रावण ने तपस्या से की शिव आराधना ,
श्री सनातन धर्म रक्षिणी सभा पंजीकृत मेरठ शहर के तत्वधान में श्री रामलीला कमेटी पंजीकृत मेरठ शहर द्वारा बुढ़ाना गेट स्थित जिमखाना मैदान में रामलीला का मंचन किया गया। लीला मंचन के मुख्य उद्घाटन कर्ता गुरप्रीत सिंह शेखो, मुख्य पूजन कर्ता ऋषि अग्रवाल, , प्रसाद सेवा शिव कुमार गुप्ता के द्वारा की गयी। शोभित यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र सहित सभी उपस्थित पदाधिकारी सदस्य द्वारा पूजा अर्चना कर लीला मंचन प्रारंभ किया गया । पंचवटी लीला, सूपनखां नाक छेदन, खरदूषण वध, रावण द्वारा शिव पूजन तथा सीता हरण की लीला का मंचन किया गया। रावण की बहन सूपनखां पंचवटी पहुंचती है जहां वन में प्रभु श्री राम और लक्ष्मण को देखकर वह उन पर मोहित हो जाती है। सूपनखां सुंदर स्त्री का रूप धारण कर राम से विवाह का प्रस्ताव रखती है। प्रभु श्री राम अपने को विवाहित बताते हैं और प्रस्ताव ठुकरा देते हैं और सूपनखां को लक्ष्मण के पास भेजते हैं। लक्ष्मण भी सूर्पनखा के प्रस्ताव को ठुकरा देते हैं और फिर से बड़े भाई राम के पास जाने को कहते हैं। बार-बार दोनों भाइयों आग्रह करने के पश्चात वह क्रोधित होकर अपने असली स्वरूप में आ जाती है। सूपनखां का राक्षस रूप देखकर माता सीता डर जाती हैं।
सूपनखाम् लक्ष्मणः क्रोधात् नासाम् च छेदयाम् आस”
लक्ष्मण ने क्रोध में आकर सूपनखा की नाक काट दी।
“नासछेदं ताम् दृष्ट्वा सा विललाप सूपनखा”
अर्थ: अपनी नाक काटे जाने के बाद सूपनखा विलाप करने लगी।
सूपनखां रोती हुई अपने भाई खरदूषण के पास जाती है, बहन की आपबीती सुन वह अपनी सेना के साथ राम से युद्ध करने पहुंच जाते हैं। युद्ध में वह श्रीराम के हाथों मारे जाते हैं।
रावण द्वारा शिव पूजन
“रावणः शिवम् आराध्य ध्यानेन समाहितः
तपसा च नियमेन च विधिवद् उपासते”
अर्थ: रावण शिव की आराधना करता था, ध्यान में लीन होकर और तपस्या तथा नियमों के साथ विधिवत उनकी पूजा करता था
“महादेवम् ईशानम् रावणः प्रपूज्य शिरसा”
अर्थ: रावण महादेव शिव की पूजा करता था, उनके शिर पर नमन करता था
“तपसा देवम् आराध्य रावणः शिवम् अव्ययम्”
अर्थ: रावण ने तपस्या से अव्यय शिव की आराधना की
सीता हरण
“रावणः सीताम् हरेत् तदा मायया विश्वासितः”
अर्थ: रावण ने माया से विश्वासित होकर सीता का हरण किया.
“सीता हृता मया रावणः किष्किन्धाम् आगमिष्यति”
अर्थ: रावण ने सीता को हर लिया और किष्किन्धा की ओर चला गया।
मारीच सोने का मृग बनकर वन में श्री राम के पास जाता है जिसे देखकर सीता माँ उस पर मोहित हो जाती हैं। हिरण को मारने के लिए राम निकल जाते हैं। हिरण का शिकार करने हेतु वह वन में बहुत दूर निकल जाते है । राम का बाण लगते ही मारीच हाय लक्ष्मण हाय लक्ष्मण कहकर गिर पड़ता है। सीता उसकी आवाज सुनकर लक्ष्मण को राम की सहायता के लिए भेज देती हैं। लक्ष्मण के निकलते ही रावण सीता के पास भिक्षा मांगने पहुंचा जाता है। सीता जैसे ही लक्ष्मण रेखा लांघती है रावण उनका हरण कर लेता है।
कल दिनांक 8 अक्टूबर 2024 को जिमखाना मैदान में सबरी मिलन ,हनुमान श्री राम मिलन ,श्री राम सुग्रीव मित्रता बाली वध का लीला मंचन होगा।
इस कार्यक्रम में संस्था अध्यक्ष मनोज गुप्ता राधा गोविंद मंडप, महामंत्री मनोज अग्रवाल खद्दर वाले, कोषाध्यक्ष योगेंद्र अग्रवाल बबलू, संचालक राकेश शर्मा, राकेश गर्ग, आलोक गुप्ता (गुप्ता क्लासेज) अंबुज गुप्ता, रोहताश प्रजापति, राजन सिंघल, आनंद प्रजापति, अनिल गोल्डी दीपक शर्मा, विपुल सिंघल ,संदीप गोयल रेवड़ी, मयंक अग्रवाल, मयूर अग्रवाल, अपार मेहरा, विपिन अग्रवाल ,लोकेश शर्मा ,मनोज दवाई, डॉ टी सी शर्मा, अनिल वर्मा, मनोज वर्मा, पंकज गोयल पार्षद सहित हजारों की संख्या में भक्तगण मौजूद रहे।