सज रहा है-संवार रहा है कैंट, किन्हीं कारणों के चलते खासतौर से आर्थिक कारणों की वजह से मेरठ कैंट बोर्ड प्रशासन को छावनी का विकास न कराने का उलाहना दिया जाता था। आलोचना की जाती थी (हालांकि आलोचना करने वालों में बड़ी संख्या उनकी है जो अपनी कारगुजारियों के चलते बाहर कर दिए गए हैं) वहीं मेरठ कैंट अब सज रहा है संवार रहा है। यह काम कोई ओर नहीं बल्कि सीईओ कैंट ज्योति कुमार कर रहे हैं। CEO ने लौटाई कैंट की खोई प्रतिष्ठा को लौटाने का काम किया है। कैंट बोर्ड प्रशासन की सबसे ज्यादा आलोचना सड़कों को लेकर की जाती रही है, लेकिन जो आलोचना करते थे उनके मुंह सीईओ कैंट ने तमाम सड़कों का कायाकल्प कराकर बंद दिए हैं। आलोचना करने वाले अब नजर नहीं आ रहे हैं। अब यदि बात की जाए सड़कों की तो तमाम सड़कों को बेहद करीने से सजाया संवारा जा रहा है, उनकी नए सिरे से मरम्मत या कहें निर्माण कराया जा रहा है। हनुमान चौक से सरकुलर रोड काली पलटन चौराहा की ओर जाने वाली सड़क की हालत बहुत खराब थी, सीईओ कैंट के प्रयास से वह सड़क स्मार्ट कैंट की सड़क बन गयी है। इसी प्रकार से सेटमेरी के सामने वाली सड़क को भी शानदार तरीके से सजा दिया गया है। उसको संवार दिया गया है। सड़कों को लेकर कैंट बोर्ड की आलोचना करने वाले कभी भी इस बात का जिक्र नहीं करते कि कैंट बोर्ड के पास राजस्व प्राप्ति के साधन अब नहीं के बराबर रह गए हैं। तमाम साधन घट गए हैं। और याद रहे कि विकास के लिए धन की जरूरत पड़ती है जब धन ही नहीं होगा विकास के साधन ही नहीं होंगे तो फिर विकास कराने की बातें तो बेमाने हैं। आलोचना करना अच्छी बात है लेकिन आलोचना के पीछे ठोस तर्क भी होना चाहिए। जैसे ही धन की व्यवस्था हुई कैंट बोर्ड प्रशासन ने सड़कों की सेहत को सुधार दिया। इसके लिए इंजीनियरिंग सेक्शन की प्लानिंग भी बधाई की पात्र है।