विद्युतीकरण के नाम पर करोड़ों के घोटाले की आहट

विद्युतीकरण के नाम पर करोड़ों के घोटाले की आहट
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विद्युतीकरण के नाम पर करोड़ों के घोटाले की आहट,

मेरठ में अनअप्रूव्ड कालोनियों के विद्युतीकरण में कई सौ करोड़ का घोटाला सामने आया है| पिछले कुछ वर्षों में मेरठ में बड़ी तेजी के साथ शहर की हरियाली को खत्म करते हुए कृषि भूमि, सरकारी पट्टो आदि पर अनअप्रूव्ड कॉलोनियां विकसित कर दी गई है जिनके विद्युतीकरण में कई सौ करोड़ का घोटाला सामने आया है| दरअसल जब किसी अनअप्रूव्ड कालोनी के विद्युतीकरण के लिये आवेदन किया जाता है तो वास्तविक नक्शे से छेड़छाड़ करके एक फर्जी नक्शा तैयार किया जाता है जिसमे कालोनी मे प्लॉटिंग एरिया को एडिट करके कई सारे फर्जी पार्क दिखा दिये जाते है, सड़के चोड़ी करके दिखाई जाती हैं और वास्तविक जमीन को भी कम कर दिया जाता है जिससे कालोनी का लोड आधे से भी कम कर दिया जाता है, जिस कालोनी मे 5 ट्रांसफॉरमर लगने चाहिये थे उसे मात्र दो ट्रांसफॉरमर मे ही उर्जीकृत कर दिया जाता है अर्थात जिस कालोनी का एस्टिमेट विभाग मे 60 लाख जमा होना चाहिए उसमे मात्र 25 लाख का एस्टिमेट जमा कराया जा रहा है जिससे विद्युत विभाग को हर महीने करोड़ो रूपये के राजस्व की हानि हो रही है|

1000/KVA की चल रही है रिश्वत

कॉलोनी के विद्युतीकरण में इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए जेई से लेकर चीफ तक 1000/KVA के हिसाब से रिश्वत ली जा रही है जिसमे जिसमें मुख्य भूमिका कुछ दलालों की है जो स्वयं को ठेकेदार बताते हैं जबकि ना तो उनके पास विद्युत सुरक्षा का ए क्लास लाइसेंस है ना ही वे विभाग से ऑथराइज्ड ठेकेदार हैं| यह घोटाला मेरठ की हर डिविजन/सबडिवीजन में किया जा रहा है जबकि मेडा के वर्तमान उपाध्यक्ष अभिषेक पांडे कई बार अनअप्रूव्ड कॉलोनी में कनेक्शन न दिए जाने के लिए ऊर्जा विभाग को पत्र लिख चुके हैं|

ऐसे होता है घोटाला

कॉलोनी के वास्तविक नक्शे के साथ छेड़छाड़ करते हुए जहां पर प्लॉट कटे हुए होते हैं वहां पर नक्शे में पार्क दिखा दिए जाते हैं,10 मीटर की सड़क को 20 मीटर की सड़क दिखा दिया जाता है और वास्तविक क्षेत्रफल को भी नक्शे पर कम करके लिखा जाता है,इसी के एवज में नक्शे को पास करने के लिए लाखों रुपए की रिश्वत दी जाती है।

विद्युतीकरण के नाम पर करोड़ों के घोटाले की आहट

वर्जन

इस संबंध में चीफ धीरज सिन्हा का कहना है कि कि यदि कोई कालोनी अवैध है तो उस पर कार्रवाई की जिम्मेदारी मेरठ विकास प्राधिकरण की है। मेडा के अफसर जब किसी अवैध कालोनी पर कार्रवाई कर देंगे तो वह कालोनी खुद ही खत्म हो जाएगी और बिजली का कनेक्शन भी।

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