सदर जैन समाज: गुमराह ना होना केवल चार

kabir Sharma
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मेरठ। अपने गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए कालातीत हो चुकी प्रबंध समिति जिसका एफआईआर से कुछ भी लेना देना नहीं। ना ही जो चार के अलावा कोई जिस मामले को लेकर थाना सदर बाजार में एफआईआर दर्ज हुई किसी अन्य का कोई वास्ता है फिर क्यों समाज के लोगों को गुमराह किया जाना फिर सबसे बड़ी बात यह कि संजय जैन खुद भी बार-बार पूरे समाज के समक्ष स्पष्ट कर चुके हैं कि जिन्होंने मंदिर की धन संपदा को लूटा है, जो जांच में ठोस साक्ष्यों के आधार पर दोषी पाए गए हैं जिनके खिलाफ एफआरआर दर्ज की गयी है उनके अलावा किसी अन्य को इस मामले में से लेशमात्र भी कोई मतलब नहीं है। अगर संजय जैन यह बात कह रहे हैं तो फिर सदर जैन समाज को क्या गुमराह किया जा रहा है। या तो आप यह साबित करना चाहते हैं जो भी घपले घोटाले हुए हैं उसमें कालातीत हो चुकी पूरी प्रबंध समिति शामिल है। क्या आप यह कहना या साबित करना चाहते हैं कि जो भी घपले घोटल सोना कैश गायब हुआ है वो अपने कालातीत प्रबंध समिति के सदस्यों में बांटा है।

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डा. संजय जैन द्वारा सब कुछ स्पष्ट कर दिए जाने की बात कुछ कहने सुनने की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती है। बाकि आप सभी लोग विवकेशील हैं अच्छा बुरा सोच सकते हैं। जो भी निर्णय लें सोच समझ कर लें।सबसे बड़ी बात यह कि यह सारा मामला मंदिर जी में किए गए घपले घोटालों से जुड़ा है। इसमें डरने जैसी कोई बात नहीं। यदि आपने घपले घोटाले नहीं किए है तो कानून और पुलिस पर भरोसा रखिए आप जेल की सलाखों के पीछे नहीं जाएंगेे, लेकिन खु को जेल की सलाखों से बचाने के लिए सीदे साधे इज्जतदार बाकि लोगों को ढाल बनाने की चेष्टा किसी भी प्रकार से उचित नहीं। जो बात कहना चाहते हैं कि वो कानून से कहिए। आपकी बात कानून भी सुनने को तैयार है, फिर यह अनर्गल प्रलाप क्यों। या फिर यह मान लिया जाए आपको कानून, पुलिस कोर्ट कचहरी पर कोई भरोसा नहीं रहा है। डिप्टी रजिस्ट्रार पर कोई भरोसा नहीं। सदर पुलिस को आपकी कोई निजी दुश्मनी तो है नहीं…..

सभी लोग जानते हैं कि इन भोले भाले इज्जतदार लोगों का कुछ भी लेनादेना नहीं है। फिर क्यों आप पुलिस को इनका चेहरा दिखाना चाहते हैं। ये सभी कारोबारी और घर परिवार के सीधेसादे इज्जतदार लोग हैं। पुलिस की कार्रवाई पर शंका या शक जाहिर करने का कोई प्रश्न नहीं रह जाता। एक लंबी प्रक्रिया के बाद पूरी जांच पड़ताल और ठोस साक्ष्यों के बाद ही डिप्टी रजिस्ट्रार के सीओ सदर को पत्र के बाद ही यह मामला दर्ज किया गया है। खुद एडीजी इस मामले की निगरानी कर रहे थे। फिर इसमें चार के अलावा जिन पर मुकदमें दर्ज हैं अन्य लोगों कहां से आ गए। क्यों इन सीधे सादे इज्जतदार लोगों को आप अपने साथ खड़ाकर शक के दायरे में लाना चाहते हैं। अच्छा यही होगा कि आपने जो किया है उसको आप ही भुगतें पूरे सदर जैन समाज को उसमें लिप्त ना करें। वैसे भी हिन्दुओं में जैन समाज को ही सबसे ज्यादा सीधा, दानी, ईमानदार, धर्म की राह पर चलने वाला और लोगों की मदद करने वाला माना जाता है। जैन समाज का पुलिस कोर्ट कचहरी से क्या लेना देना। भाई इन्हें इस चीजों से दूर ही रखें तो बेहतर होगा।

फिर खुद डा. संजय जैन ने स्पष्ट किया है कि चार के अलावा बाकि किसी का कुछ लेना देना नहीं है उनकी बात पर भी तो भरोसा करें यदि किसी को कोई शंका है तो वह खुद भी डा. संजय जैन से संपर्क कर सकता है। जब ये चारों उनके यहां बातचीत को जा सकते हैं। तो बाकि सदर जैन समाज भी जा सकता है। डा. संजय जैन द्वारा सब कुछ स्पष्ट कर दिए जाने की बात कुछ कहने सुनने की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती है। बाकि आप सभी लोग विवकेशील हैं अच्छा बुरा सोच सकते हैं। जो भी निर्णय लें सोच समझ कर लें।

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