जांच के बाद ही कसा शिकंजा

kabir Sharma
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मेरठ के सदर दुर्गाबाड़ी स्थित श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर में अवैध रूप से काविज जिन पर शिकंजा कसने जा रह है उन पर पूरी जांच पड़ताल व कानूनी प्रक्रिया के बाद ही पुलिस की कार्रवाई होने जा रही है। ऐसा नहीं है कि यह केवल हवाबाजी भर है। डिप्टी रजिस्ट्रार ने बताया कि पहले इसमें जांच की संपूर्ण प्रक्रिया से गुजरा गया। जो लोग आज खुद को पाक साफ बता रहे हैं वो यह नहीं बता पाए कि किस नियम कानून के तहत मंदिर पर काविज हुए हैं। किसने यह अधिकार दे दिया है। एक बार जब कोई भी संस्था डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत होने के बाद उसके चुनाव करा दिए जाते हैं और तय मियाद के बाद दाेबारा चुनाव नहीं कराए जाते और सके बाद भी वहां जो लोग काविज होते हैं वो गैरकानूनी या कहें विधि विरुध कृत्य माना जाता है। इसको लेकर सीए डा. संजय जैन की शिकायत का संज्ञान लेकर जो कार्रवाई की गयी है वह पूरी तरह से विधि अनुसार है। तमाम नोटिस अवैध रूप से काविज लोगों को दिए गए हैं। किसी भी नोटिस का सही जवाब देने के बजाए केवल कुटरचित तरीके से मंदिर पर काविज रहे।इसके बाद ही पुलिस को इस मामले में कार्रवाई को कहा गया है। यह सब कुछ ऐसे ही हवा में नहीं हो गया है।

यह तो बात हुई डिप्टी रजिस्ट्रार के स्तर से कानूनी प्रक्रिया जिसके तहत हथकड़ी की बात कही जा रही है। यहां यह स्पष्ट कर दें की यह मामला क्योंकि 420 का है इसलिए तमाम कानूनी प्रक्रिया पुलिस के स्तर से की गई इसी के चलते कुछ विलंब अवश्यक हुआ, लेकिन यह विलंब मंदिर व सदर जैन समाज के हित में है। जिन्होंने मंदिर की धन सपंदा व संपत्तियों को भी खुर्दबुर्द किया। जो मकान मंदिर जी को दान में दिए गए, मंदिर का पदाधिकारी होते हुए बाद में उन मकानों का बैनामा अपने नाम कराने का महापाप किया। दान की जो अकूत धनराशि आयी वो अपने व्यापार में लगाने का काम करते हुए सदर जैन समाज को धोखा दिया, उन यदि कानूनी कार्रवाई कर रहा है तो इसमें किसी को क्या दिक्कत हो सकती है। फिर अदालत मौजूद है, यदि कोई बेगुनाह है तो छूट जाएगा, लेकिन यहां फिर बता दें कि दो चक्र की पूरी पड़ताल एक बार डिप्टी रजिस्ट्रार और दूसरी पुलिस की जांच के बाद ही FIR हो गयी है या होने जा रही है।

डिप्टी रजिस्ट्रार और पुलिस ने तो अपना काम कर लिय है। लेकिन अभी जैन समाज को अपना काम करना बाकि है। इसमें अब दायित्व सदर जैन समाज का बाकि रह गया है। क्यों ना एक आम सभा बुलाकर सूची तैयार की जाए। जिस प्रकार से ऋषभ एकाडेमी के चुनाव कराए गए हैं उसी तर्ज पर डिप्टी रजिस्ट्रार के यहां वो सूची दाखिल की जाए। प्रशासक की मौजूदगी में चुनाव कराए जाएं और जो भी इन चुनाव में जो प्रशासक की मौजूदगी में होने चाहिए उनमें बाधा खड़ी कर उसको समाज का कसूरवार माना जाए। क्योंकि जितना इस मंदिर को लूटा गया है और आज भी यह लूट जारी है उतनी बार तो लूट मोहम्मद गौरी ने भी नहीं की थी, लगता है कि ये लोग मोहम्मद गोरी से भी बड़े लुटेरे बनने पर अमादा हैं। लेकिन इनका हिसाब किताब अब पुलिस करने जा रही है। सलाखों के पीछे जाना तय है किसी भी दशा में बचेंगे नहीं।

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