दिल्ली देहरादून वाया मेरठ से होकर जाने का सफर बना है मौत का सफर, एनएचएआई अफसर हादसाें को रोकने के लिए नहीं आ रहे गंभीर नजर, भारी भरकल टोल वसूली के अलावा कुछ नहीं कर रहा एनएचएआई के सिवाया टोल प्लाजा प्रशासन, इस हाइवे पर जारी है मौत का सफर
मेरठ/मुजफ्फनगर। पिकनिक के मूड से निकले सात दोस्तों का सफर मौत का सफर बन गया। हाईस्पीड कार जब हवा से बातें कर रही थी उसी दौरान अचानक कार ड्राइव कर रहे युवक की नजर चूकी और अगले ही पल दो दोस्त मौत की आगोश में थे, बाकि पांच की जो हालत है उससे लगता है कि यदि वो बच भी गए तो जीवन भर के लिए दिव्यांग कहलाएंगे। ये दोस्त जब जा रहे थे तो उनकी तेज रफ्तार होंडा अमेज कार दिल्ली-देहरादून हाईवे पर रतनपुरी क्षेत्र में रायपुर नंगली के पास अनियंत्रित होकर सड़क पर पलट गई। हादसे में कार सवार मोहित (22) पुत्र रोहताश निवासी विजयनगर, गाजियाबाद और कुणाल (25) पुत्र मनोज पाल निवासी बिहारीपुर, गाजियाबाद की मौत हो गई। हादसे में कार सवार पांच अन्य युवक गंभीर घायल हो गए। कार सवार सात युवक गाजियाबाद से हरिद्वार घूमने के लिए जा रहे थे। बृहस्पतिवार रात दो बजे रायपुर नंगली के पास हाइवे पर कार अनियंत्रित होकर डिवाइडर पार करके दूसरी ओर पलट गई। पुलिस ने घायलों को खतौली अस्पताल में भर्ती कराया है। परिजनों को सूचना दी गई है।
परिवार में कोहराम
कार सवार युवकों की मौत की खबर जब पहुंची तो परिवार में कोहराम मच गया। आज तडके करीब तीन बजे जब इन युवकों के परिजनों के मोबाइल कॉल पर पुलिस की काल जाने के बाद घंटियां बजने लगीं तो वो घबरा गए। डरते हुए जब काल रिसीव की तो वो सुनने को मिला जिसकी उम्मीद नहीं थी। पुलिस वालों ने बताया कि बताया कि उनके लाडले की मौत हो चुकी तो वो बिलख उठे। रोते बिलखते हुए तडके ही मौका ए वारदात के लिए रवाना हो गए। वहां पहुंचे तो पता चला कि पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल भिजवा दिए हैं।
दावों से आगे बढ़ नहीं सके अफसर
रोड सेफ्टी को लेकर अफसर जितने भी दावे करें लेकिन हकीकत में सफर बेहद खतरनाक होता जा रहा है। हाइवे पर जो सुरक्षा इंतजाम होने चाहिए उनको लेकर एनएचएआई कतई भी गंभीर नहीं है नतीजा सबके सामने हैं। मेरठ दिल्ली एक्सप्रेस वे का सफर अब मौत की राहों का सफर बन गया है। कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब यहां हादसे में किसी की मौत ना होती हो या कोई जीते जी लाश ना बन गया हो। हादसे कैसे रूके इसको लेकर बैठकें तो बहुत होती है लेकिन अफसरों के पास कोई उपाय फिलहाल नजर नहीं आ रहा है।