शिक्षा माफियाओं से ये रिश्ता क्या कहलाता है

जीपीए का अपर मुख्य सचिव को पत्र
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शिक्षा माफियाओं से ये रिश्ता क्या कहलाता है, कोर्ट के आदेश के बावजूद कोरोना काल की 15 फीसदी फीस न लौटाने वाले शिक्षा माफियाओं से सिस्टम के अफसरों का ये रिश्ता क्या कहलाता है, यह सवाल जोरशोर से उठाया जा रहा है। ऐसी क्या मजबूरी है जो सिस्टम पर काविज अफसर शिक्षा माफियाओं के खिलाफ बजाए कार्रवाई के सरेंडर की मुद्रा में हैं।  गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्य्क्ष सीमा त्यागी द्वारा गाजियाबाद के जिला प्रशासन और जिला विद्यालय निरीक्षक की 15 प्रतिशत फीस वापसी के मुद्दे पर उदासीनता को लेकर सवाल खड़े किए गए है।  सीमा त्यागी का कहना है कि जब निकाय चुनाव से पहले नोएडा और बुलंदशहर में अभिभावको को 15 प्रतिशत फीस वापस नही करने वाले स्कूलो पर कार्यवाई कि प्रक्रिया प्रारम्भ की जा सकती है तो गाजियाबाद में क्यो नही ? नोएडा के जिलाधिकारी द्वारा नोएडा के लगभग 100 स्कूलो पर कार्यवाई सुनिश्चित करते हुये एक -एक लाख का जुर्माना लगाया है,  जबकि बुलंदशहर के जिलाधिकारी द्वारा लगभग 113 स्कूलो को नोटिस भेजा गया है।  जबकि गाजियाबाद में जीपीए के दबाब और आंदोलन की चेतावनी के बाद जिला विद्यालय निरीक्षक ने 25 मॉर्च 2023 को गूगल मीट के माध्य्म से निजी स्कूलों के साथ मीटिंग की,  लेकिन मजे की बात यह है कि इस मीटिंग में केवल 82 निजी स्कूल ही उपस्थित हुये,  जबकिं जिले में 200 से भी ज्यादा सीबीएसई और आईसीएसई के मान्यताप्राप्त स्कूल हैं।  हालांकि इस मीटिंग के कोई बहुत अच्छे परिणाम सामने नही आये।  क्योकि कुछ चुनिंदा स्कूलो ने ही फीस वापसी के लिए पेरेंट्स को मैसेज भेजे है। उसमें भी स्कूल ने अपनी मर्जी चलाई है। कुछ स्कूलो ने अपने सर्कुलर में सुप्रीमकोर्ट में जाने की बात कही है, तो इंदिरापुरम के एक बड़े स्कूल ने तो फीस लौटने के लिये 317 रुपये की 2 साल की क़िस्त ही बांध दी है।  निजी स्कूलों के साथ हुये इस मीटिंग को हुये लगभग एक सप्ताह से भी ज्यादा का समय बीत गया है लेकिन मीटिंग में अनुपस्थित लगभग 100 से भी ज्यादा स्कूलो को ना तो कोई नोटिस भेजा गया है और ना ही कोई कार्यवाई की गई है जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा मीटिंग के दो दिन बाद मीडिया के माध्य्म से बयान दिया गया था कि निजी स्कूलों से 15 प्रतिशत फीस वापसी को लेकर 28 तारीख तक डाटा मांगा गया है इसके तो तीन दिन के अंदर जिला स्तरीय शुल्क नियामक समिति ( डीएफआरसी) की मीटिंग कर फीस नही लौटने वाले स्कूलो पर कड़ी कार्यवाई करेगे लेकिन अब कहा जा रहा है कि निकाय चुनाव चुनाव सम्पन्न होने पर 15 तारीख के बाद डीएफआरसी की मीटिंग की जाएगी । जो अधिकारियों की मंशा पर सवाल खड़ा करता है कि जब नोएडा और बुलंदशहर के शिक्षाधिकारियों और जिलाधिकारी द्वारा फीस नही लौटने वाले स्कूलो पर कार्यवाई की जा सकती है तो गाजियाबाद में क्यो नही ? क्या निकाय चुनाव 15 प्रतिशत फीस वापसी के प्रकरण को निजी स्कूलों के दबाब में लंबा खिंचकर समय देना तो नही क्योकि निजी स्कूलों का कहना है कि वो 15 प्रतिशत फीस वापसी को लेकर वो सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं।  जिले के अभिभावक 15 प्रतिशत फीस वापसी की उम्मीद में स्कूलो को मेल भेज रहे है जिसकी प्रतिलिपी हमे भी प्राप्त हो रही है। न्यायालय के 15 प्रतिशत फीस वापसी के आदेश को निजी स्कूलों से पालन कराने में अधिकारियों की उदासीनता को लेकर जिले के अभिभावको में आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है समय रहते अगर अधिकारी नही जागे तो निकाय चुनाव के बाद अभिभावको को बड़ी संख्या में सड़क पर उतरते देखेगे जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी ।

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