पहलगाम हमले के बाद जैसे की अंदेशा जताया जा रहा है कि यदि पाकिस्तान से युद्ध होता है तो क्या होगा इस विषय पर विशेषज्ञों की राय आम जनमानस की राय एकदम जुदा है। उनका कहना है कि दुनिया के हालात काफी बदले हुए हैं। भारत के कट्टर शत्रु चीन के साथ देश जिस को अपना परंपरागत मित्र मानता है वो रूस खड़ा है और चीन व पाकिस्तान की दोस्ती जगजाहिर है। हम भले ही रूस-रूस चिल्लते रहें, लेकिन यदि एक्ट ऑफ वाॅर सरीखे हालात बन जाते हैं तो पाकिस्तान और भारत दोनों की जनता को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। जब भी युद्ध हुए हैं उनकी कीमत उन देशों की पब्लिक को चुकानी पड़ती है। अब के हालात और 1962, 1965 और 1971 के हालात में काफी बदलाव आ गया है। हालांकि 1990 में भी शार्ट जंग हुई थी, जिसमें नुकसान पाकिस्तान को उठाना पड़ा था।

पाकिस्तानी फौज का प्लान जम्मू कश्मीर पहुंचने का था
पाकिस्तान के साथ 1971 की जंग का हिस्सा रहे कर्नल डीएस मुल्तानी जिनको छंब पर पाकिस्तान के बड़े हमले के बाद तैनात किया गया था वो बताते हैं कि छंब कभी हिन्दुस्तान का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन अब वो लाइन आफ सीज फायर के करीब पीओके में है। पाकिस्तान का प्लान छंब से होकर जम्मू कश्मीर तक पहुंचने का था। इस हालात से निपटने कर्नल डीएस मुलतानी व उनकी फौज को जिम्मेदारी दी गयी थी। अच्छी बात यह रहीं कि पाकिस्तान को वाया अखनूर होते हुए जम्मू कश्मीर नहीं पहुंचने दिया।
1971 वाले हालात नहीं अब, लाहौर व कराची पर मिसाइलें बरसीं तो दिल्ली भी असुरक्षित
वो बताते हैं कि युद्ध कभी भी आसान नहीं होते। इनकी भारी कीमत पब्लिक चुकाती है। इस वक्त दोनों देशाें के हालात बेहद खराब हैं। पाकिस्तान गरीब हो चुका है और जंग हुई तो हमारी हालात भी बेहतर नहीं रहेंगे। पाकिस्तान तो चीन के हथियारों से जंग लड़ेगा। चीन चाहता भी है कि भारत जंग में पाकिस्तान से उलझे। उसकी नजर मणिपुर, लेह व लद्दाख पर है। उन्हें हड़पने के लिए मुंह बाए खड़ा है। इस बार यदि जंग से भूगोल बदला तो नुकसान हमारा होगा। बंगलादेश, भुटान और नेपाल और बलूच हमारे साथ हैं यह गलतफैमी नहीं पालनी होगी। फिर अग्निबीरों के बूते जंग की बात भूल ही जाओ। इसलिए जंग इन हालात में मुनासिब नहीं। जो कर लिया काफी है।
पब्लिक मांगे वाॅर, इस बार आरपार
पुहलगाम में कायराना आतंकी हमले के बाद आम पब्लिक की बात करें तो लोग पाकिस्तान से सीधी जंग चाहते हैं। तमाम लोगों का कहना है कि एक बार आरपार हो जाए, जो होगा देखा जाएगा, या तो वाे नहीं या हम नहीं। रोज-रोज की झगड़े झंझट तो नहीं रहेंगे। जिन्होंने पाकिस्तान के नाम पर अपनों को खाेया है वो भी चाहते हैं कि पाकिस्तान को करारा सबक सिखाया जाना चाहिए। लेकिन कैप्टन नरवाल जिनकाे पहलगाम में आतंकियों ने मार डाला, उनकी पत्नी कहती है कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के नाम पर मुसलमानों और कश्मीरियों को टारगेट ना किया जाए। यह उचित नहीं। कश्मीरी भी उतने ही देश भक्त हैं जितने देश के बाकि लोग।
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