विश्व थायराइड डे पर बेबनार, पर्यावरण एवं स्वच्छता क्लब मेरठ द्वारा वर्ल्ड थायराइड डे के अवसर पर थायराइड नियंत्रण एवं रोकथाम विषय पर जागरूकता कार्यक्रम किया गया । क्लब निदेशक आयुष गोयल पीयूष गोयल ने बताया वर्तमान कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को थायराइड के प्रति जागरूक करना है। भारत में 14 मिलियन लोग थायराइड से ग्रस्त है। मुख्य वक्ता वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर नवीन गोयल (MBBS ,MD) ने बताया कि थायराइड बीमारी थायराइड ग्रंथि से निकलने वाले थायरोक्सिन हार्मोन के कारण होती है। यदि यह हार्मोन कम मात्रा में होता है तो हाइपो थायराइड होती है यदि हार्मोन ज्यादा मात्रा में होता है तो यह हाइपर थायराइड कहलाती है। थायराइड बीमारी के कारण मांसपेशियां कमजोर होने लगती है, याददाश्त भी कमजोर हो जाती है। थायराइड को साइलेंट किलर कहा जाता है। । थायराइड की जांच गर्भवती महिलाओं में गर्भधारण के शुरुआती दौर में कराया जाना अति महत्वपूर्ण है। थायराइड की मात्रा मानक अनुसार ना पाए जाने पर गर्भ में बच्चे पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। बच्चे का मानसिक विकास कम हो सकता है, बच्चे की आई क्यू कम रह सकती है, बच्चे की हाइट कम हो सकती है, वह बोना भी रह सकता है। गर्भधारण होने के साथ ही महिला चिकित्सक थायराइड की जांच अवश्य कराती हैं। मानक के अनुसार रिपोर्ट ना पाए जाने पर एंडोक्रिनोलोजिस्ट अथवा फिजिशियन से सलाह अवश्य लिए जाने की आवश्यकता है। साधारण मनुष्य के थायराइड के मानक कम ज्यादा पाए जाने पर उसको दवा दिया जाना चिकित्सक के अनुसार होता है। बहुत से समय थायराइड मानक के अनुरूप ना पाए जाने पर भी व्यक्ति में कोई लक्षण ना होने पर दवा नहीं दी जाती है। थायराइड की दवा आजीवन भी चल सकती है। शुरुआती दौर में डेढ़ महीने बाद जांच कराई जाती है, फिर 3 महीने बाद, तथा 6 महीने के अंतराल में इसकी जांच कराई जाती है। इसकी दवा खाना या ना खाना चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही किए जाने की आवश्यकता है। इस मौके पर आयुष गोयल पीयूष गोयल विपुल सिंघल, प्रिंस अग्रवाल, शालिनी अग्रवाल, सुशील कुमार आदि उपस्थित रहे।