वोटर कार्ड को लेकर सवाल, गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने शैक्षणिक वर्ष 2023-24 मे आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावको को बिना किसी पूर्व सूचना के आरटीई के अंतर्गत दाखिलों के लिये पोर्टल [email protected] पर वोटर कार्ड नंबर भरने की अनिवार्यता के कारण बच्चो को शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित किए जाने एवम आरटीई प्रक्रिया में जटिलता आने के कारण वोटर कार्ड की अनिवार्यता समाप्त कर पूर्व की स्थिति बहाल करने के लिए प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा और महानिदेशक स्कूल शिक्षा एवम राज्य परियोजना निदेशक को मेल के माध्य्म से पत्र भेजा जीपीए के आरटीई प्रभारी धर्मेंद्र कुमार यादव एवम कौशल ठाकुर ने बताया कि राइट टू एजुकेशन ( आरटीई ) एक ऐसा माध्य्म है जिससे प्रदेश सरकार निजी स्कूलों में निर्धारित 25 % सीटो पर प्रदेश के हजारों आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावको के बच्चों को शिक्षा का अधिकार दिलाकर मदद करती है आरटीई के माध्य्म से सरकार का मूल उददेश्य अलाभित समूह एवं दुर्बल वर्ग के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा प्रदान करना है निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का उददेश्य से उत्तर प्रदेश सरकार ने बच्चों के हितों को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम प्रपत्रों के आधार पर अलाभित समूह एवं दुर्बल वर्ग के अधिक से अधिक बच्चे शिक्षा के लिए स्कूलो में प्रतिभाग कर सके इसलिए सरल व पारदर्शी नियमावली बनायी गई थी। हम सभी जानते है कि आरटीई एक्ट की मूल मंशा के अनुसार अलाभित समूह एवं दुर्बल वर्ग के तहत प्रतिभाग करने वाले बच्चों के लिये प्रक्रिया जनसुलभ एवं सरल होनी चाहिये परंतु शिक्षा सत्र 2023-24 के लिये बिना कोई पूर्व सूचना के वोटर कार्ड की अनिवार्यता कर दिये जाने से आरटीई के दाखिलों की प्रक्रिया जटिल हो गयी है। वोटर कार्ड की अनिवार्यता कर दिए जाने से अलाभित समूह एवं दुर्बल वर्ग बच्चों के हितों का संरक्षण न कर, निजी विद्यालयों के हितों का संरक्षण अधिक होता प्रतीत हो रहा है यह एक बड़ा सवाल है कि क्या अलाभित समूह के तहत निराश्रित बालक वोटर कार्ड की व्यवस्था कर पायेगा ? गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने प्रमुख सचिव से निवेदन करती है कि आरटीई के दाखिले की प्रक्रिया से तत्काल वोटर कार्ड की अनिवार्यता को समाप्त कर, पूर्व की स्थिति यथावत रखते हुए ,दाखिले की प्रक्रिया सरल/सुलभ/पारदर्शी प्रक्रिया बहाल करने की कृपा करे।