मेरठ/गर्मी में जून का जानलेवा महिला और दोपहर का वक्त उस दौरान यदि पांच घंटे से ज्यादा अरसे से लिए बत्ती गुल कर दी जाए तो अंदाजा लगाएं कि महानगर के जिस इलाके की बत्ती गुल की गयी होगी वहां के बाशिंदों का क्या हाल हुआ होगा। उमस भरी गर्मी और दोपहर के वक्त यदि पांच घंटे के लिए बत्ती गुल कर दी जाए तो लोग गर्मी से बिलबिलाएंगे नहीं तो और क्या होगा।
बुधवार को ऐसा ही हुआ।
बिजलीघर वाले ना कॉल रिसीव करते हैं ना ही बताते हैं कि बत्ती कब आएगी और क्यों गायब है
शहर की बड़ी आबादी वाले इलाके एनएच-58 पल्लवपुरम और आसपास के बडेÞ इलाके में लाइट नहीं थी। लाइट क्यों नहीं थी, इसका जवाब मोदीपुरम और सोफीपुरम बिजलीघर के स्टाफ पर नहीं था। लोगों ने बताया कि दोपहर करीब एक बजे अचानक बत्ती गुल हो गयी। बत्ती गुल होने के बाद कुछ देर तक तो लोगों ने इंतजार किया। सोचा कि थोड़ी बहुत देर में लाइट आ जाएगी। क्योकि मेरठियों को इस अब बिजली के इस तरह के नखरे बर्दाश्त करने की दरअसल आदत हो चुकी है। दिन हो या फिर रात थोड़ी बहुत देर के लिए यदि उनकी बत्ती गुल कर दी जाती है तो बर्दाश्त कर लेते हैं। पूर्व के सालों की तरह सड़कों पर उतरकर अब बवाल नहीं करते हैं। जबरदस्त गर्मी में बगैर लाइट के रहना उन्होंने अब सीख लिया है, लेकिन जब पांच घंटे से ज्यादा अरसे से लिए दोपहर के वक्त यदि बत्ती गुल कर दी जाए तो सब्र का पैमाना तो फिर छलकेगा ही। ऐसा ही बुधवार को हुआ। दोपहर एक बजे गई लाइट जब तीन बजे तक भी नहीं आयी तो लोगों ने बिजलीघर बिजली वालों को फोन करने शुरू कर दिए। जैसी उम्मीद थी उसके अनुसार ही वहां किसी ने उनके फोन काल्स रिसीव नहीं किए। इसके बाद बिजली ना होने से भन्नाए कई लोग सोफीपुर बिजलीघर जा पहुंचे। हालांकि अच्छी बात यह रही कि घर से बिजलीघर पहुंचते-पहुंचते उनका सारा जोश और गुस्सा जाता रहा। बिजलीघर पहुंचकर जब जानकारी की तो बताया गया कि पीछे से ही शट डाउन है। शाम के करीब पांच बजे गए और लाइट नहीं आयी तो कुछ तो अपनी बाइक व स्कूटी जिनके पास कार थी वो कार लेकर निकल गए। क्योंकि उनकी समझ में आ चुका था कि बिजली वालों से नहीं जीत सकते। जब इनकी मर्जी होगी ये लोग तभी सप्लाई देंगे।
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