सखी सइंया तो खूब ही कमात है…महंगाई डायन खाए जाते है
दशहरा-दीपावली जैसे बड़े त्यौहार उस पर महंगाई की बड़ी मार। महंगाई की मार ने त्यौहारी रंग का फीका कर दिया है। केवल लग्जरी आइटम या फिर जूते कपड़े, ड्राइंगरूम व बैडरूम तथा कीचन का समान ही महंगा नहीं है बाजार में सबसे बुरा हाल तो फल व सब्जियों का है। नवरात्र ब्रत शुक्रवार को निपटे हैं। इन ब्रत मे आमतौर पर ब्रती फलाहार लेते हैं। लेकिन फलों की कीमतों में उछाल के चलते बाजार में मीडिल क्लास और लोअर मीडिल क्लास फलों के दाम तो पूछते लेकिन लेने के बजाए आगे बढ़ जाते। ब्रत यदि गरीब की बात करें तो में फलों की खरीद कूबत से बाहर की बात थी। फल ही नहीं सब्जियां भी महंगाई की सीढ़ी लगाकर आसमान में इतरा रही हैं। टमाटर का 100 और 120 रुपए प्रतिकिलाे जा पहुंचा है। जबकि सेवा का रेट सौ रुपए प्रति किलो है। इस बार ब्रत में अच्छा केला सौ रुपए दर्जन तक बिका है। फल मंड़ी के आढती भी मान रहे हैं कि इस बार महंगाई सारे रिकार्ड ध्वस्त करने पर अमादा है।
बाजारों में भीड़ है ग्राहक नहीं
महंगाई के साइड इफैक्ट की यदि बात करें तो शहर के प्रमुख बाजारों में जिनमें शहर सदर बाजार, बेगमपुल, आबूलेन, वैली बाजार, सेट्रल मार्केट, शारदा रोड सरीखे बाजार शामिल हैं इनमें बाजारों में भीड़ तो काफी नजर आ रही है, लेकिन दुकानों में ग्राहक नजर नहीं आ रहा है। कोतवाली के खंदक में हैंडलूम की थोक मार्केट है। हैण्डलूम वस्त्र व्यापारी संघ के प्रधान अंकुर गोयल का कहना है कि आर्डर नहीं है। बाजार की हालत खराब है। ऐसा इसी साल नहीं है। कई सालों से हो रहा है। सदर के व्यापारी नेता अंकुर मनु बताते हैं कि महंगाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नवरात्र में सदर जैसे मार्केट में ग्राहकों के लिए तरसना पड़ गया। नवरात्र से दीपावली का वक्त बंपर सेल का होता है। पूरे साल इसका इंतजार दुकानदार करते हैं। दुकानो पर स्टाफ बढा लिया जाता है, लेकिन महंगाई के चाबुक ने निराश किया हुआ है।
फीका पड़ रहा त्यौहारी रंग
कमरतोड़ महंगाई से त्योहारों का रंग फीका होता जा रहा है। जिसका अंदाजा दीपावली के इस त्योहार पर बाजारों में घटती खरीदारी से लगाया जा सकता है। जिसको लेकर दुकानदार और ग्राहक दोनों ही परेशान दिखाई दे रहे हैं। जहां बाजारों में भीड़ तो दिखाई दे रही है लेकिन खरीदारी बहुत कम है। दुकानदार और ग्राहक दोनों का कहना है कि बढ़ती महंगाई ने बाजार से रौनक खत्म कर दी है। इस त्यौहार से पहले बाजार से ग्राहक जहां दीपावली के लिए बहुत ज्यादा सामान खरीदते थे वही आज उनकी खरीदारी सीमित हो कर रह गई है। दुकानदारों का कहना है कि उन्हें पीछे से माल महंगा मिलता है इसलिए उन्हें भी महंगाई बेचना पड़ता है जिसके चलते ग्राहक भी कम सामान खरीद रहा है। ग्राहक और दुकानदार दोनों ही मान रहे हैं कि महंगाई के इस दौर में दीपावली का यह त्यौहार फीका रहने के आसार नजर आने लगे हैं।
पीछे से महंगाई है क्या करें
पीएल शर्मा रोड के कंप्यूटर कारोबारी प्रशांत बताते हैं कि महंगाई की बात क्या करें। पीछे से सामान इतना ज्यादा महंगा आ रहा है कि ना चाहते हुए भी पुराने ग्राहकों को महंगा सामान बेचना पड़ रहा है। दीपावली के त्योहार पर बाजार में घटती खरीदारी को लेकर चिंतित दुकानदारों का कहना है कि वह बरसों से बाजार में काम कर रहे हैं और उन्होंने दीपावली के काफी त्योहार देखें हैं लेकिन अब की बार महंगाई ने बाजार की कमर तोड़ दी है। जहां हर सामान पीछे से महंगा मिल रहा है वहीं ग्राहकों को भी महंगाई बेचा जा रहा है जिसके चलते बाजार में खरीदारी सीमित होकर रह गई है। जहां इससे पहले दीपावली के त्यौहार पर दुकानदार साल भर की कमाई कर लेते थे वहीं इस बार उनका खर्चा भी निकलना मुश्किल हो रहे हैं। शहर के बुढानागेट इलाके के मिठाई कारोबारी अंबुज रस्तौगी बताते हैं कि बाजारों में दीपावली के सामान की खरीदारी करने पहुंच रहे ग्राहकों का कहना है कि वह बड़े अरमान से और उत्साह से दीपावली का त्यौहार मनाना चाहते हैं जिसके लिए वह हर जरूरी साजो सामान, कपड़े आदि खरीदना चाहते हैं लेकिन जब बाजार में चीजों के भाव पूछे जाते हैं तो ऐसा लगता है कि हर चीज के भाव आसमान छू रहे हैं। बढ़ी हुई महंगाई ने हर आयु वर्ग के लोगों को मायूस कर दिया है। दीपावली त्यौहार खुशी का त्यौहार है लेकिन बढ़ती महंगाई के कारण यह फीका ही रहने की संभावना है।
खाद्य तेलों की कीमत निकाल रही तेल
पिछले चार महीनों के बीच खाद्य तेल की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। इसमें सरसों के तेल से लेकर पाम ऑयल, सूरजमुखी, नारियल, मूंगफली और अन्य तेल भी शामिल हैं। वर्तमान में सरसों के तेल की कीमत 120 रुपये प्रति लीटर से 140 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई हैं। जो रिफाइंड ऑयल नवंबर में 95 रुपये प्रति लीटर हुआ करता था, उसकी कीमत आज 140 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया है। सरसों के तेल की कीमतों में लगभग 40 फीसदी, सूरजमुखी के तेल में 52 फीसदी, सोयाबीन के तेल में 34 फीसदी और रिफाइंड तेल की कीमतों में 37 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे देश में इनकी कमजोर फसल का होना और खाद्य तेलों की लगातार विदेश आयात पर निर्भरता बढ़ने को बताया गया है। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का असर सीधे खाद्य तेलों पर भी बढ़ रहा है क्योंकि इसके कारण खाद्य तेलों का आयात महंगा हुआ है। अनुमान है कि नई फसल के आने तक यानी मई-जून तक तक कीमतों में यह बढ़ोतरी बने रहने के अनुमान हैं। तेल की कीमतों में पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 40 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। बाज़ार विशेषज्ञों के मुताबिक खाद्य वस्तुओं की खुदरा कीमतें थोक कीमतों से 20 से 30 फीसदी अधिक रहती हैं।
सब्जियों की कीमतों में भी बढ़ोतरी
बढ़ती कीमतों का असर प्रमुख सब्जियों की कीमतों पर भी पड़ा है। सफल बाजार में आलू की कीमत इसी समय 30 रुपये किलो तक पहुंच गई है, हालांकि खुदरा बाजार में यह 10 से 15 रुपये किलो में उपलब्ध है। प्याज की नई फसल आने का समय करीब आने के बाद भी प्याज की खुदरा कीमत आज भी 40 से 60 रुपये के बीच चल रही है। मटर 40 रुपये प्रति किलो, लौकी 30 रुपये किलो, गाजर 20 से 30 रुपये, टमाटर की कीमतें 30 से 40 रुपये के बीच चल रही हैं। बैगन 40 रुपये किलो, मूली 30 रुपये किलो, सीताफल 30 रुपये किलो, बीन्स 80 रुपये किलो में बिक रही है। इस तरह सब्जियों की महंगाई होली का जायका बिगाड़ सकती है।