वांगचुक की अरेस्ट पर सुप्रीम नोटिस

kabir Sharma
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पत्नी गीतांजलि पहुंची सुप्रीमकोर्ट, मुलाकात न करने देने का आरोप, गिरफ्तारी की वजह से नहीं पता

गीतांजलि बोली जेल में मिलने से हैं रोकते, अकारण अरेस्ट का भी कोर्ट में लगाया आरोप

नई दिल्ली। पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की अरेस्ट का सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है। केंद्र व राज्य को नोटिस जारी किए गए हैं। मामले की अगली सुनवाई 14 को होगी। वांगचुक की अरेस्ट के खिलाफ तमाम विपक्षी दल और आरटीआई एक्टिविस्ट भी गीतांजलि के साथ नजर आ रहे हैं। सुप्रीमाकोर्ट ने केंद्र सरकार, लद्दाख प्रशासन व जोधपुर की केंद्रीय जेल के एसपी को नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजनरिया की पीठ ने इस मामले में सभी पक्षों को नोटिस जारी कर 14 अक्तूबर को अगली सुनवाई की तारीख तय की है। दरअसल में सोमन वांगचुक की अरेस्ट को उनकी पत्नी गीतांजलि ने सुप्रीम अदालत में चुनौती दी है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, जो वांगचुक की पत्नी की ओर से पेश हुए, ने अदालत को बताया कि अरेस्ट के आधार पर कोई सूचना अब तक परिवार को नहीं दी गई है, जो संविधान के अनुच्छेद 22 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि अरेस्ट के आधार जाने बिना इसे अदालत में चुनौती देना असंभव है। सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि गिरफ्तारी के आधार वांगचुक को दे दिए गए हैं, और कानूनी रूप से पत्नी को ये आधार देना जरूरी नहीं है। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि वे इस पर विचार कर सकते हैं कि क्या पत्नी को भी इसकी एक प्रति दी जा सकती है। उन्होंने गीतांजलि पर इस मामले को इमोशनल टर्न देने के भी आरोप लगाए और बताया कि गीतांजलि की अर्जी पर सरकार विचार कर रही है। फिलहाल मामले की अगली सुनवाई 14 होगी। वांगचुक को 26 सितंबर को लद्दाख में हुई हिंसा के बाद गिरफ्तार किया गया था और उन्हें राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था। इस हिंसा में चार लोगों की मौत और 80 से अधिक लोग घायल हुए थे। वांगचुक पर हिंसा भड़काने का आरोप है और उन्हें एनएसए के तहत हिरासत में लिया गया है।

हालांकि याचिका में दावा किया गया है कि वांगचुक ने केवल गांधीवादी और शांतिपूर्ण आंदोलन किया था, और उन्हें अवैध रूप से चुप कराने की मंशा से हिरासत में लिया गया है। याचिका में कहा गया है कि उन पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं और पाकिस्तान व चीन से संबंध जैसी बेबुनियाद बातें फैलाकर उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है।

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