प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो, हमने देखी है इन आंखों की महकती खुश्बू. चालीस के दशक में आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाले अधिकतर लोगों के निजी संबंध लकीर के फ़कीर नहीं थे. गांधी खुलेआम ब्रह्मचर्य के साथ अपने प्रयोग कर रहे थे. कहा जाता है कि विधुर होते हुए भी जवाहरलाल नेहरू के एडवीना माउंटबेटन और पद्मजा नायडू के साथ संबंध थे. समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ऐलानिया रमा मित्रा के साथ रह रहे थे जिनसे उन्होंने कभी विवाह नहीं किया. उसी कड़ी में एक नाम अटल बिहारी वाजपेयी का भी है, जिनकी ज़िदगी में राजकुमारी कौल के लिए एक ख़ास जगह थी. वाजपेयी की जीवनी की लेखिका मशहूर पत्रकार सागरिका घोष बताती हैं, “उस ज़माने में दोनों का व्यक्तित्व प्रभावित करने वाला हुआ करता था. राजकुमारी हक्सर बहुत सुंदर थीं, ख़ासतौर से उनकी आंखें. उन दिनों बहुत कम लड़कियां कॉलेज में पढ़ा करती थीं. वाजपेयी उनकी तरफ़ आकर्षित हो गए. राजकुमारी भी उन्हें पसंद करने लगीं.” लेकिन जब शादी की बात आई तो राजकुमारी के परिवार ने शिंदे की छावनी में रहने वाले और आरएसएस की शाखा में रोज़ जाने वाले वाजपेयी को अपनी बेटी के लायक नहीं समझा. राजकुमारी हक्सर की शादी दिल्ली के रामजस कॉलेज में दर्शन शास्त्र पढ़ाने वाले ब्रज नारायण कौल से कर दी गई.”अटल बिहारी वाजपेयी के एक और जीवनीकार किंगशुक नाग अपनी क़िताब ‘अटल बिहारी वाजपेयी द मैन फ़ॉर ऑल सीज़न्स’ में लिखते हैं, “युवा अटल ने राजकुमारी के लिए लाइब्रेरी की एक क़िताब में एक प्रेम पत्र रख दिया था. लेकिन उन्हें उसका जवाब नहीं मिला. दरअसल राजकुमारी ने उस पत्र का जवाब दिया था लेकिन वो पत्र वाजपेयी तक नहीं पहुंच सका.” जब वाजपयी सांसद के रूप में दिल्ली आ गए तो राजकुमारी से मिलने का उनका सिलसिला फिर से शुरू हुआ. अस्सी के दशक में एक पत्रिका सैवी को दिए गए इंटरव्यू में राजकुमारी कौल ने स्वीकार किया था कि उनके और वाजपेयी के बीच परिपक्व संबंध थे, जिसे बहुत कम लोग समझ पाएंगे. इस इंटरव्यू के अनुसार उन्होंने कहा था, “वाजपेयी और मुझे अपने पति को इस रिश्ते के बारे में कभी सफ़ाई नहीं देनी पड़ी. मेरे पति और मेरा, वाजपेयी के साथ रिश्ता बहुत मज़बूत था.
(सभार)