व्यापार मंडल का सीएम योगी को ज्ञापन

व्यापार मंडल का सीएम योगी को ज्ञापन
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व्यापार मंडल का सीएम योगी को ज्ञापन,
मेरठ। उद्योग व्यापार मंडल उत्तर प्रदेश ने व्यापारियों की कई मांगों को लेकर सहायक आयुक्त ग्रेड-2, खाद्यय सुरक्षा एवं मानक अधिनियम की मार्फत सीएम योगी का ज्ञापन भेजा। प्रदेश अध्यक्ष लोकेश अग्रवाल के नेतृत्व में बड़ी संख्या में व्यापारी सहायक आयुक्त के कार्यालय पर पहुंचे। वहां जमकर नारेबाजी की गयी। लोकेश अग्रवाल ने कहाकि
खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के अन्तर्गत की जा रही कार्यवाही से व्यापारियों को आ रही कठिनाईयों के निराकरण के लिये खेती में कीटनाशक व रासायनिक खाद डालने का मानक तय नहीं है। अंधाधुंध कीटनाशक व रासायनिक खादों का प्रयोग खेती में किया जा रहा है। सिंचाई के लिए प्रयोग किये जाने वाला जल पूरी तरीके से दूषित हो चुका है, जिससे हमारे यहॉ के खेती से प्राप्त होने वाले खाद्ययान में रासायन व कीटनाशक भारी मात्रा में पाए जा रहे हैं, जिससे कैंसर जैसी घातक बीमारियों को बढ़ावा मिल रहा है। परन्तु खाद्यय सुरक्षा मानक अधिनियम के मानकों में बदलाव नहीं किया गया है। अत: आपसे अनुरोध है कि वर्तमान परिस्थिति के अनुसार खाद्यय पदार्थों के मानक तय किये जायें तथा कृषि विभाग को खेती में प्रयोग होने वाले कीटनाशक व रासायनिक खाद के मानक तय करने के लिए लिखा जाए। जब तक नए सिरे से मानक तय नहीं किये जाते हैं। व्यापारियों के सैम्पिल न भरे जाएं। रजिस्टेज्शन के लिए 12 लाख तक के टर्न ओवर की सीमा तय की गई है, परन्तु 12 लाख रुपए की सीमा मंहगाई के हिसाब से बहुत कम है। अत: आपसे अनुरोध है कि 12 लाख टर्न ओवर के स्थान पर 40 लाख वार्षिक टर्न ओवर तक रखा जायें। फूड एक्ट का लाइसेंस न पाए जाने पर सजा का प्राविधान खत्म किया जाये। जुर्माना अधिकतम रजिस्टेज्शन व लाइसेंस फीस का दोगुना किया जाये। प्रशासनिक अधिकारी अपर जिला मजिस्ट्रेट आदि को न्याय निर्णयक अधिकारी राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किये गये हैं। प्रशासनिक अधिकारी प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं, जिससे न्याय निर्णय में समय लगता है। पूर्णकालिक न्याय निर्णायक अधिकारी की नियुक्ति किया जाए। पैकिंग की आईटम में रिटेल का व्यापारी कोई मिलावट या कमी नहीं कर सकता है एवं का खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम में दिये गये पैकिंग एण्ड लेवलिंग एक्ट के कानूनों को पूरा करने में रिटेल व थोक के व्यापारी का कोई योगदान नहीं है। पैकिंग कम्पनियों द्वारा तैयार कर भेजी जाती है, जिसमें रिटेल का व्यापारी कोई मिलावट या पैकिंग में कोई संशोधन नहीं कर सकता है। पैकिंग के सामान में किसी भी प्रकार की कमी पाई जाने पर सिर्फ पैकिंग करने वाले फर्म या कम्पनी को ही दोषी माना जाए, होलसेलर व रिटेलर को दण्डित न किया जाये। आॅनलाइन फूड चेन सप्लाई व मल्टी नेशनल कम्पनियों के द्वारा किया जा रहा है, परन्तु आॅनलाइन फूड सप्लाई के डिलीवरी करने वाले व्यक्तियों के पास फूड लाइसेंस नहीं है। आॅनलाइन व फूड चेन सप्लाई डिलीवरी करने वाले व्यक्यिों के लाइसेंस बनवाये जाए। मल्टी नेशनल कम्पनी व फूड सप्लाई चेन के डिलीवरी होने वाले सामानों की सैम्पलिंग नहीं की जा रही है। निमार्ताओं से आॅनलाइन सालाना व छमाही रिटर्न मॉगी जा रही है। निर्धारित समय पर जमा न करने पर रू0 100 प्रतिदिन लेट फीस लगाई जा रही है, जिन व्यापारियों की पूर्व में रिटर्न जमा नहीं है, उन पर भारी जुमार्ना लगाया जा रहा है। रिटर्न जमा करने पर पिछला मांगा जा रहा जुमार्ना समाप्त करने के आदेश पारित किए जाए। आॅनलाइन सालाना व छमाही रिटर्न की व्यवस्था समाप्त करें। सभी मामलों को अदालतों में भेजा जा रहा है। एक्ट में दी गई धारा-69 के अनुसार अधिकांश मामलों को शमन शुल्क जमा कराकर समाप्त किया जा सकता है। अभिहीत अधिकारी कार्यालय में शमन शुल्क जमा कराने की व्यवस्था लागू की जाए। प्रत्येक जिले में अनकों रजिस्टेज्शन अधिकारी हैं, जिन्हें फील्ड का काम भी करना होता है। रजिस्टेज्शन अधिकारी को फील्ड का कार्य न दिया जाए।

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