शुरूआत ही गलत थी विशनपाल की,
-चार सदस्यीय जांच समिति ने नियुक्ति को माना अवैध
-हाईकोर्ट के आदेश पर की गयी जांच में मिली खामियां ही खामियां
-एसएसडी इंटर कालेज लालकुर्ती के प्रधानाचार्य की मुश्किलें बढ़ना तय
मेरठ
हाईकोर्ट के आदेश पर जांच कर रही समिति ने माना कि पद खाली था नहीं और नियुक्ति कर दी गयी। चार सदस्यीय विभागीय जांच में एसएसडी इंटर कालेज लालकुर्ती के खिलाफ कई अन्य गंभीर आरोप भी सही पाए गए हैं। जांच रिपोर्ट रजिस्ट्रार हाइकोर्ट इलाहाबाद, विशेष सचिव माध्यमिक व शिक्षा निदेशक के अलावा शासन के कई अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दी गयी है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी मूल्य नियुक्ति ही जब गलत है तो फिर टीचर से प्रधानाचार्य बनने तक का विश्नपाल सिंह पूरा सफर ही गलत माना जाएगा। जांच में उनकी प्रथम नियुक्ति को ही गलत माना गया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई हाईकोर्ट में 26 फरवरी को प्रस्तावित है।
यह है पूरा मामला
सामाजिक कार्यकर्ता व आरटीआई एक्टिविस्ट पुनीत शर्मा की शिकायत के विरुद्ध उच्च न्यायालय इलाहाबाद में एसएसडी ब्वायज इण्टर कॉलेज, लालकुर्ती के प्रधानाचार्य बिशनपाल सिंह द्वारा दाखिल याचिका 7488/2016 और 16995/2023 में पारित आदेश दिनांक 06/12/2023 के क्रम में मंडल स्तरीय चार सदस्यीय विभागीय समिति ने 3 फरवरी 2024 को बिशनपाल सिंह की नियुक्ति को अवैध करार दिया है।
विभागीय कार्रवाई की संस्तुति
मंडलीय समिति ने अवैध रूप से नियुक्त प्रधानाचार्य बिशनपाल सिंह की विनियमतीकरण के आवेदन को भी खारिज करते हुए उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के लिए सचिव और निदेशक को संस्तुति कर दी है। मंडलीय समिति ने जांच में माना है कि बिशनपाल सिंह की अस्थायी तदर्थ प्रवक्ता पद पर नियुक्ति इन कारणों से अवैध है-
-बिना पद की रिक्ति के ही अस्थायी तदर्थ प्रवक्ता के पद पर बिशनपाल सिंह की नियुक्ति कर दी गयी। पद नहीं था और नियुक्ति कर दी गयी।
-उस अस्थायी तदर्थ प्रवक्ता पद पर नियुक्ति के लिए किसी व्यापक प्रचलन वाले अखबार में विज्ञापन छपवाने की बजाय किसी फर्जी अखबार में विज्ञापन होना दिखलाया गया है, जो नियम विरुद्ध है।
-उस अस्थायी तदर्थ प्रवक्ता पद पर नियुक्ति के लिए चयन समिति, आवेदन पत्र, चयन का गुणांक, अभ्यर्थियों की संख्या, उनकी शैक्षिक योग्यता का कोई कागजात नहीं हैं। साफ है कि कोई नियमसंगत प्रक्रिया नहीं अपनायी गयी। साठ गांठ से फर्जी नियुक्ति की गई है। -इस फर्जी नियुक्ति का अस्थायी पद 30 जून 2009 को मौलिक रूप में बदल जाने से अस्थायी नियुक्ति भी स्वत: खत्म हो गयी थी लेकिन प्रबन्धतंत्र और विभागीय अधिकारियों की सांठगांठ से बिशन पाल सिंह को राजकोष से वेतन दिलाया जाता रहा है। अल्पकालिक पद न होते हुए भी वेतन जारी रखा गया।
– बिशनपाल सिंह ने 2009 में चयन बोर्ड और 2010 में उच्च न्यायालय को गुमराह करके बिना अस्थायी तदर्थ प्रवक्ता पद पर स्थायी हुए, फर्जी अनुभव दिख लाकर, प्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति ले ली।
लंबी है शिकायतों की फेरिस्त
बिशनपाल सिंह के इस फर्जीवाड़े की समय-समय पर शिकायतें होती रही हैं, लेकिन आरोप है कि साठगांठ और दबाव प्रभाव से वह शिकायतों को अपने पक्ष में पुंजित करा लेते थे। अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
हाईकोर्ट के आदेश पर जांच
सामाजिक कार्यकर्ता पुनीत शर्मा ने 26 दिसंबर 2023 को उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश को मंडलीय समिति को प्राप्त कराया। चार सदस्यीय मंडलीय समिति ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश के अनुपालन में गहन जांच के बाद बिशनपाल सिंह की नियुक्ति को अवैध करार देते हुए कार्रवाई की संस्तुति की है।
जांच रिपोर्ट से मचा हड़कंप
जांच समिति द्वारा बिशनपाल सिंह की नियुक्ति के अवैध करार दिए जाने से प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के बीच हड़कम्प मचा हुआ है। प्रधानाचार्यों और शिक्षकों का कहना है कि बिशनपाल सिंह हार मानने वाले व्यक्ति नहीं हैं। वे जैसे तैसे अपनी अवैध नियुक्ति को बचा ले जाने में सफल हो जाएंगे। वह पूर्व विधायक ओम प्रकाश शर्मा से भी नहीं झुके थे, वर्तमान में उनका मुकाबला कोई नहीं कर सकता।
यह कहना है शिकायतकर्ता का
शिकायतकर्ता पुनीत शर्मा का कहना है कि ऐसे अवैध नियुक्ति वाले व्यक्ति को राजकोष से वेतन नहीं लेने दिया जाएगा और शहर की प्रतिष्ठित संस्था और वहां पढ़ने वाले गरीब छात्रों के हित में बिशनपाल सिंह के विरुद्ध विभाग और न्यायालय में भविष्य में भी लड़ाई लड़ी जाएगी। बिशनपाल सिंह के विरुद्ध विद्यालय में गरीब छात्रों से अवैध वसूली की भी कार्रवाई कराई जाएगी।