्मेदारी तय करने और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए यह महत्वपूर्ण था. उन्होंने आगे कहा, ‘इसलिए हम सरकार से मांग करते हैं कि भारत सरकार पुलवामा हमलों को लेकर श्वेतपत्र जारी करे, बताए कि यह हमला कैसे हुआ, इंटेलिजेंस की क्या विफलताएं थीं, जवानों को ले जाने के लिए विमान क्यों नहीं दिया गया, सुरक्षा में क्या चूक हुईं और सीआरपीएफ, केंद्रीय गृह मंत्रालय, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और प्रधानमंत्री कार्यालय की क्या भूमिका थी.’

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