बंद स्कूलो मे भी RTE की सीट,
जीपीए की मुख्यमंत्री से पहले चरण की आरटीई के दाखिलों की प्रक्रिया को रद्द करने की अपील
जिले के बंद स्कूलो मे भी कर दी गई आरटीई की सीट आवंटित – जीपीए
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने सोशल मीडिया के सबसे प्रभावी माध्यम एक्स के जरिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से गाजियाबाद जिले मे गरीब अभिभावकों के बच्चो को शिक्षा का अधिकार दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाली आरटीई के दाखिलों की प्रक्रिया के प्रथम चरण में ही हो रही बड़े स्तर पर धांधली के कारण रद्द करने की अपील की है गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा त्यागी और आरटीई प्रभारी धर्मेंद्र यादव ने बताया कि आरटीई के दाखिलों की प्रथम चरण की प्रक्रिया 01 दिसंबर से प्रारंभ हुई और 19 दिसंबर तक चली जिसको लेकर पिछले लगभग 20 दिन से हमने गहनता से जांच कर पाया कि गाजियाबाद में स्कूलों की सीट मैपिंग ठीक प्रकार से नहीं की गई है क्योंकि इस वर्ष से पूर्व 550 स्कूलों में 15386 से ज्यादा सीटे थी इस बार स्कूलों की मैपिंग कर 642 स्कूलों को ओर ऐड किया गया लेकिन इनमें सीटे केवल 4278 ही बढ़ी जो स्कूलों की सीट मैपिंग पर बड़ा सवाल खड़ा करती है इसी प्रकार बिना किसी पूर्व सूचना के वार्ड परिवर्तन कर दिए गए है जिसके कारण जिले के अनेकों वार्ड स्कूल विहीन हो गए है हद तो तब हो गई जब जिले में 503 स्कूलों को बंद दिखा इन्हीं स्कूलों में आरटीई की सीटे अलॉट कर गरीब अभिभावकों के बच्चो के साथ अन्याय किया गया इतना ही नहीं पहले ही चरण में 6560 आवेदन आए लेकिन इनमें से 1460 को अधूरा बताया गया जबकि 1176 को निरस्त कर दिया गया और 888 को स्कूल चॉइस के नाम पर रद्द कर केवल 3035 बच्चो को चयनित किया गया जो पिछले वर्ष से भी कम है जो पूरी आरटीई की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करती हैं जीपीए के सचिव अनिल सिंह ने बताया कि हमने 2 दिन पहले सभी बिंदुओं का 6 पेज का ज्ञापन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को दिया जिसमें हमने तमाम खामियों को लेकर बीएसए से चर्चा भी की अगर आप देखे तो इस बार प्रक्रिया के पहले चरण में स्कूलों की सीट मैपिंग से लेकर पत्र आवंटन तक बड़े स्तर पर धांधली नजर आती है इसलिए हमने प्रदेश के मुख्यमंत्री से जिले में आरटीई के प्रथम चरण की प्रक्रिया को रद्द कर पुनः कराने की अपील की है हम उम्मीद करते है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री जी गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावकों के बच्चो के साथ अन्याय नहीं होने देगे