हिन्दू नहीं सुमेर है सबसे पुरानी सभ्यता

kabir Sharma
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इराक ही सुमेर हुआ करता था, आज के यहूदियों या अरब मुसलमानों के पूर्वज नहीं थे, बेहद समृद्ध था सुमेर राजवंश

नई दिल्ली/कलकत्ता। पंड़ित और हिन्दू धार्मिंक किताबें भले ही कुछ भी कहें लेकिन वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर हिन्दू धर्म नहीं बल्कि सुमेर को सबसे पुरानी सभ्यता बताया गया है। लेकिन उनकी पूजा पद्धति हिन्दुओं से मिलती जुलती है लेकिन वो बुत परस्त नहीं थे। चंद्रमा देवता था और अंतिम संस्कार वो मुस्लिकों की मानिंद किया करते थे। अपने मृतकों को घर के फर्श में दफन करते थे। सुमेर, प्राचीन मेसोपोटामिया (आधुनिक इराक) की सबसे पहली ज्ञात मानव सभ्यता थी, जो लगभग 4500से 19001 ईसा पूर्व तक चली। यह टिगरिस और फरात नदियों के बीच स्थित थी और इसे दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक माना जाता है। सुमेरियों ने लेखन (क्यूनिफॉर्म), पहिया, और शहरी जीवन सहित कई महत्वपूर्ण नवाचारों की शुरुआत की। बीच में २३००-२१०० ईसापूर्व के दौरान अक्कद ने सुमेर पर प्रभुता हासिल की, लेकिन अक्कद के पतन के बाद सुमेर फिर से मजबूत हुआ। माना जाता है सुमेर के शासक सेमेटिक नहीं थे – यानि आज के यहूदियों या अरब मुसलमानों के पूर्वज नहीं थे। सुमेरी तथा अक्कदी (सेमेटिक) भाषाओं के बीच आदान प्रदान हुआ लगता है। उनके कुछ प्रमुख देवता थे: अन (आकाश के देवता), एनलिल (वायु और तूफ़ान के देवता), एनकी (जल और ज्ञान के देवता), और इनन्ना (प्रेम और युद्ध की देवी)।

एक समृद्ध सभ्यता व विरासत का अंत

शहर-राज्यों के बीच लगातार लड़ाई और बाहरी आक्रमणों ने सुमेर को कमजोर कर दिया। लगभग 2350 ईसा पूर्व में, अक्काद के राजा सरगोन ने सुमेर पर विजय प्राप्त कर इसे अपने अक्कादियन साम्राज्य में मिला लिया। लगभग 1750 ईसा पूर्व में, एलामाइट्स के आक्रमण के बाद सुमेरियन सभ्यता का पतन हो गया। सुमेर का योगदान आधुनिक सभ्यता की नींव रखने में बहुत महत्वपूर्ण था, जिसके कारण मेसोपोटामिया को “सभ्यता का पालना” कहा जाता है

सामाजिक व्यवस्था

शादी विवाह

सुमेर में विवाह एक सामाजिक और कानूनी अनुबंध होता था, जिसमें परिवार की सहमति और आर्थिक लेन-देन का अहम स्थान था। हालाँकि प्रेम का भावनात्मक पहलू मौजूद था, पर विवाह का प्राथमिक उद्देश्य वंश को आगे बढ़ाना और सामाजिक स्थिरता सुनिश्चित करना था।

घर के फर्श के नीचे करते थे दफन

सुमेर में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया समाज के विभिन्न वर्गों और समय के साथ बदलती रही, लेकिन इसके पीछे कुछ सामान्य मान्यताएं थीं। सुमेर के लोगों का मानना था कि आत्मा मृत्यु के बाद ‘अंडरवर्ल्ड’ में चली जाती है, जो कि धरती के नीचे की एक अंधेरी जगह थी। सही अंतिम संस्कार करना ज़रूरी था ताकि मृत आत्मा शांति से उस दुनिया में जा सके और जीवित लोगों को परेशान न करे।

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  • शासक और पुरोहित: पिरामिड के शीर्ष पर राजा और उसके साथ उच्च पुरोहित होते थे। राजा को ‘एनसी’ या ‘लुगल’ कहा जाता था, और वह न सिर्फ सैन्य मामलों का प्रमुख होता था, बल्कि धार्मिक और प्रशासनिक मामलों में भी उसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती थी। यह वर्ग सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली था।
  • उच्च वर्ग: इसमें धनी व्यापारी, सैन्य अधिकारी और बड़े ज़मींदार शामिल थे।
  • मध्यम वर्ग: इस वर्ग में कारीगर, छोटे व्यापारी और कलाकार थे, जो समाज की आर्थिक व्यवस्था को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
  • श्रमिक वर्ग: यह समाज का सबसे बड़ा वर्ग था, जिसमें किसान और मजदूर शामिल थे। ये लोग मंदिरों, महलों और शहर के बुनियादी ढांचों के निर्माण में काम करते थे और खेती करके समाज के लिए भोजन उपलब्ध कराते थे।
  • दास वर्ग: पिरामिड के सबसे नीचे दास थे। हालाँकि, उनकी स्थिति मध्यकाल के दासों जितनी खराब नहीं थी। कुछ दास कर्ज चुकाकर अपनी स्वतंत्रता वापस पा सकते थे।

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