काटने वाले बाटते नहीं -प्रफुल्ल केतकर,
आज मेरठ महानगर के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के अटल सभागार में विश्व हिंदू परिषद व्याख्यान माला आयोजन समिति द्वारा आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला का शुभारंभ मुख्य वक्ता प्रफुल्ल केतकर प्रधान संपादक ऑर्गेनाइजर पत्रिका,कार्यक्रम अध्यक्ष बहन छाया जी प्रांत उपाध्यक्ष विहिप,विहिप प्रांत अध्यक्ष अमन सिंह,वरिष्ठ सी ए श्री शिव कुमार गुप्ता एवं व्याख्यानमाला समिति अध्यक्ष प्रमोद जैन द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।
मुख्य वक्ता प्रफुल्ल केतकर ने बताया नक्सलवाद को माओवाद एवं सांस्कृतिक मार्क्सवाद के नाम से जाना जाता है।मार्क्सवाद केवल जंगलों की चुनौती नहीं बल्कि देश के सामने वैचारिक चुनौती है,जो आज के समय में सोशल मीडिया और मोबाइल के माध्यम से देश के घरों तक पहुँच गई है ।आज नक्सलवाद जंगलों में नहीं देश के बड़े विश्व विधालयों और मीडिया संस्थानों में पनपता है।आज के समय में नक्सल वाद देश को धर्म एवं संस्कृति,जाति एवं समाज ,महिला एवं पुरुष,उत्तर और पूर्व के आधार पर तोड़ रहा है।कभी हिंदुओं के तीज त्योहारों पर प्रश्न चिह्न उठाना ,कभी हिंदुओं को जाति भेद के नाम पर बदनाम करना भी नक्सलवाद के विभिन्न स्वरूप हैं ।
केतकर ने कहा क्रांति वर्ग के आधार पर नहीं बल्कि विचारो,शिक्षा एवं साहित्य के माध्यम से आती हैं।
नक्सलवाद का एक ही लक्ष्य है वो चाहते हैं हिंदू अपने तीज त्योहारों का मज़ाक उड़ाना शुरू कर दें क्योकि जब लोग अपने मन में अपने धर्म के प्रति घृणा करने लगेगे तभी उनकी जीत संभव है ।
ये जानते हैं हिंसा के आधार पर समाज में कोई बात नहीं टिक पाती इसलिए लोगो को वैचारिक रूप से इतना भ्रमित कर दो जिससे समाज अपना अस्तित्व ही भूल जाये ।
बस्तर के किसी भी जन जातिय व्यक्ति को आज भी नक्सलवाद के बारे में कोई जानकारी नहीं हैं उनको बस एक ही बात सिखाई की इस देश का कानून और सरकार आपकी दुश्मन है।
जनजाति के नाम पर सामाजिक लड़ाई को लड़ने वाले उच्च जातियों के बड़े सस्थान में पढ़े लिखे लोग हैं ।जो देश के बड़े शिक्षक सस्थानों में रह कर जंगलों के नाम पर धन उगाही कर रहे हैं ।
चीन में पिछली दो सदी में १० लाख से ज़्यादा लोगों को इस नक्सलवाद के नाम पर मारा गया जिनमें मरने वाले अधिकांश लोग जन जाति एवं छात्र थे।1990 के दशक में आपरेशन ग्रीन हंट चला सरकार ने इस आंदोलन की कमर तोड़ दी थी ।
इसके बाद इन्होंने देश के बुद्धिजीवी वर्ग को अपने मूँवमेंट से जोड़कर नया आंदोलन शुरू किया लेकिन
विश्व हिंदू परिषद ने रामजन्मभूमि आंदोलन के माध्यम से इनके इस आंदोलन को कुचल दिया।जिसके बाद इन्होंने नई रचना गढ़ी और नया विमर्श खड़ा किया जिसमे बाली वध के नाम पर भगवान राम को दलित विरोधी,सीता त्याग पर महिला विरोधी दर्शाने का प्रयास किया।
भारत वर्ष पर सत्रह बार बड़े आक्रमण हुए लेकिन हर आक्रमण के बाद भी हम खड़े रहे है हम आज भी अपने मूल पर स्थित है यही हमारी हिंदू संस्कृति की पहचान है। विमर्श के इस दौर में अपनी बात को सत्यता के साथ समाज के सामने रखने के लिए विश्व हिंदू परिषद इस व्याख्यान माला का आयोजन कर रहा है । कार्यक्रम में क्षेत्र संगठन मंत्री सोहन सोलंकी,राजकुमार डूंगर,अमित जिंदल,निमेष वशिष्ठ ,अनूप एवं तेजपाल तोमर आदि उपस्थित रहे।