दस करोड़ का जुर्माना होर्डिंग्स माफियाओं की जारी होगी आरसी, दस करोड़ का जुर्माना वसूली एक पाई नहीं, महानगर के होर्डिर्ग्स माफियाओं पर नगर निगम प्रशासन दस करोड़ का जुर्मान बीते करीब एक दशक में कर चुका है। जुर्माना करने वाले निगम के अफसर वसूली करने का साहस जुटा नहीं पा रहे हैं। दस करोड़ के जुर्माने की जानकारी देने वाले अफसरों से जब वसूली को लेकर सवाल किया तो उन्होंने बगले झांकनी शुरू कर दी। अवैध होर्डिग्स लगाने वाले माफिया निगम अफसरों की मिलीभगत से केवल सूबे की योगी सरकार को चूना ही नहीं लगा रहे बल्कि तमाम सुरक्षा मानकों की अनदेखी करते हुए अवैध होर्डिग्स लगाकर हादसों को दावत भी दे रहे हैं। मुंबई के घाटकोपर में हुए होर्डिंग्स हादसे के बाद शासन ने भी पूरे प्रदेश में अवैध रूप से लगे यूनिपोल और होर्डिंग्स के खिलाफ कार्रवाई निर्देश सभी निकायों को दिए। इसके बाद नगर निगम ने इस ओर कार्रवाई की। दस साल में किसी भी माफिया से अवैध होर्डिंग्स या यूनिपोल में जुर्माना नहीं वसूला गया। इससे निगम की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं अवैध होर्डिंग्स और यूनिपोल पर कार्रवाई नहीं की, बल्कि चार विज्ञापन एजेंसियों पर 52.80 लाख रुपये जुर्माना लगाया है। इनमें मैसर्स अभिनव एडवरटाइजिंग एजेंसी पर 13.80 लाख, मैसर्स ओशियन एडवरटाइजिंग सोल्यूशन पर 9.60 लाख, मैसर्स हीरा एडवरटाइजिंग पर 21.00 लाख रुपये और मैसर्स आरएस एटरप्राइजिज पर 8.40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। नगर निगम दस साल में दस करोड़ रुपये से भी ज्यादा जुर्माना लगाना बताकर होर्डिंग्स माफिया को नोटिस जारी कर चुका। अभी तक एक रुपया भी निगम किसी से वसूल नहीं पाया। यह कार्रवाई तो सिर्फ महज खानापूर्ति के लिए है। हकीकत है कि निगम अधिकारियों की मिलीभगत से होर्डिंग्स माफिया सड़क और निजी घरों पर अवैध होर्डिंग और यूनिपोल का जाल फैला है। मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेसवे और हाईवे सब जगह अनगिनत यूनिपोल लगे हैं, जो कि बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं। कई जगह डायरेक्शन बोर्ड के नाम पर डिवाइडर और चौराहों पर यूनिपोल खड़े कर दिए।
शहर से लेकर देहात तक
शहर से देहात तक होर्डिंग्स माफिया का खुलेआम लूट का धंधा चल रहा है। अवैध होर्डिंग्स और यूनिपोल लगाकर सरकार को करोड़ों का नुकसान कराने में नगर निगम भी जिम्मेदार है।चौतरफा किरकिरी होने पर निगम ने फिर पहले की तरह जुर्माना नोटिस भेजकर खानापूर्ति करके होर्डिंग्स माफिया को खुली छूट दे दी है। लंबे समय से अवैध यूनिपोल और होर्डिंग्स लगाने का कारोबार खूब हो रहा है। निजी भवनों, निजी जमीन के अलावा सरकारी भवनों, भूमि पर भी यूनिपोल और होर्डिंग्स लगाए जा रहे हैं।
ठेकदार के भी दस गुना ज्यादा होर्डिंग्स
नगर निगम ने जिस एजेंसी को महानगर में होर्डिंग्स या यूनिपोल लगाने का ठेका दिया हुआ है, उसके भी दस गुना ज्यादा होर्डिंग्स लगे है। भाजपा और सपा नेताओं के समर्थकों ने होर्डिंग्स लगा रखे है। निगम के अधिकारी अवैध होर्डिंग्स पर कार्रवाई करने पहुंचते है तो नेताओं के फोन आ जाते है।
निगम की टीम को वापस लौटना पड़ता है। हाल में निगम और होर्डिग्स माफिया का विवाद हो गया था। भाजपा के एक नेता ने निगम के अधिकारियों को फोन किया, जिसके बाद टीम को वापस लौटना पड़ा।
दो साल दी खुली छूट
सन 2013 में नगर निगम प्रशासन ने दिल्ली रोड, गढ़ रोड, हापुड़ रोड, कमिश्नरी आवास चौराहा से तेजगढ़ी, तेजगढ़ी से एल ब्लॉक शास्त्रीनगर, मोदीपुरम से कैंट होते हुए मवाना रोड सहित छह मार्गों को बीओटी पर दिया हुआ है। ठेका समाप्त हो गया, इसके बावजूद भी शहर में अवैध होर्डिंग्स लगाने का धंधा चलता रहा। 2022 से 2024 तक ठेका नहीं हुआ।
ठेका निरस्त कराया और फिर लिया
होर्डिंग्स का ठेका ज्ञानेंद्र चौधरी पर है। कई सालों से ज्ञानेंद्र ही ठेका चलाते है। 2023 में दूसरी कंपनी ने ठेका छुड़ा लिया था। नगर निगम की लापरवाही के चलते ठेका निरस्त कराया गया और फिर ठेका ज्ञानेंद्र के पास पहुंच गया। चर्चा है कि होर्डिंग्स का ठेका ज्ञानेंद्र के अलावा किसी दूसरे एजेंसी पर जाता ही नहीं है।
जुर्माना लगाया गया और अबकी बार आरसी भी जारी करेंगे। तहसील को जानकारी देकर अवैध होर्डिंग्स लगने वालों को तहसील स्तर से नोटिस भिजवाने का कार्य चल रहा है। होर्डिंग्स लगाने वालों की संपत्ति जब्त करेंगे। यूनिपोल काटकर निगम में लाया जाएगा। – प्रमोद कुमार, अपर नगर आयुक्त