बैठक या फिर कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है

बैठक या फिर कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है, मेरठ के सदर दुर्गाबाड़ी स्थित चार सौ साल पुराने बताए जा रहे श्री 1008 पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर के हाल में 21 अक्तूबर दिन साेमवार
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बैठक या फिर कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है,

मेरठ के सदर दुर्गाबाड़ी स्थित चार सौ साल पुराने बताए जा रहे श्री 1008 पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर के हाल में 21 अक्तूबर दिन साेमवार शाम के छह बजे सदर जैन समाज की जिस सभा का एलान किया गया है उसको लेकर समाज के अनेक लोगों ने पूछा है कि यह सभा बुलाने का मंतव्य या कहें मकसद क्या है। एकाएक समाज की कैसे याद आ गयी। ठीक है सभा बुलायी गयी है लेकिन  इस सभा  का ऐजेंडा क्या है। कोई भी आमसभा जब बुलायी जाती है तो पहले उसका ऐजेंटा सभी को भेजा जाता है। जिनको ऐजेंडा भेजा जाता है और जो आने के लिए सहमति देते हैं उनके एक रजिस्टर में हस्ताक्षर भी कराए जाते हैं। बाकायदा यह भी बताया जाता है कि अमुक व इतने लोगों तक सभा का निमंत्रण भेज दिया गया है और ये रहे बाकायदा रजिस्टर में उनके साइन। श्री 1008 पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर की राजनीति से दूर और नियमित रूप से दर्शन के इस मंदिर में आने वाले यह भी सवाल पूछ रहे हैं कि जो सभा बुला रहे हैं उन्हें यह भी इलम होना चाहिए कि पहले ऐजेंडा तैयार होता है वो ऐजेंडा सभी तक पहुंचा जाता है उसके बाद अंत में सभा की बात की जाती है, लोगों का कहना है कि 21 तारीख को जिस सभा को बुलाए जाने की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है उसका मकसद तो समाज को पता चले, उसके बाद ही तो तय होगा कि जाना है या नहीं। अभी तो यह ही नहीं पता कि आमसभा क्यों बुलायी गयी है। ऐकाएक  ऐसा क्या हो गया जो सदर जैन समाज की बैठक बुलानी पड़ रही है। इसके पीछे का एजेंडा क्या है। क्या कुछ बड़ा घटित होने जा रहा है या फिर जो ऐसा घटित हो गया है जिसके डेमेज को कंट्रोल करने के लिए समाज की याद आ गयी है। या फिर कोई छिपा ऐजेंडा है। कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह कि सदर जैन समाज में करीब दो से तीन हजार लोग हैं। पहला सवाल तो यह कि क्या प्रशासन से इस सभा की अनुमति ली गयी है। नियमानुसार जब इतनी बड़ी संख्या में कहीं लाेगों को एकत्र किया जाता है तो पहले उस आयोजन की प्रशासन से अनुमति लेनी होती है। प्रशासन जब अनुमति देता है वहां तमाम व्यवस्थाएं बनाने का काम पुलिस करती है। कई बार इस प्रकार की आमसभाओं में अप्रिय स्थितियां पैदा हो जाती हैं, उस दशा में यदि कानूनी कार्रवाई की बात आती है तो पुलिस व प्रशासन के पास तमाम उन लोगों की जानकारी होती है जो इसमें मौजूद होते हैं वो जानकारी तब काम आती है जब पुलिस को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी हो। प्रशासन की अमुमति के बगैर इस प्रकार की सभा कानूनी जानकारों की नजर में संभव नहीं और प्रशासन की अनुमति के बगैर यदि आमसभा बुलायी जाती है तो फिर अधिकारी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होते हैं। यदि इसकी नौबत आती भी तो पहले शिकंजा उन पंचों पर भी कस सकता है जो इसका हिस्सा बनने जा रहे हैं। वैसे जो हालात बने हुए हैं और पंचों में शामिल विनोद बुरा ने जिस प्रकार से दूसरे पंच अनिल बंटी की कुछ बातों से किनारा कर लिया है उसके चलते समाज के लोग इस प्रकार की आशंका जता रहे हैं।  लोग एक ही बात पूछ रहे हैं कि जब तक मंशा ना पता चले तब तक कही जाना मुनासिब नहीं। ऐसा ना हो कि रोजे बख्शवाने के चक्कर में नमाज गले पड़ जाए।

इतना स्पेस है कि पूरा समाज बैठक जाए

जहां आमसभा बुलाई गई है समाज के लोग पूछ रहे हैं कि क्या वहां इतना स्पेस है कि दो से तीन हजार लोगाें को बैठाया जा सके। अपनी बात कही और उनकी बात सुनी जा सके। या फिर यह मान लिया जाए कि जिस प्रकार से पंचों को बनाया गया है उसी तर्ज पर यह आमसभा भी कर ली जाएगी। हालांकि लोगों का आशंका है कि यह आमसभा हो पाएगी। कई नामों को लेकर घोर आपत्ति भी जतायी जा रही है।

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