यूपी पुलिस पर जस्टिस लोकुर के सवाल, नई दिल्ली: यूपी पुलिस की कस्टडी में उम्र कैद की सजा पाए कैदी की सरेआम आन कैमरा हत्या की शर्मनाक वारदात पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मदन बी. लोकुर ने गंभीर सवाल उठाए हैं. वरिष्ठ पत्रकार करन थापर के साथ एक इंटरव्यू में जस्टिस मदन बी लोकुर यहीं नहीं रूके उन्होंने करन थापर के साथ बातचीत में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘मिट्टी में मिला देंगे’ वाले बयान की तीखी आलोचना की और इसे ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया. सुप्रीम कोर्ट ने 28 मार्च को पुलिस हिरासत में सुरक्षा के लिए अतीक अहमद की याचिका का निस्तारण करते हुए, यूपी पुलिस से एक आश्वासन’ मांगा था कि वह अतीक की रक्षा करेंगे. जस्टिस लोकुर ने कहा कि ‘जबकि पहले भी मुठभेड़ में मौतें हुई हैं’ लेकिन अहमद भाइयों की हत्या ‘शायद पहली बार है जब पुलिस कस्टडी में किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा किसी को मार दिया गया.’ यूपी पुलिस ने 14 अप्रैल को कहा था कि उसने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार के छह वर्षों में 183 कथित अपराधियों को एनकाउंटर में मार गिराया है और इसमें असद और उसका साथी भी शामिल हैं. जस्टिस लोकुर ने इस घटना के संबंध में उत्तर प्रदेश पुलिस की भूमिका को लेकर कुछ सवाल भी उठाए. उन्होंने पूछा: पहला, पुलिस ने हत्यारों को पुलिस हिरासत में क्यों नहीं लिया बल्कि उन्हें न्यायिक रिमांड पर भेज दिया? क्या वे जांच नहीं करना चाहते? दूसरा, क्या पुलिस सशस्त्र थी? अगर ऐसा था तो जवाबी फायरिंग क्यों नहीं की? अगर नहीं थे तो क्यों नहीं? अतीक अहमद पर स्पष्ट रूप से खतरा था. तीसरा, हत्यारों को कैसे पता चला कि रात साढ़े दस बजे अतीक और उसके भाई को अस्पताल ले जाया जा रहा है? और उन्हें कैसे पता चला कि वहां मीडिया होगा और वे मीडियाकर्मी होने का दिखावा कर सकते हैं? क्या उन्हें किसी ने सूचना दी थी? चौथा, रात साढ़े दस बजे उन्हें मेडिकल जांच के लिए ले जाने की क्या जरूरत थी? उन्हें सुबह क्यों नहीं लिया जा सकता था, खासकर जब उनकी पुलिस हिरासत रविवार को शाम 5 बजे खत्म होनी थी? योगी आदित्यनाथ के ‘मिट्टी में मिला देंगे’ वाले बयान को लेकर उन्होंने कहा, ‘ऐसा कहना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. यह बिल्कुल सही नहीं है. यह इशारा है कि कानून के शासन, हमारी न्यायिक व्यवस्था में सब ठीक नहीं है.’