डोर टू डोर कलेक्शन में घोटाले की बू, मेरठ में डोर टू डोर कूडा उठाने की एवज में घर-घर से रिकबरी में करोड़ों के घोटाले की आहट सुनाई दे रहे हैं। इसको लेकर कुछ पार्षदों ने मौखिक रूप से नगरायुक्त से बात करने की जानकारी दी है, लेकिन नगर निगम कार्यकारिणी के एक पूर्व पार्षद अब्दुल गफ्फार ने तो बुधवार को बाकायदा एक पत्र थमा कर नगरायुक्त से मामले का संज्ञान लेने तथा डोर टू डोर कूडा उठाने की एवज में की प्रत्येक घर से हर माल लिए जाने वाले शुल्क के लिए नगर निगम से रसीद बुक जाने करने को कहा। दरअसल हाउस टैक्स, दुकानों से लिए जाने वाले किराए, वाटर टैक्स तथा अन्य इसी प्रकार के शुल्क नगर निगम की रसीद बुक पर लिए जाते हैं। ये रसीद बुक निगम के स्टोर कीपर इंचार्ज जारी करते हैं, लेकिन डोर टू डोर कूडा कलेक्शन करने वाली बीवीजी कंपनी के द्वारा घर-घर से किए जाने वाले कलैक्शन में नगर निगम की रसीद बुक क्यों नहीं जारी की गयी हैं, यह भी जांच का विषय है। दरअसल इस पर आपत्ति की ठोस वजह भी बतायी जा रही है। आपत्ति करने वाले पार्षदों खासतौर से निगम कार्यकारिणी के पूर्व पार्षद का तर्क है कि निगम अफसर क्या इस बात की गारंटी ले सकते हैं कि घर-घर से किए जाने वाले कलेक्शन जो कंपनी अपनी रसीद बुक पर कर रही है, उसकी सही जानकारी या फिर पूरा कलेक्शन कंपनी व निगम के ज्वाइंट एकाउंट में जमा कराया जाएगा। क्या इस बात की आशंका नहीं कि कंपनी की ओर से जितना बताया जाएगा उससे कई गुना कलेक्शन कर लिया जाएगा। इसी के चलते निगम की रसीद बुक पर कलेक्शन कराया जाना मुनासिब होगा। अब्दुल गफ्फार ने पत्र नगरायुक्त को भेजा है उसमें साफ कहा है कि यह करोड़ों रुपए का घोटाला है, इसको यदि अभी नहीं रोका गया तो जैसा कि ऐसे मामलों में होता है रातों रात बोरिया बिस्तर समेट कर कंपनी गायब हो जाएगी। ऐसे तमाम उदाहरण मौजूद हैं। इसलिए बेहतर तो यही होगा कि निगम की रसीद बुक पर घर-घर से कलेक्शन जमा किया जाना चाहिए। वहीं दूसरी ओर जानकारी मिली है कि नगर निगम क्षेत्र में आने वाली कुल आबादी में से करीब ढाई लाख घरों को अब तक बीवीजी कंपनी जोड़ चुकी है। प्रति मकान से हर माह 80 रुपए वसूले जा रहे हैं। पहले तीस रुपए लिए जा रहे थे। बाद में अस्सी कर दिए गए। बीवीजी कंपनी को लेकर आपत्ति करने वाले निगम पार्षदों का कहना है कि जो मलीन व गरीब बस्तियां हैं वहां पर से केवल तीस रुपए ही लेने चाहिए। अस्सी रुपए पॉश कालोनी में रहने वालों से लेने चाहिए। इसको लेकर सैद्धांतिक रूप से पहल सहमति हो चुकी है।
वर्जन
-नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. हरपाल सिंह को जब सवाली किया गया कि जितना कलेक्शन होता है इस बात की क्या गारंटी कि उसकी सही जानकारी निगम को दी जाएगी और पूरा कलेक्शन ज्वाइंट एकाउंट में जमा कराया जाएगा तो उन्होंने माना कि सवाल तो ठीक है लेकिन ऐसा शायद नहीं होगा। ज्वाइंट एकाउंट में पूरा पैसा जमा करना शर्त में शामिल हैं।
-निगम के स्टोर इंचार्ज रंजीत ने बताया कि बीवीजी कंपनी को निगम के स्टोर से कोई रसीदबुक नहीं जारी की गयी है, वो अपनी ही रसीद पर कलेक्शन कर रहे हैं।
-नगरायुक्त को पत्र भेजने वाले निगम कार्यकारिणी के पूर्व सदस्य अब्दुल गफ्फार का कहना है कि जिस प्रकार से घर-घर कलेक्शन किया जा रहा है उसमें करोड़ों के घोटाले की आहट सुनाई दे रही है। वह पूर्व बोर्ड में भी अफसरों को बता चुके थे। नगरायुक्त को भी अब पत्र भेजा है। इसका संज्ञान लिया जाना चाहिए अन्यथा रातों रात कंपनी बोरिया बिस्तर समेट कर गायब हो जाएगी।