RSS को आतंकी संगठन बताने पर बखेड़ा खड़ा हो गया है। यह मामला बुरी तरह तूल पकड़ गया है। मामला ऊपर तक पहुंचने के बाद पूरा सिस्टम अब डेमेज कंट्रोल में लग गया है। CCSU के राजनीति विज्ञान पेपर में कट्टरपंथी और आतंकी संगठनों संग लिखा RSS का नाम, मचा बवाल, RSS स्वयं को सांस्कृतिक और सामाजिक पुनर्जागरण का माध्यम बताता है, एमए राजनीति विज्ञान द्वितीय वर्ष के प्रश्नपत्र में आरएसएस पर पूछे गए आपत्तिजनक प्रश्न
CCSU की राजनीति विज्ञान के द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर आपत्तिजनक प्रश्न पूछे जाने से बखेड़ा खड़ा हो गया है। बुधवार दो अप्रैल को हुई परीक्षा में प्रश्न संख्या 87 और 97 में आरएसएस को लेकर आपत्तिजनक प्रश्न पूछे गए। कुछ परीक्षार्थियों ने इस मुद्दे को उठाया। उसके बाद आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों की ओर से आपत्ति दर्ज कराई गई। ऊपर से आपत्ति पहुंचते ही CCSU भी हरकत में आ गया और सुबह से दोपहर तक हुई जांच पड़ताल के बाद प्रश्न पत्र बनाने वाली मेरठ कॉलेज की शिक्षिका को विश्वविद्यालय की परीक्षाओं से आजीवन के लिए डिबार कर दिया गया है।
प्रश्न पत्र में पूछे गए प्रश्नों में से एक में RSS को धार्मिक और जातीय पहचान की राजनीति के उदय से जोड़ा गया। वहीं, दूसरे प्रश्न में परमाणु समूह पर पूछे गए प्रश्न में RSS का नाम दिया गया था। इस प्रश्न में नक्सली समूह, झांकी कश्मीर लिबरेशन फ्रंट और दल खालसा जैसे समूहों के साथ RSS का नाम शामिल किए जाने पर घोर आपत्ति दर्ज कराई गई है। RSS खुद को सांस्कृतिक और सामाजिक पुनर्जागरण का माध्यम बताता है। विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति कार्यालय के समक्ष विरोध प्रदर्शन भी किया। विरोध शुरू होते ही हरकत में आए CCSU प्रशाशन ने जांच समिति बनाकर प्रश्न पत्र की जांच की तो पता चला कि यह पेपर मेरठ कॉलेज में राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सीमा पंवार ने बनाया था। वह राष्ट्रीय कवि डॉ. हरिओम पंवार के छोटे भाई की पत्नी हैं। CCSU की आपत्ति के बाद प्रोफेसर सीमा पंवार ने लिखित में माफी मांगी है कि उन्होंने जानबूझकर किसी को आहत करने के लिए ऐसा नहीं किया है। CCSU के कुलसचिव धीरेन्द्र कुमार वर्मा ने बताया कि CCSU में उन्हें आजीवन के लिए सभी परीक्षा और मूल्यांकन कार्यों से डिबार कर दिया है। CCSU की ओर से विभिन्न विषयों के प्रश्न पत्र विषय विशेषज्ञ शिक्षकों से बनवाया जाता है। प्रश्नपत्र के तीन से चार सेट तैयार कराए जाते हैं। लेकिन विश्वविद्यालय स्तर पर इन प्रश्न पत्रों की जांच कोई नहीं करता है। यह मान लिया जाता है कि विषय विशेषज्ञ ने पेपर बनाया है तो ठीक ही होगा। परीक्षा में किसी एक कोड का पेपर चुन लिया जाता है। उस कोड के पेपर में अंततः किस तरह के प्रश्न शामिल किए गए हैं, इसकी जांच परीक्षा में शामिल करने से पहले कोई नहीं देखता है।
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