तो क्या कैंट बोर्ड का दावा था झूठा, आबादी के बीच चल रही पशु डेयरियों को गली मोहल्लों से बाहर करने को लेकर मेरठ कैंट बोर्ड प्रशासन ने कृत कार्रवाई से अवगत कराने के नाम पर क्या कोर्ट व एनजीटी से झूठ बोला था। डेयरियों को आबादी के बीच से बाहर करने का आदेश कोर्ट का था तय मियाद के भीतर सभी डेयरियां बाहर की जानी थी। मेरठ कैंट बोर्ड ने भी इसके लिए अभियान चलाया था और अभियान की समाप्ति के बाद सभी पशु डेयरियों को शहर से बाहर कर दिए जाने का दावा किया गया था। लेकिन मेरठ कैंट के थाना सदर बाजार से सटे आबादी वाले इलाके में मौजूद पशु डेयरी को कैंट बोर्ड के उक्त दावे की पोल खोल रही है। यदि अभियान चलाकर सभी पशु डेयरियों को हटा दिया गया था तो फिर सदर क्षेत्र में थाना सदर बाजार के समीप पशु डेयरी कैसे चल रही है। इसका उत्तर तो सीईओ कैंट ही दे सकते हैं, लेकिन यह पशु डेयरी इस पूरे इलाके के लिए मुसीबत का कारण बनी हुई है।
यह है पूरा मामला:-
मेरठ छावनी के सदर धर्मपुरी इलाके में फारूख परवेज, आशीष व कई अन्य मं.न. 33/34 धर्म पुरी सदर ने आम रास्ता सहित कैन्टबोर्ड की हजार गज भूमि पर किया अतिक्रमण कर प्रतिदिन 70-80 पशुओं का गोबर नालों में बहाया जा रहा है। इतना ही नहीं अवैध समरसैबल से इस डेयरी के कारण फैली गंदगी से बच्चे व बुड्ढे सहित आसपास के लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड रहा है। पत्रकार अशोक टाइगर ने जानकारी दी है कि ये लोग अवैध रूप से काविज हैं। सरकारी जमीन पर काविज होने के बाद भी एक पाई आज तक कैंट बोर्ड को रेवेन्यू के तौर पर इन लोगों से नहीं मिली है। कैंट बोर्ड के कुछ भ्रष्ट कर्मचािरयों की मिलीभगत से यहां आबादी के बीच यह डेयरी संचालित की जा रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बडे़ पैमाने पर मिलवटी दूध का कारोबार कैंट बोर्ड के सेनेट्री सेक्शन यानि स्वास्थ्य विभाग की नाक के नीचे किया जा रहा है। इतना ही नहीं जन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाने वाला प्रतिबंधित इंजेक्शन दुधारू पशुओं को लगाया जा रहा है। इनके द्वारा अवैध रूप से बनायी गयी मल्टीस्टोरी अवैध बिल्डिंग को गिराने की कार्यवाही कैन्टबोर्ड के ठंडे बस्ते में पडी है। आरोप है कि नोटबंदी के दौरान बनी मल्टीस्टोरी अवैध बिल्डिंग में बिना शिनाख्त के अवैध रूप बंगाली किरदारो को बसाया गया है। उन्होंने इनकी संपत्ति को आय से अधिक होने की बात कहते हुए जांच की मांग की है। आरोप लगाया कि कुछ वर्ष पुर्व रिक्शा ठेला चला कर किराए पर गुजारा करने वाले करोड़ों की संम्पत्ति के मालिक बन गए ? एक मामूली ठेला चालक करोड़ों की संपत्ति का कैसे बना। इस डेयरी के कारण फैली गंदगी से बच्चे व बुड्ढे सहित आसपास के लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड रहा है
यह किया गया था दावा:
10 हजार वर्ग फीट भूमि मुक्त कराई
कैंट बोर्ड ने डेयरियों को हटाकर करीब 10 हजार वर्ग फीट से भी ज्यादा जमीन मुक्त कराई है। इन डेयरियों में करीब चार सौ पशु थे। तत्कालीन सफाई अधीक्षक वीके त्यागी और राजस्व अधीक्षक जयपाल तोमर ने मुक्त कराई जमीन पर तारबंदी कराई। तत्कालीन सीईओ प्रसाद चव्हाण ने ध्वस्तीकरण कार्रवाई जारी का दावा किया था।
104 में 65 डेयरी ध्वस्त
कैंट बोर्ड के मुताबिक, 104 में से 65 डेयरियां हटाई जा चुकी हैं। 11 संचालकों ने खुद हटा लीं और 54 को कैंट बोर्ड की टीम ने हटाया। अभियान लगातार जारी रहेगा।
यह था पूरा मामला:
कैंट में 104 अवैध डेयरी चल रही थीं। हाईकोर्ट ने 2018 में कैंट में चल रहीं डेयरियों पर कार्रवाई के आदेश दिए थे। डेयरी संचालक हाईकोर्ट गए, लेकिन दिसंबर 2018 में डेयरी संचालक केस हार गए। इसके बाद उन्होंने कैंट अधिकारियों से 15 मार्च 2019 तक का समय मांगा था। इसके बावजूद उन्होंने डेयरियां नहीं हटाई। सुप्रीमकोर्ट से भी डेयरी संचालकों को राहत नहीं मिली। इस पर कैंट बोर्ड ने संचालकों को नोटिस जारी थे। नोटिस की मियाद पूरी होने के बाद डेयरियां हटवा दी गयी थीं