स्टांप घोटाले में विशाल वर्मा अरेस्ट,
मेरठ/स्टांप घोटाले का आरोपी विशाल वर्मा गुरूवार को एसएसपी की स्वॉट के हत्थे चढ़ गया। उसको गिरफ्तार कर लिया गया है। इसकी पुष्टि स्वयं एसएसपी डा. विपिन ताडा ने की। वहीं दूसरी ओर सूत्रों ने जानकारी दी कि गिरफ्तारी पर स्टे के बाद एक और मुकदमा दर्ज होने के बाद विशाल वर्मा वाया नेपाल विदेश भागने की फिराक में था। फिलहाल वह स्वाट के कब्जे में है। सूत्रों ने जानकारी दी है कि विशाल वर्मा से उसके तीन साल के स्टांप फर्जीवाडेÞ का सच पुलिस उगलवा रही है।
मेरठ बार के सीनियर एडवोकेट वीरेन्द्र काजीपुरिया ने जानकारी दी कि साल 2023 में स्टांप घोटाले को लेकर एक शिकायत सबसे पहले लखनऊ में की गयी थी। जब जांच शुरू हुई और फाइलें खंगाली गयी तो उम्मीद से बड़ा स्टांप घोटाला सामने आ गया।
तीन साल में 997 फर्जी स्टांप
जब जांच शुरू हुई तो पाया गया कि तीन साल में हुए बैनामों में 997 फर्जी स्टांप लगाकर सरकार के 7.20 करोड का चूना लगा दिया। ये सभी बैनामे विशाल वर्मा ने ही कराए थे। इतने शातिराना अंदाज से फर्जी स्टांप लगाए गए कि किसी को भनक तक नहीं लगने दी गयी।
पुलिस कर रही थी सरगर्मी से तलाश
22 मई को सहायक निबंधन प्रदीप कुमार की तहरीर पर एफआईआर दर्ज करने के बाद कई पुलिस टीमें विशाल की तलाश में लगी थीं। करीब सौ दबिशें इसकी तलाश में दी गईं। एक सूचना के आधार पर गुरूवार को एसएसपी की स्वॉट ने विशाल वर्मा को दबोचा। हालांकि तीन दिन पहले यह साफ हो गया था कि विशाल कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है।
नोटिसों के बाद बवाल
जांच के बाद स्टांप घोटाला पकड़ में आने के जिन लोगों ने विशाल वर्मा की मार्फत बैनामे कराए थे उन्हें जब मय पैनल्टी नोटिस भेजे गए तब असली बवाल शुरू हुआ। उसके बाद ही विशाल वर्मा का मामला हाईप्रोफाइल हुआ और पुलिस इसकी पीछे पड़ी
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दो वकीलों को पूर्व में किया गिरफ्तार
मेरठ। स्टांप घोटाले में पूर्व में पुलिस ने दो वकीलों को गिरफ्तार किया था। बताया जाताा है कि दराअसल दोनों ही वकील जिन्हें गिरफ्तार किया गया वो साफ्ट टारेगेट थे।
थाना सिविल लाईन में अपराध संख्या-02/2025 सरकार बनाम विशाल वर्मा एडवोकेट, राहुल पुत्र महेश निवासी रिठानी मेरठ व राहुल वर्मा पुत्र राजू निवासी प्रवेश विहार मेरठ के खिलाफ धारा 420,467,468,471 आईपीसी 3 जनवरी 25 में दर्ज किया गया 5 जनवरी की तडके थाना सिविल लाईन पुलिस ने बैनामा के दोनों गवाह राहुल व राहुल को उनके किराए के निवास से गिरफ्तार कर लिया था। दोनों अभियुक्तों के पास रहने तक का मकान तक नहीं है। इनका कसूर केवल इतना था कि ये विशाल वर्मा के आधीन काम करते थे और बैनामों में बतौर गवाह साइन करते थे।
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पांच मुकदमों में तीन पर अरेस्ट स्टे
मेरठ। स्टांप घोटाले में विशाल वर्मा के खिलाफ कुल पांच एफआईआर दर्ज हुई हैं जिनमें से तीन पर हाईकोट से अरेस्ट स्टे हैं। जो मुकदमा विगत 3 जनवरी में दर्ज हुआ उसमें अरेस्ट स्टे नहीं था।
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उत्तराखंड में करीबी रिश्तेदार के था छिपा
मेरठ। स्टांप घोटाले का मुख्य आरोपी बताया जा रहा विशाल वर्मा पुलिस को लगातार चकमा दे रहा था। पूर्व के मुकदमें में अरेस्ट स्टे हासिल करने के बाद जब 3 जनवरी के उसके खिलाफ मुकदमा लिखा गया तो पुलिस को उसकी लोकेशन उत्तराखंड मिल रही थी। यह भी आशंका जतायी जा रही थी कि वह वहां वे वाया नेपाल विदेश भाग सकता है। एसएसपी की स्वॉट इसकी ठिकाने पर जा पहुंची। दो दिन की मशक्कत के बाद आखिरकार रिश्ते की बहन के यहां से इसका दबोच लिया। हालांकि पुलिस ने अधिकारियों ने सिविल लाइन इलाके से गिरफ्तारी की जानकारी दी है। एसएसपी आवास पर विशाल वर्मा से पूछताछ की जा रही है।
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