मेरठ। जून का महिला और पंखे कूलर का सीजन लेकिन इसके बाद भी पंखें कूलरों के मार्केट में यदि ग्राहक के लिए तरसना पड़ जाए और उस पर तुर्रा ये कि दिसंबर से ही गोदाम में माल यानि पंखें कूलरों को स्टॉक कर लिया हो ताकि सीजन में अच्छा मुनाफा कमा लिया जाए। अच्छे मुनाफे की उम्मीदों पर मौसम की मेहरबानी यदि पानी फेर दे तो अंदाजा लगा लीजिए जिन्होंने मोटे मुनाफे की उम्मीद में माल से गोदाम भर लिए उन पर क्या बीत रही होगी। जून के महीने में मौसम की इस मेहरबानी के चलते कूलर व पंखों के मार्केट में खरीदारों का भारी टोटा है। कूलर पर हजार से पंद्रह सौ रेट कम करने के बाद भी बाजार में ग्राहकों का टोटा है।
डिमांड ना होने से गोदामों में रखे पंखें कूलरों की पैकिंग तक खोलने की नहीं आयी नौबत
बदलते मौसम में, खासकर गर्म मौसम में, पंखे और कूलर की बिक्री आमतौर पर बढ़ जाती है। लेकिन अपने शहर में वर्तमान में पंखे और कूलर के बाजार में थोड़ी सुस्ती दिखाई दे रही है। मौसम के मिजाज ने कूलर व पंखा विक्रेताओं को चिंता में डाल रखा है। अभी कूलर दुकानों पर सन्नाटा छाया हुआ है। वजह बीते 21 मई के बाद मौसम के मिजाज में अचानक आयी नरमी है। मेरठ में भले ही बूंदाबांदी का इंतजार किया जा रहा हो, लेकिन बीते रविवार को राष्ट्रीय राजधानी और पहाड़ोें पर हो रही झमाझम से अपने शहर का मौसम सुहाना है। हालांकि जून में यह दावा नहीं किया जा सकता कि इस साल गर्मी विदा हो गयी है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि जून की गर्मी में आसमान से आग बरस रही है। यही वजह है जो पंखे कूलरों की दुकानों पर दिन भर ग्राहकों को इंतजार करना पड़ रहा है और उसके बाद भी माल का उठन नहीं है। कोतवाली के सुभाष बाजार इलाके में कूलर का कारोबर करने वाले तरूण का कहना है कि यदि इसी माह मौसम नहीं खुला तो आगामी दिन कूलर मार्केट पर किसी संकट से कम नहीं होगा। बुढानागेट खैरनगर रोड पर पंखें कूलरों के व्यापारी सोनू बताते हैं कि हर साल वो कूलर व पंखा का स्टाक दिसंबर माह से करने लगते हैं। क्योंकि अगर पहले ही स्टाक तैयार न किया जाए तो सीजन में उठने वाली लोगों की डिमांड पूरी करना मुश्किल हो जाती है। लेकिन जून में बदले हुए मौसम में उन्हें काफी घाटा सहन करना पड़ सकता है।
सदर थाने के समीप कूलर बनाने वाले राजा मशीनरी स्टोर के मालिक बताते है कि का कहना है कि अभी बदले मौसम के कारण लोग कूलर नहीं खरीद रहे हैं। मेरठ में भले ही अभी बारिश ने अपना रंग नहीं दिखया है लेकिन आसपास जिस तरह का मौसम बना हुआ है। उससे तो यही लगता है कि जून के महीने में सावन का की आहट सुनाई देने लगी है। इस समय ना तो सड़क तप रही है ना कूलर पंखे की जरूरत महसूस हो रही। आलम यह है कि रात के समय चलने वाले कूलर पंखे भी लोगों को चादर ओढ़ लेते हैं। 21 मई के बाद से माल का जो उठान होना चाहिए था वो नहीं हो पा रहा है। इस साल जून में बंपर माल उठान की उम्मीद किए बैठे थे, लेकिन जब बाजारों में ही ब्रिकी नहीं है तो उन्हें माल का आर्डर कहं से मिलेगा। दिन में तो भले ही घरों में कूलर लोग चला लें लेकिन रात के वक्त ज्यादातर घरों पंखे से ही गुजारा कर लेते हैं। वो बताते हैं कि कूलर बनाने वाले परेशान हैं। रेट कम करने के बाद भी माल के के आर्डर नहीं मिल पा रहे हैं। दुकानदारों के चेहरों पर मायूसी छाई हुई है। दिल्ली रोड पर कूलर का थोक के थोक कारोबारी श्याम लाल सैनी व गोपाल गुर्जर ने बताया कि इस बार गत वर्ष की अपेक्षा दस फीसदी कूलर भी नहीं बिके हैं। जबकि कूलरों से गोदाम भरे हुए हैं। उन्होंने बताया कि केवल 15 जून तक कूलर का सीजन रहता है। ऐसे में कोई खास उम्मीद नहीं है। यदि एक दो बारिश हो गयी तो फिर अगले साल तक बात गई।
मौसम मेहरबान फिर क्यों किया परेशान
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