तेजी से हट रहे रैपिड बैरिकेटस, मेरठ टू दिल्ली रैपिड रेल प्रोजेक्ट का काम जहां निपट रहा है या पूरा हो गया है, वहां से बैरिकेटस तेजी से हटाए जा रहे हैं। यह जानकारी प्रवक्ता राजीव चौधरी ने दी। उन्होंने बताया कि एनसीआरटीसी के दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर स्टेशनों एवं वायाडक्ट का निर्माण कार्य बहुत तेजी से चल रहा है। गाज़ियाबाद और मेरठ में जहाँ-जहाँ निर्माण कार्य पूरा हो रहा है, एनसीआरटीसी वहां बैरिकेडिंग हटाने का काम भी साथ-साथ कर रही है। इसी क्रम में रिठानी और परतापुर में सड़क पर लगी बैरिकेडिंग को हटाने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। गुलधर और दुहाई के बीच भी बैरिकेडिंग हटाने का कार्य प्रगति पर है। आरआरटीएस परियोजना के तहत लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी निर्माण कार्य बैरिकेडिंग के अंदर किया जा रहा है। निर्माण कार्य पूरा होने के साथ ही बैरेकेडिंग हटाकर सड़क को फिर से जनता के लिए खोल दिया जाता है। बैरिकेडिंग हटाए जाने से वाहन चालक अबाधित रूप से पूरी सड़क का उपयोग कर सकेंगे। जैसे-जैसे निर्माण कार्य अगले चरण में पहुंच रहा है, बाकि की बैरिकेडिंग को भी जल्द ही हटाकर लोगों के लिए सड़क का बाकी हिस्सा उपलब्ध करवाया जाएगा। निर्माण कार्यों के कारण जनता को कम-से कम असुविधा हो और यात्रियों की सुगमता के लिए एनसीआरटीसी ने एक 12 सूत्रीय शेड्यूल बनाया है जिसका क्रियान्वयन निरंतर किया जा रहा है। ट्रैफिक डायवर्जन स्कीम का प्रयोग, जिसके तहत बैरिकेडिंग लगाने या सड़क पर डायवर्जन करने के लिए स्थानीय पुलिस और ट्रैफिक पुलिस की स्वीकृति ली जाती है और उनके सहयोग से कार्य किया जा रहा है। निर्माण स्थलों और यू टर्न के पास सुविधा के लिए ट्रैफिक मार्शल्स तैनात किए गए हैं और ज्यादा भीड़भाड़ वाली जगहों पर आवश्यकतानुसार इनकी संख्या में निरंतर फेरबदल किया जाता है। एनसीआरटीसी निरंतर स्थानीय एजेंसियों का भी सहयोग ले रही है और आवश्यकता पड़ने पर या किसी विशेष आयोजन जैसे मेले या धार्मिक आयोजन पर अतिरिक्त ट्रैफिक इंस्पेक्टर तैनात करने का आग्रह करती है। निर्माण कार्यों के कारण उड़ने वाली धूल और उससे होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए समय- समय पर एंटी स्मॉग गन का प्रयोग किया जाता है।